रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में लगातार बढ़ते प्लास्टिक को हटाने की मुहिम शुरू हो गई है. रामानंद आश्रम और ललित महाराज के संरक्षण में प्लास्टिक हटाने की मुहिम शुरू की गई है. पूरी केदारपुरी को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें पुराना घोड़ा पड़ाव, भैरव मंदिर, केदारपुरी नगरी और बेस कैंप प्रमुख हैं. इस मुहिम में अब धीरे-धीरे अन्य संस्थाओं का भी सहयोग मिल रहा है.
इस बार गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक सैकड़ों दुकानें खुल गई हैं. कई दुकानों को आवंटित किया गया है, तो कई दुकानें बिना अनुमति के खुल गई हैं, जिस कारण पूरे यात्रा मार्ग पर प्लास्टिक ही प्लास्टिक दिख रही है. प्लास्टिक हटाने की मुहिम सबसे पहले रामानंद आश्रम और पुराने घोड़ा पड़ाव से शुरू की गयी है. पुराने पैदल मार्ग में प्लास्टिक की खाली बोतलें, बिस्कुट, नमकीन के रैपर सहित करीब 50 किलो कचरा हटाया गया. इसमें साधु संतों ने भी सहयोग किया.
प्लास्टिक हटाने की मुहिम केदारनाथ मंदिर से साढ़े तीन किमी आगे चोराबाड़ी ताल में भी की गई, जिसमे करीब 20 किलो प्लास्टिक हटाया गया. यहां भी कई स्थानों पर प्लास्टिक की बोतलें साफ की गईं. उसके बाद भैरव मंदिर की तरफ से प्लास्टिक कचरा हटाने का कार्य किया गया. इस कार्य में कई युवाओं और साधु महात्माओं ने भी सहयोग दिया.
इस मौके पर ललित महाराज ने कहा कि इन दिनों रोजाना हजारों की संख्या में यात्री केदारनाथ धाम के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. इस कारण केदारपुरी में प्लास्टिक का कचरा जमा हो रहा है. ऐसे में प्लास्टिक का कचरा हटाना भी बड़ी चुनौती बन गई है, जिसे हम सब को मिलकर हटाना होगा. जिला प्रशासन के पास केदारघाटी में प्लास्टिक कचरा हटाने का कोई भी ठोस प्रबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि केदारपुरी में हर दिन 20 हजार से अधिक श्रद्धालु आ रहे हैं, जो अपने साथ प्लास्टिक भी ला रहे हैं. यहां दुकानों के बाहर कूड़े का ढेर लगा रहता है. केदारपुरी में प्लास्टिक और कचरा के निस्तारण की जिमेदारी नगर पंचायत की है लेकिन वो भी केवल खानापूर्ति के लिए सरस्वती नदी के किनारे गड्ढा खोदकर उसमें कूड़ा डाल देते हैं. जबकि गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक सफाई और कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल की है. वो भी कचरे को केदारपुरी में ही एकत्रित कर रहे हैं.
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खाली बोतल लौटाने पर मिलेंगे 5 रुपये: जिला प्रशासन अब बोतल में बार कोड लगाकर खाली बोतलों को एकत्रित करने की योजना तैयार कर रहा है. इस मुहिम में जिला प्रशासन ने एक कंपनी के साथ अनुबंध किया है, जो गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक बार कोड लगी बोतलों को बेचेगा. श्रद्धालुओं द्वारा बार कोड लगी बोतल को वापस लौटाने पर पांच रुपए दिए जाएंगे. रामानंद आश्रम की तरफ से चलाई जा रही इस मुहिम में संदीप गुसाईं, प्रकाश सिमल्टी, शशांक कांडपाल, रोहित सिंह, स्वामी पुरुषार्थ देव के साथ कई अन्य साधु संतों ने भी सहयोग किया.