पिथौरागढ़: डीडीहाट विधानसभा में 25 सालों से बीजेपी का परचम लहराया हुआ है. राज्य बनने से पहले बीजेपी के बिशन सिंह चुफाल ने यहां जीत का जो आगाज किया था, वो अब तक बदस्तूर जारी है. लेकिन चुफाल के इस सफर में चुनावी समीकरणों ने भी उनकी खासी मदद की है. ऐसे में अब ये देखना बाकी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में चुफाल इस जीत को बरकरार रख पाते हैं या नहीं?
उत्तराखंड में डीडीहाट विधानसभा बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. राज्य बनने के बाद हुए चारों विधानसभा चुनावों में यहां से बीजेपी के बिशन सिंह चुफाल जीतते रहे हैं. इस सीट से चुफाल यूपी की विधानसभा भी पहुंचे हैं. लेकिन चुफाल की लगातार जीत में चुनावी समीकरणों का भी खासी भूमिका रही है. 2012 के चुनावों की छोड़ दें तो चुफाल को हर चुनाव में खासी चुनौती भी मिली है. मगर विरोधी मतों के बंटवारे ने उनकी राह के हर कांटे हटाये हैं.
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पहले चुनाव में चुफाल को 13 हजार 1 सौ 4 वोट मिले थे, जबकि यूकेडी को 8 हजार 6 सौ 9 और कांग्रेस को 7 हजार 6 सौ 65 वोट मिले. वहीं, दूसरे चुनाव में चुफाल को 12 हजार 5 सौ 12, कांग्रेस को 10 हजार 2 सौ 18 और निर्दलीय जगजीवन कन्याल को 5 हजार 8 सौ 40 वोट मिले. तीसरे चुनाव में चुफाल को 21 हजार 89 वोट, जबकि कांग्रेस को 10 हजार 4 सौ 72 और बसपा को 10 हजार 1 सौ 83 वोट मिले थे. बीते चुनाव में चुफाल को खासी चुनौती मिली.
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इस चुनाव में बीजेपी के बागी किशन भंडारी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. वोट के लिहाज से देखे तो चुफाल को 2017 में 17 हजार 3 सौ 92, बागी किशन भंडारी को 15 हजार 24 वोट और कांग्रेस के प्रदीप पाल को 14 हजार 4 सौ 70 वोट मिले थे. यही वजह है कि चुफाल विरोधी इस बार विरोधी वोट का बंटवारा हर हाल में रोकना चाहते हैं.बिशन सिंह चुफाल जमीनी स्तर के नेता है, उनका क्षेत्र के मतदाताओं से सीधा रिश्ता है. इस बार इस सीट पर सभी की निगाहें इसलिए भी जमीं है, क्योंकि यहीं सीएम पुष्कर धामी का पैतृक गांव भी है. ऐसे में अब देखना दिलचस्प कि 2022 के चुनावों में ऊंट किस करवट बैठता है.