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उत्तराखंड में डॉक्टरों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस, मेडिकल कॉलेजों के लिए नई एसओपी, 1 जनवरी से लागू होंगे नियम

स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने की विभागीय बैठक, अधिकारियों को दिये निर्देश

UTTARAKHAND HEALTH DEPARTMENT
उत्तराखंड में डॉक्टरों की लगेगी बायोमेट्रिक अटेंडेंस (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 8 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के साथ ही डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी तय करने के लिए समय-समय पर तमाम निर्णय लेता रहता है. इसी क्रम में प्रदेश में संचालित राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए अलग से एसओपी बनाने का निर्णय लिया है. जिसका पालन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही डॉक्टर्स को भी करना होगा. इसके अलावा सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य रूप से लगानी होगी.

डॉक्टरों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस, कर्मचारी भी करेंगे पालन: बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने शासकीय आवास पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए की प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए एसओपी तैयार की जाये. इस एसओपी में चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों के कामों और दायित्वों के निर्वहन की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की जायेगी. जिसका पालन सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से करना होगा. ऐसे में जो कर्मचारी एसओपी का पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के साथ ही सभी कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी भी अनिवार्य की जाएगी. ये ये व्यवस्था नए साल से लागू हो जाएगी.

ये हैं एसओपी के नियम: राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को प्रतिदिन दिये जाने वाले भोजन का मेन्यू प्रत्येक वार्ड में चस्पा करना होगा. मरीजों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से पचने के लिए हर दिन भर्ती मरीजों के बेड की चादर बदलनी होगी. इसके लिए सप्ताह में सातों दिन के लिए अलग-अलग चादरों का रंग निर्धारित किया जाएगा. मेडिकल कॉलेज और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में साफ सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी वार्ड के नर्सिंग इंचार्ज और कॉलेज के सुपरीटेंडेंट की होगी. अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिलने का समय तय किया जाएगा.

1 जनवरी 2025 से लागू होगी एसओपी: आईसीयू और जच्चा बच्चा वार्ड में भर्ती मरीजों से मिलने की इजाजत किसी को नहीं होगी. एक मरीज के साथ एक ही तीमारदार वार्ड के अंदर जा सकेगा. इसके साथ ही मरीजों को दिये जाने वाले भोजन की भी लगातार मॉनिटिरिंग की जायेगी. बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिए कि ये सभी व्यवस्थाएं प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज में 1 जनवरी 2025 से लागू की जाएगी. इसके अलावा, मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के खाली पदों को भी जल्द से जल्द भरने के साथ ही आवश्यकतानुसार पैरामेडिकल, टेक्नीशियन और वार्ड ब्वॉय की आउटसोर्सिंग के जरिए तैनाती करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री ने दून मेडिकल कॉलेज मे चरक शपथ ग्रहण समारोह में की शिरकत, कहा- मानवता की सेवा है डॉक्टरी पेशा

देहरादून: उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के साथ ही डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की जिम्मेदारी तय करने के लिए समय-समय पर तमाम निर्णय लेता रहता है. इसी क्रम में प्रदेश में संचालित राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए अलग से एसओपी बनाने का निर्णय लिया है. जिसका पालन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही डॉक्टर्स को भी करना होगा. इसके अलावा सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य रूप से लगानी होगी.

डॉक्टरों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस, कर्मचारी भी करेंगे पालन: बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने शासकीय आवास पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए की प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए एसओपी तैयार की जाये. इस एसओपी में चिकित्सकों से लेकर कर्मचारियों के कामों और दायित्वों के निर्वहन की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की जायेगी. जिसका पालन सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से करना होगा. ऐसे में जो कर्मचारी एसओपी का पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के साथ ही सभी कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी भी अनिवार्य की जाएगी. ये ये व्यवस्था नए साल से लागू हो जाएगी.

ये हैं एसओपी के नियम: राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को प्रतिदिन दिये जाने वाले भोजन का मेन्यू प्रत्येक वार्ड में चस्पा करना होगा. मरीजों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से पचने के लिए हर दिन भर्ती मरीजों के बेड की चादर बदलनी होगी. इसके लिए सप्ताह में सातों दिन के लिए अलग-अलग चादरों का रंग निर्धारित किया जाएगा. मेडिकल कॉलेज और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में साफ सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी वार्ड के नर्सिंग इंचार्ज और कॉलेज के सुपरीटेंडेंट की होगी. अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिलने का समय तय किया जाएगा.

1 जनवरी 2025 से लागू होगी एसओपी: आईसीयू और जच्चा बच्चा वार्ड में भर्ती मरीजों से मिलने की इजाजत किसी को नहीं होगी. एक मरीज के साथ एक ही तीमारदार वार्ड के अंदर जा सकेगा. इसके साथ ही मरीजों को दिये जाने वाले भोजन की भी लगातार मॉनिटिरिंग की जायेगी. बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिए कि ये सभी व्यवस्थाएं प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज में 1 जनवरी 2025 से लागू की जाएगी. इसके अलावा, मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के खाली पदों को भी जल्द से जल्द भरने के साथ ही आवश्यकतानुसार पैरामेडिकल, टेक्नीशियन और वार्ड ब्वॉय की आउटसोर्सिंग के जरिए तैनाती करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री ने दून मेडिकल कॉलेज मे चरक शपथ ग्रहण समारोह में की शिरकत, कहा- मानवता की सेवा है डॉक्टरी पेशा

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