रुद्रप्रयाग: इस बार केदारनाथ यात्रा में ग्लेशियर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. अब तक ग्लेशियर के कारण दो तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसके कारण पैदल मार्ग के धाम की यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि, प्रशासन की ओर से पैदल मार्ग से बर्फ को हटा लिया लिया गया है. लेकिन पिघलते ग्लेशियरों के कारण हर रोज प्रशासन के सामने परेशानियां खड़ी हो रही हैं. जिनसे निपटने के लिए प्रशासन ने रास्ता निकाल लिया है. पिघलने वाले ग्लेशियरों से गिरने वाले पत्थरों को रोकने के लिए अब प्रशासन वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है. जिससे हर दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लग सकेगी.
दरअसल, इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक केदारधाम सहित पैदल पड़ावों पर जमकर बारिश के साथ बर्फबारी हुई है. जिसके कारण केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य भी ठप पड़े हुए हैं. साथ ही बर्फबारी के कारण प्रशासन के लिए भी यात्रा का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं हो रहा है. आये दिन पिघलते ग्लेशियर और बर्फबारी के कारण पैदल मार्ग पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. अभी भी लिनचौली से केदारनाथ के बीच कई जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं जो तीर्थयात्रियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं. पैदल पड़ावों पर ग्लेशियरों के साथ गिरने वाले पत्थरों के कारण तीर्थयात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.
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बर्फबारी, ग्लेशियर और उपर से गिरने वाले पत्थरों की समस्या से निपटकर केदारधाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है. जिसके चलते अब प्रशासन ने ग्लेशियरों और गिरने वाले पत्थरों से यात्रियों को बचाने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण करने पर विचार किया है. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जानकारी देते हुे बताया कि ग्लेशियरों से आये दिन पत्थरों के गिरने की शिकायत आ रही है. ऐसे में पत्थरों की स्पीड को रोकने के लिए वाॅयर मेस (सुरक्षात्मक जाली) का निर्माण किया जा रहा है.
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मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि वायर मेस लगने के बाद पत्थरों के गिरने का सिलसिला बंद हो जायेगा. मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि डीडीएमए को इसका कार्य सौंप दिया गया है. एक सप्ताह के भीतर ही इसका काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि वाॅडिया इंस्टीट्यूट की टीम ग्लेशियरों का अध्ययन कर चुकी है. जैसे ही अध्ययन की रिपोर्ट आ जाएगी उसके बाद कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.
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बता दें कि केदारनाथ यात्रा में अब तक 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जिसमें छह यात्रियों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. जबकि दो तीर्थयात्रियों की मौत ग्लेशियर के साथ पत्थर गिरने से हुई है. इसके अलावा अन्य तीर्थयात्रियों की हृदयगति रुकने के कारण मौत हुई है.