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शर्मसार उत्तराखंडः बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने ली महिला की जान, कौन देगा जुड़वा नवजात को मां का प्यार?

नेपाल बॉर्डर से सटे सेल गांव में एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज ना मिलने के कारण मौत गई है. महिला ने दो जुड़वा बच्चों को भी जन्म दिया है. जिन्हें जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.

pithoragarh
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Published : Jul 29, 2019, 9:47 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 3:55 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे की बदहाल हालत किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. यहां एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है. हालांकि, प्रसूता ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है.

समय पर स्वास्थ्य सुविधा ना मिलने पर महिला की मौत.

आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. सरकार सीमांत क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत एकदम जुदा है.

दरअसल, नेपाल बॉर्डर से सटे सेल गांव में एक गर्भवती महिला बिंदु देवी को 25 जुलाई को अचनाक प्रसव पीड़ा शुरू हुई. जिसे देख परिजन गांव के एलोपैथिक अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर और एएनएम के नहीं होने की वजह से परिजनों को दाई की मदद से प्रसव कराना पड़ा.

ये भी पढे़ंः विश्व बाघ दिवसः उत्तराखंड में बढ़े 102 बाघ, पीएम मोदी ने बताई ये बात

बीते 26 जुलाई की रात को करीब एक बजे बिंदु देवी ने अपने घर में ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. जिसके बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई. जिस पर परिजन जिला अस्पताल ले गए, लेकिन सल्ला-रौतगड़ा मार्ग पर भूस्खलन के चलते बंद होने से महिला को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. 27 जुलाई की सुबह रास्ते में ही बिंदु देवी ने एक बेटी को जन्म दिया.

मार्ग बंद होने की वजह से परिजन महिला को घर वापस ले आए. जहां पर उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई और महिला की मौत हो गई. उधर, जुड़वा बच्चों को फिलहाल जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. वहीं, मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर विभिन्न संगठन और स्थानीय लोग सोमवार मुख्य चिकित्साधिकारी और जिलाधिकारी से मिले.

ये भी पढे़ंः सावन के दूसरे सोमवार पर बाबा केदार और तुंगनाथ में उमड़ी भक्तों की भीड़

ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर और एएनएम अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं. जिसका खामियाजा बिंदु देवी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. वहीं, मुख्य चिकित्साधीक्षक ने एएनएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है, जबकि डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लेने से स्वास्थ्य विभाग बचता नजर आ रहा है.

उधर, मार्ग बंद होने के सवाल पर जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे का कहना है कि सल्ला-रौतगड़ा मोटरमार्ग को जल्द खोला जाएगा. साथ ही कहा कि मानसून सीजन के दौरान सड़क निर्माण कार्य पर भी रोक लगाई जाएगी.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे की बदहाल हालत किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. यहां एक गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है. हालांकि, प्रसूता ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है.

समय पर स्वास्थ्य सुविधा ना मिलने पर महिला की मौत.

आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. सरकार सीमांत क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत एकदम जुदा है.

दरअसल, नेपाल बॉर्डर से सटे सेल गांव में एक गर्भवती महिला बिंदु देवी को 25 जुलाई को अचनाक प्रसव पीड़ा शुरू हुई. जिसे देख परिजन गांव के एलोपैथिक अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर और एएनएम के नहीं होने की वजह से परिजनों को दाई की मदद से प्रसव कराना पड़ा.

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बीते 26 जुलाई की रात को करीब एक बजे बिंदु देवी ने अपने घर में ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. जिसके बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई. जिस पर परिजन जिला अस्पताल ले गए, लेकिन सल्ला-रौतगड़ा मार्ग पर भूस्खलन के चलते बंद होने से महिला को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. 27 जुलाई की सुबह रास्ते में ही बिंदु देवी ने एक बेटी को जन्म दिया.

मार्ग बंद होने की वजह से परिजन महिला को घर वापस ले आए. जहां पर उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई और महिला की मौत हो गई. उधर, जुड़वा बच्चों को फिलहाल जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. वहीं, मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर विभिन्न संगठन और स्थानीय लोग सोमवार मुख्य चिकित्साधिकारी और जिलाधिकारी से मिले.

ये भी पढे़ंः सावन के दूसरे सोमवार पर बाबा केदार और तुंगनाथ में उमड़ी भक्तों की भीड़

ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर और एएनएम अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं. जिसका खामियाजा बिंदु देवी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. वहीं, मुख्य चिकित्साधीक्षक ने एएनएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है, जबकि डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लेने से स्वास्थ्य विभाग बचता नजर आ रहा है.

उधर, मार्ग बंद होने के सवाल पर जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे का कहना है कि सल्ला-रौतगड़ा मोटरमार्ग को जल्द खोला जाएगा. साथ ही कहा कि मानसून सीजन के दौरान सड़क निर्माण कार्य पर भी रोक लगाई जाएगी.

Intro:पिथौरागढ़: भले ही सरकार सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लाख दावे करे मगर जमीनी हकीकत एकदम जुदा है। आलम ये है कि स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में पिथौरागढ़ जिले के सेल गाँव में एक गर्भवती महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। मगर समय पर इलाज ना मिलने की वजह से प्रसूता की मौत हो गयी।

जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली सेल गाँव की बिंदु देवी ने प्री मैच्योर डिलीवरी के बाद इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बिंदु देवी को 25 जुलाई को प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। मगर गाँव के एलोपैथिक अस्पताल में डॉक्टर और एएनएम ना होने की वजह से परिजनों ने दाई की मदद से महिला का प्रसव कराना पड़ा। 26 जुलाई की रात 1 बजे बिंदु देवी ने घर में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। महिला की तबियत बिगड़ने पर प्रसव पीड़िता को जिला अस्पताल लाया जा रहा था। मगर सल्ला-रौतगड़ा मार्ग भूस्खलन के चलते बंद होने से महिला को अस्पताल नही पहुंचाया जा सका। 27 जुलाई की सुबह रास्ते मे ही बिंदु देवी ने एक लड़की को जन्म दिया। मार्ग बंद होने की वजह से परिजन महिला को घर ले आये। जहां हालत बिगड़ने पर शनिवार शाम को महिला का निधन हो गया।

जुड़वा बच्चों को फिलहाल जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। वहीं इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर विभिन्न संगठन और स्थानीय लोग आज(सोमवार) मुख्य चिकित्साधिकारी और जिलाधिकारी से मिले। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर और एएनएम अक्सर अस्पताल से नदारद रहते है। जिसका खामियाजा बिंदु देवी को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। वहीं मामले को तूल पकड़ता देख मुख्य चिकित्साधीक्षक ने एएनएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की है जबकि डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लेने से स्वास्थ्य विभाग बच रहा है। वहीं मार्ग बंद होने पर जिलाधिकारी का कहना है कि सल्ला-रौतगड़ा मोटरमार्ग को जल्द ही खोल दिया जाएगा। साथ ही मानसून सीजन के दौरान सड़क निर्माण के कार्य पर भी रोक लगाई जायेगी।

ये कोई पहला वाकिया नही जब स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते प्रसव पीड़िता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। आज भी पिठौरागढ़ जिले के कई सीमांत गाँव ऐसे जो व्यवस्थाओं की दोहरी मार झेल रहे है। यहां लोग आज भी आदिम युग से जीवन जीने को मजबूर है और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में असमय ही काल के गाल में समां रहे हैं ।

Byte1: जगदीश कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
Byte2: ऊषा गुंज्याल, सीएमओ, पिथौरागढ़
Byte3: विजय जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़



Body:पिथौरागढ़: भले ही सरकार सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लाख दावे करे मगर जमीनी हकीकत एकदम जुदा है। आलम ये है कि स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में पिथौरागढ़ जिले के सेल गाँव में एक गर्भवती महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। मगर समय पर इलाज ना मिलने की वजह से प्रसूता की मौत हो गयी।

नेपाल बॉर्डर से लगे सेल गाँव में जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली बिंदु देवी ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बिंदु देवी को 25 जुलाई को प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। मगर गाँव के एलोपैथिक अस्पताल में डॉक्टर और एएनएम ना होने की वजह से परिजनों ने दाई की मदद से महिला का प्रसव कराना पड़ा। 26 जुलाई की रात 1 बजे बिंदु देवी ने घर में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। महिला की तबियत बिगड़ने पर प्रसव पीड़िता को जिला अस्पताल लाया जा रहा था। मगर सल्ला-रौतगड़ा मार्ग भूस्खलन के चलते बंद होने से महिला को अस्पताल नही पहुंचाया जा सका। 27 जुलाई की सुबह रास्ते मे ही बिंदु देवी ने एक लड़की को जन्म दिया। मार्ग बंद होने की वजह से परिजन महिला को घर ले आये। जहां हालत बिगड़ने पर शनिवार शाम को महिला का निधन हो गया।

जुड़वा बच्चों को फिलहाल जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। मगर इन नवजात बच्चों की परवरिश बिना मां कैसे होगी ये बड़ा सवाल बना हुआ है। वहीं इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर विभिन्न संगठन और स्थानीय लोग आज(सोमवार) मुख्य चिकित्साधिकारी और जिलाधिकारी से मिले। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर और एएनएम अक्सर अस्पताल से नदारद रहते है। जिसका खामियाजा बिंदु देवी को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। वहीं मामले को तूल पकड़ता देख मुख्य चिकित्साधीक्षक ने एएनएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है जबकि डॉक्टर के खिलाफ एक्शन लेने से स्वास्थ्य विभाग बच रहा है। वहीं मार्ग बंद होने पर जिलाधिकारी का कहना है कि सल्ला-रौतगड़ा मोटरमार्ग को जल्द ही खोल दिया जाएगा। साथ ही मानसून सीजन के दौरान सड़क निर्माण के कार्य पर भी रोक लगाई जायेगी।

ये कोई पहला वाकिया नही जब स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते प्रसव पीड़िता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। आज भी पिथौरागढ़ जिले के कई सीमांत गाँव ऐसे जो व्यवस्थाओं की दोहरी मार झेल रहे है। यहां लोग आज भी आदिम युग से जीवन जीने को मजबूर है और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में असमय ही काल के गाल में समां रहे हैं ।

Byte1: जगदीश कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता
Byte2: ऊषा गुंज्याल, सीएमओ, पिथौरागढ़
Byte3: विजय जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़



Conclusion:
Last Updated : Jul 30, 2019, 3:55 PM IST
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