रुद्रप्रयाग: मक्रर संक्रांति पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम स्थल रुद्रप्रयाग एवं कोटेश्वर में अलकनंदा के तट पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई. भक्तों ने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर मनौतियां मांगी. वहीं, भगवान नारद की तपस्थली में पहली बार दीपोत्सव कार्यक्रम के साथ ही भव्य आरती का आयोजन किया गया, जिसमें शहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
मक्रर संक्राति पर्व के मौके पर लोगों में खासा उत्साह देखा गया. जिला मुख्यालय स्थित अलकनंदा-मंदाकिनी एवं कोटेश्वर में सुबह से भक्तों का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था, जिसके बाद भक्तों ने गंगा में स्नान मां गंगा की पूजा अर्चना की. इसके बाद भक्तों ने कोटेश्वर महादेव मंदिर, चामुंडा मंदिर एवं रुद्रनाथ मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की तथा भगवान से अपने परिवार की खुशहाली की कामना की. कई लोगों ने इस पर्व पर खिचड़ी बनाकर उसका सेवन किया.
वहीं, पंचप्रयागों में एक रुद्रप्रयाग के अलकनंदा एवं मंदाकिनी के संगम स्थल और भगवान नारद की तपस्थली पर पर्यटन विभाग और गंगा आरती के सौजन्य से दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने चामुंडा मंदिर को दीपो से जगमग कर दिया. साथ ही भगवान नारद की तपस्थली पर भव्य आरती का आयोजन किया. यहां पर 2100 दीपों से मंदिर को जगमग किया गया. रंगबिरंगी लड़ियों से भी चामुंडा मंदिर को सजाया गया है. पूरा मंदिर मार्ग को दीपों से जगमग किया गया है. इस दौरान पारम्परिक वाद्य यंत्रों की धुनों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कीर्तन मंडली ने मांगलिक गीतों की शानदार प्रस्तुतियां दी.
शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि रुद्रप्रयाग संगम में देवर्षि नारद ने लम्बे समय तक तप किया और भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने रुद्र रूप में देवर्षि नारद को दर्शन दिए और महती नाम की वीणा दान की. इस स्थान पर भगवान नारद को संगीत का ज्ञान प्राप्त हुआ था.
ये भी पढ़ें- Makar Sankranti 2023: हरिद्वार में कड़ाके की ठंड में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गंगा घाटों पर उमड़ी भीड़
कोटेश्वर के महंत स्वामी शिवानंद गिरी ने कहा कि पहली बार रुद्रप्रयाग संगम स्थली पर मकर संक्रांति पर्व की पूर्व बेला पर अलनकंदा-मंदाकिनी के पावन तट व भगवान नारद की तपस्थली में दीपोत्सव कार्यक्रम मनाया गया. इस पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. इस त्यौहार में भक्त गंगा स्नान करके भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के आयोजन से रुद्रप्रयाग जिले का उज्जवल भविष्य दिखाई दे रहा है.
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि पहली बार मकर सक्रांति की पूर्व बेला पर संगम स्थली पर दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें गंगा आरती भी की गई. दीपोत्सव मनाने को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला. उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी अपनी परम्परा को भुला रही है, जो सही नहीं है. पौराणिक त्यौहारों को सदैव जीवित रखना है. इससे अच्छा माहौल तैयार होता है. डीएम ने कहा कि संगम स्थली पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, जो यात्रा से पूर्व पूरे कर लिए जाएंगे. ऐसे में यात्रा के समय यहां पर तीर्थ यात्रियों की अधिक गतिविधियां देखने को मिलेंगी.
ये भी पढ़ें- Uttarayani Kauthig Mela: CM धामी ने किया शुभारंभ, 100 करोड़ की योजनाओं का लिया लोकार्पण-शिलान्यास
हल्द्वानी में उत्तराखंड में घुघुती त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. जगह-जगह उत्तरायणी और घुघुती त्यौहार पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. वहीं, घुघुती त्यौहार के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बिंदुखत्ता में पूर्व सीएम हरीश रावत अपने गले में घुघुती का माला पहन लोगों को घुघुती की बधाई दी. हरीश रावत अपने गले में घुघुती का माला पहन अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लोगों को घूमती त्यौहार की बधाई भी दी है.
इस मौके पर हरीश रावत ने कहा कि उत्तरायणी का महा पर्व है, ये मेरे दिल के उद्गार हैं. सबको उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई. हमारे घर-गांव में इसको घुघुतिया त्यौहार कहते हैं, विशेष तौर पर कुमाऊं अंचल के लोग इसको घुघुतिया त्यौहार के रूप में मनाते हैं. बचपन में हम अपने गांव के हर दरवाजे पर पैलाग-पैलाग (प्रणाम-प्रणाम) कहने जाते थे. हमको गुड़ की डली दी जाती थी तो गुड़ और घुघुते के इस त्यौहार के दिन आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं. इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी मौजूद रहे.