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लिपुलेख सड़क बनने से कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट को लगेंगे पंख, क्षेत्र में बढ़ेगा पर्यटन

लिपुलेख सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीद जताई जा रही है.

Pithoragarh News
लिपुलेख सड़क बनने से पर्यटन को मिलेगी मदद
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Published : Dec 7, 2020, 8:29 PM IST

पिथौरागढ़: चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा रुट में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं बढ़ जाएगी. इस इलाके में प्रकृति ने जमकर अपना खजाना लुटाया है. आदि कैलाश से लेकर ऊं पर्वत तक यहां प्रकृति की कई ऐसी धरोहर हैं, जो पर्यटन को चार चांद लगा सकती है. रोड बनने से पहले इन इलाकों में पहुंचना आसान नहीं था. लेकिन अब ये इलाका मुख्यधारा से जुड़ गए हैं.

चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद भारत का सुरक्षा तंत्र तो मजबूत हुआ ही है. साथ ही ये रोड बॉर्डर इलाकों में पर्यटन के लिए मील का पत्थर भी साबित हो सकता है. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद गुंजी से आगे चीन सीमा तक प्रकृति ने यहां वो नेमत बिखेरी है, जिसके दीदार का सपना पहाड़ आने वाले हर सैलानी को रहता है.

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन LIVE : भारत बंद से तृणमूल कांग्रेस ने किनारा किया

हिमालय की गोद में बसा ये इलाका दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. इस इलाके में आदि कैलाश, पार्वती ताल, व्यास गुफा और ऊं पर्वत जैसे प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल हैं. जो देखने वालों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस इलाके में नाबी और कूटी गांव होम स्टे के क्षेत्र में खुद को पहले ही स्थापित कर चुके हैं.

कुमाऊं मंडल विकास निगम भी अब नेचर की इस खूबसूरती को पर्यटन के केन्द्र में लाना चाह रहा है. अगर सरकार ठोस प्लान तैयार करें तो, वो दिन दूर नहीं होगा जब साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहेगा और सीमांत क्षेत्र के लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिलने के साथ ही राज्य के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.

पिथौरागढ़: चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा रुट में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं बढ़ जाएगी. इस इलाके में प्रकृति ने जमकर अपना खजाना लुटाया है. आदि कैलाश से लेकर ऊं पर्वत तक यहां प्रकृति की कई ऐसी धरोहर हैं, जो पर्यटन को चार चांद लगा सकती है. रोड बनने से पहले इन इलाकों में पहुंचना आसान नहीं था. लेकिन अब ये इलाका मुख्यधारा से जुड़ गए हैं.

चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद भारत का सुरक्षा तंत्र तो मजबूत हुआ ही है. साथ ही ये रोड बॉर्डर इलाकों में पर्यटन के लिए मील का पत्थर भी साबित हो सकता है. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद गुंजी से आगे चीन सीमा तक प्रकृति ने यहां वो नेमत बिखेरी है, जिसके दीदार का सपना पहाड़ आने वाले हर सैलानी को रहता है.

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हिमालय की गोद में बसा ये इलाका दुनिया के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. इस इलाके में आदि कैलाश, पार्वती ताल, व्यास गुफा और ऊं पर्वत जैसे प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल हैं. जो देखने वालों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस इलाके में नाबी और कूटी गांव होम स्टे के क्षेत्र में खुद को पहले ही स्थापित कर चुके हैं.

कुमाऊं मंडल विकास निगम भी अब नेचर की इस खूबसूरती को पर्यटन के केन्द्र में लाना चाह रहा है. अगर सरकार ठोस प्लान तैयार करें तो, वो दिन दूर नहीं होगा जब साल भर यहां सैलानियों का तांता लगा रहेगा और सीमांत क्षेत्र के लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिलने के साथ ही राज्य के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.

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