रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कार्यदायी संस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं. कार्यदायी संस्था द्वारा सड़क कटिंग का मलबा भी डंपिंग जोन के इतर सीधा नदी में भी डाला जा रहा है. अगर कहीं डंपिंग जोन में डाला भी जा रहा है, तो वह इतना ज्यादा है कि भविष्य में भारी बाढ़ का खतरा बन सकता है.
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑलवेदर रोड का पिछले दो वर्षों से कार्य चल रहा है. पहाड़ों पर बेतरतीब कटिंग ने कई नये स्लाइडिंग जोन बना दिए हैं. मार्गों पर जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है. वहीं इन स्लाइडिंग जोन में आये दिन मलबा गिरता रहता है, जिसे निर्माणदायी संस्था द्वारा मंदाकिनी नदी में सीधे डाला जाता है.
आवाज उठाने पर कभी कभार किसी डंपिंग यार्ड में भी मलबा ले जाया जाता है. इन डंपिंग यार्ड में भी मलबा डालने की कोई सीमा निश्चित नहीं है. इस कारण अधिकांश मलबा सीधे नदी में ही चला जाता है. ऐसा ही आजकल अगस्त्यमुनि नगर पंचायत के अन्तर्गत थाने के निकट बनाये गये डंपिंग यार्ड में भी देखा जा रहा है. वहां पर इतना अधिक मलबा डंप किया जा चुका है कि अब वह सीधा नदी में ही जा रहा है. इसके बावजूद निर्माणदायी संस्था द्वारा वहां पर मलबा डंप करना बंद नहीं किया गया है.
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बरसात में जगह-जगह हुए भूस्खलन का मलबा भी इधर ही डाला जा रहा है. ऐसे में स्थानीय निवासी काफी डरे हुए हैं. क्योंकि मंदाकिनी का रौद्र रूप सभी 2013 की आपदा में देख चुके हैं. 2013 की आपदा में जो भी सम्पतियों का नुकसान उठाना पड़ा था, उसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना के डंपिंग यार्ड ही रहे. उन्होंने भी अपने डंपिंग यार्ड नदी के किनारे ही बनाये थे, जो बाढ़ में बहकर आगे चलकर भारी नुकसान का कारण बना.
जिसे उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी माना था और आज फिर वहीं गलती ऑल वेदर रोड का कार्य कर रही निर्माणदायी संस्था की ओर से की जा रही है. राजकीय महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में भूगोल के प्रवक्ता डॉ. अखिलेश्वर द्विवेदी इसे भूकम्प एवं भूस्खलन में अति संवेदनशील रुद्रप्रयाग जिले के लिए बहुत बड़ा खतरे मानते हैं. उनका कहना है कि पहले ही बेतरतीब कटिंग से पहाड़ कमजोर हो चुके हैं, जोकि लगातार भूस्खलन का कारण बन रहे हैं. वहीं नदी तटों पर भारी मात्रा में मलबा जमा होना कभी भी तबाई मचा सकता है.
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2013 में इसका जीता जागता उदाहरण हर कोई देख चुका है. वहीं लोनिवि (राष्ट्रीय राजमार्ग) के अधिशासी अभियंता जितेन्द्र त्रिपाठी का कहना है कि हर डंपिंग यार्ड इस तरह से बनाया जाता है कि उसमें क्षमता से अधिक मलबा नहीं आ सकता है. यदि कहीं पर ऐसा हो रहा है तो उसकी जांच कर निर्माणदायी संस्था पर जुर्माना लगाया जायेगा.