रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ धाम में तीसरे चरण की यात्रा चरम पर है. तुंगनाथ धाम सहित तुंगनाथ घाटी के यात्रा पड़ावों पर प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही होने से घाटी में रौनक लौटी है. चोपता तुंगनाथ पैदल मार्ग पर प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भगवान तुंगनाथ के दर पर मत्था टेक रहे हैं.
विश्व विख्यात तुंगनाथ धाम मिनी स्विट्जरलैंड चोपता हिल स्टेशन से लगभग चार किमी की दूरी पर चंद्रशिला की तलहटी में स्थित है. तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. तुंगनाथ धाम में अभी तक 20 हजार से अधिक तीर्थ यात्री जलाभिषेक कर चुके हैं. तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर सैलानियों की आवाजाही से जहां स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होता है.
तुंगनाथ धाम में तीसरे चरण की यात्रा परवान चढ़ने से तुंगनाथ घाटी में रौनक लौट आई है, जिससे व्यापारियों के चेहरे इन दिनों खिले हुए हैं. तुंगनाथ घाटी के व्यापारी सतीश मैठाणी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर सैलानियों की आवाजाही निरंतर जारी रहती है. दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए भारी संख्या में सैलानी तुंगनाथ घाटी पहुंचते हैं.
हापुड़ से तुंगनाथ घाटी की वादियों से रूबरू होने के लिए तुंगनाथ पहुंचे कुशावाह कहते हैं कि तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य से बार-बार रूबरू होने की लालसा बनी रहती है. पानीपत निवासी रमेश का कहना है कि तुंगनाथ घाटी अपार वन सम्पदा से आच्छादित भूभाग की अति निकट से दृष्टिगोचर होने का सौभाग्य नसीब वालों को ही मिलता है.
चोपता व्यापार संघ अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी ने बताया कि तुंगनाथ धाम सहित तुंगनाथ घाटी में तीसरे चरण की यात्रा परवान चढ़ने से सभी यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है. हमारा तुंगनाथ धाम आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधा मुहैया कराने का भरसक प्रयास रहता है. उन्होंने कहा कि तुंगनाथ घाटी की सुन्दरता को जीवित रखने के लिए सामूहिक पहल की जा रही है.