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वाॅयर मेस से केदारनाथ में रुकेंगी दुर्घटनाएं, प्रशासन ने डीडीएमए को सौंपा कार्य

इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक केदारधाम सहित पैदल पड़ावों पर जमकर बारिश के साथ बर्फबारी हुई है. जिसके कारण केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य भी ठप पड़े हुए हैं. साथ ही बर्फबारी के कारण प्रशासन के लिए भी यात्रा का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं हो रहा है.

वाॅयर मेस से केदारनाथ में रुकेंगी दुर्घटनाएं.
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Published : May 31, 2019, 7:51 PM IST

रुद्रप्रयाग: इस बार केदारनाथ यात्रा में ग्लेशियर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. अब तक ग्लेशियर के कारण दो तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसके कारण पैदल मार्ग के धाम की यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि, प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग से बर्फ को हटा लिया लिया गया है. लेकिन पिघलते ग्लेशियरों के कारण हर रोज प्रशासन के सामने परेशानियां खड़ी हो रही हैं. जिनसे निपटने के लिए प्रशासन ने रास्ता निकाल लिया है. पिघलने वाले ग्लेशियरों से गिरने वाले पत्थरों को रोकने के लिए अब प्रशासन वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है. जिससे हर दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लग सकेगी.

वाॅयर मेस से केदारनाथ में रुकेंगी दुर्घटनाएं.

दरअसल, इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक केदारधाम सहित पैदल पड़ावों पर जमकर बारिश के साथ बर्फबारी हुई है. जिसके कारण केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य भी ठप पड़े हुए हैं. साथ ही बर्फबारी के कारण प्रशासन के लिए भी यात्रा का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं हो रहा है. आये दिन पिघलते ग्लेशियर और बर्फबारी के कारण पैदल मार्ग पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. अभी भी लिनचौली से केदारनाथ के बीच कई जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं जो तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं. पैदल पड़ावों पर ग्लेशियरों के साथ गिरने वाले पत्थरों के कारण तीर्थयात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.

पढ़ें-रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग, कलक्ट्रेट भवन तक पहुंची लपटें

बर्फबारी, ग्लेशियर और उपर से गिरने वाले पत्थरों की समस्या से निपटकर केदारधाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है. जिसके चलते अब प्रशासन ने ग्लेशियरों और गिरने वाले पत्थरों से यात्रियों को बचाने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण करने पर विचार किया है. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जानकारी देते हुे बताया कि ग्लेशियरों से आये दिन पत्थरों के गिरने की शिकायत आ रही है. ऐसे में पत्थरों की स्पीड को रोकने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है.

पढ़ें-पत्नी को ससुराल लेने की गए युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, परिवारवालों ने कही ये बात

मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि वायर मेस लगने के बाद पत्थरों के गिरने का सिलसिला बंद हो जायेगा. मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि डीडीएमए को इसका कार्य सौंप दिया गया है. एक सप्ताह के भीतर ही इसका काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि वाॅडिया इंस्टीट्यूट की टीम ग्लेशियरों का अध्ययन कर चुकी है. जैसे ही अध्ययन की रिपोर्ट आ जाएगी उसके बाद कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

पढ़ें-गुलदार की दस्तक से दहशत में ग्रामीण, वन विभाग सो रहा चैन की नींद

बता दें कि केदारनाथ यात्रा में अब तक 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसमें छह यात्रियों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. जबकि दो तीर्थयात्रियों की मौत ग्लेशियर के साथ पत्थर गिरने से हुई है. इसके अलावा अन्य तीर्थयात्रियों की हृदयगति रुकने के कारण मौत हुई है.

रुद्रप्रयाग: इस बार केदारनाथ यात्रा में ग्लेशियर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. अब तक ग्लेशियर के कारण दो तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसके कारण पैदल मार्ग के धाम की यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि, प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग से बर्फ को हटा लिया लिया गया है. लेकिन पिघलते ग्लेशियरों के कारण हर रोज प्रशासन के सामने परेशानियां खड़ी हो रही हैं. जिनसे निपटने के लिए प्रशासन ने रास्ता निकाल लिया है. पिघलने वाले ग्लेशियरों से गिरने वाले पत्थरों को रोकने के लिए अब प्रशासन वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है. जिससे हर दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लग सकेगी.

वाॅयर मेस से केदारनाथ में रुकेंगी दुर्घटनाएं.

दरअसल, इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक केदारधाम सहित पैदल पड़ावों पर जमकर बारिश के साथ बर्फबारी हुई है. जिसके कारण केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य भी ठप पड़े हुए हैं. साथ ही बर्फबारी के कारण प्रशासन के लिए भी यात्रा का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं हो रहा है. आये दिन पिघलते ग्लेशियर और बर्फबारी के कारण पैदल मार्ग पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. अभी भी लिनचौली से केदारनाथ के बीच कई जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं जो तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं. पैदल पड़ावों पर ग्लेशियरों के साथ गिरने वाले पत्थरों के कारण तीर्थयात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.

पढ़ें-रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग, कलक्ट्रेट भवन तक पहुंची लपटें

बर्फबारी, ग्लेशियर और उपर से गिरने वाले पत्थरों की समस्या से निपटकर केदारधाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है. जिसके चलते अब प्रशासन ने ग्लेशियरों और गिरने वाले पत्थरों से यात्रियों को बचाने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण करने पर विचार किया है. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जानकारी देते हुे बताया कि ग्लेशियरों से आये दिन पत्थरों के गिरने की शिकायत आ रही है. ऐसे में पत्थरों की स्पीड को रोकने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है.

पढ़ें-पत्नी को ससुराल लेने की गए युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, परिवारवालों ने कही ये बात

मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि वायर मेस लगने के बाद पत्थरों के गिरने का सिलसिला बंद हो जायेगा. मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि डीडीएमए को इसका कार्य सौंप दिया गया है. एक सप्ताह के भीतर ही इसका काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि वाॅडिया इंस्टीट्यूट की टीम ग्लेशियरों का अध्ययन कर चुकी है. जैसे ही अध्ययन की रिपोर्ट आ जाएगी उसके बाद कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

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बता दें कि केदारनाथ यात्रा में अब तक 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसमें छह यात्रियों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. जबकि दो तीर्थयात्रियों की मौत ग्लेशियर के साथ पत्थर गिरने से हुई है. इसके अलावा अन्य तीर्थयात्रियों की हृदयगति रुकने के कारण मौत हुई है.


दो तीर्थयात्रियों की मौत के बाद जागा प्रशासन
ग्लेशियरों से गिर रहे पत्थरों का निकाला समाधान
पैदल रास्ते के ऊपर ग्लेशियर में लगाये जायेंगे वायर मेस
वाॅयर मेस लगने के बाद पत्थरों के गिरने का सिलसिला होगा बंद
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - ग्लेशियर का समाधान
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/31 मई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबी
एंकर - केदारनाथ में इस बार ग्लेशियर प्रशासन के लिए चुनौती बने हुए हैं। ग्लेशियर से पत्थर गिरने के कारण दो तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि यहां पर सफर करना किसी खतरे से खाली भी नहीं है। प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग से बर्फ को साफ कर लिया गया है, मगर पैदल मार्ग के दोनों ओर उभरे ग्लेशियर परेशानी खड़े कर रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए प्रशासन ने रास्ता निकाल लिया है।
दरअसल, इस वर्ष जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक केदारधाम सहित पैदल पड़ावों में जमकर बारिश के साथ बर्फवारी हुई। बर्फवारी के कारण केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य भी ठप पड़े रहे। प्रशासन के लिए भी यात्रा का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं था, बावजूद इसके बर्फ को हटाकर और पैदल रास्तों को दुरूस्त करते हुए यात्रा को शुरू किया गया। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि अभी भी लिनचैली से केदारनाथ के बीच कई जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं, जो तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बन गये हैं। पैदल पड़ाव में यात्रा के समय ग्लेशियरों के बीच से तीर्थयात्रियों के ऊपर पत्थर गिर रहे हैं, जिससे उनकी मौत हो रही हैं। अब तक दो तीर्थयात्रियों की ग्लेशियर के कारण मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हो चुके है। बर्फ को काटकर बनाये गये रास्तों के बीच से होकर तीर्थयात्री गुजर रहे हैं। रास्तों के दोनों ओर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं, जो यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बने हैं। प्रशासन की ओर से ग्लेशियरों से पत्थर गिरकर दो तीर्थयात्रियों की मौत के बाद समाधान निकाल लिया गया है।
लिनचैली से केदारनाथ के बीच उभरे ग्लेशियरों से बचने का प्रशासन ने समाधान ढंूढा है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि ग्लेशियरों से आये दिन पत्थरों के गिरने की शिकायत आ रही है। ऐसे में पत्थरों की स्पीड को रोकने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है। रास्ते के ऊपर ग्लेशियर में वायर मेस लगने के बाद पत्थरों के गिरने का सिलसिला बंद हो जायेगा। डीडीएमए इस कार्य को कर रहा है। एक सप्ताह के भीतर कार्य को पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि वाॅडिया इंस्ट्टियूट की टीम ग्लेशियर का अध्ययन कर चुकी है और रिपोर्ट आने के बाद ग्लेशियर को लेकर कार्यवाही शुरू की जायेगी।
आपकों बता दें कि केदारनाथ यात्रा में अब तक 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, जिसमें छः यात्रियों की आॅक्सीजन की कमी, दो तीर्थयात्रियों की ग्लेशियर से पत्थर गिरने और अन्य तीर्थयात्रियों की हद्यगति रूकने के कारण मौत हुई है।
बाइट - मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी

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