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पिथौरागढ़ में गोरी नदी उफान पर, कई गांवों को खतरा, 2013 की आपदा से भी नहीं लिया सबक - Threat to nearby villages due to flow of Gori river

पिथौरागढ़ में गोरी नदी में गाद जमने से नदी का मार्ग बदल गया है. साथ ही नदी में की प्रवाह में उफान आने से आसपास के गांवों पर खतरा मंडराने लगा है. ऐसे में शासन-प्रशासन से स्थानीय लोगों ने जान माल का नुकसान रोकने की गुहार लगाई है. ग्रामीणों का कहना है कि 2013 की आपदा के बाद से गोरी नदी के किनारे बसे गांवों में भू कटाव जारी है. अगर समय रहते सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो इस हर साल बढ़ते प्रवाह के कारण कई गांव तबाह हो जाएंगे.

Pithoragarh
पिथौरागढ़ में गोरी नदी उफान पर
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Published : Aug 7, 2022, 5:37 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 6:52 PM IST

पिथौरागढ़: पिछले कुछ वर्षों में गोरी नदी में भारी मात्रा में गाद जमा (Huge amount of silt deposited in Gori river) होने के कारण इसका मार्ग बदल गया है. ऐसे में गोरी नदी के बदले प्रवाह से अब आसपास के गांवों पर खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण स्थानीय लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं.

गोरी नदी के बदले प्रवाह के कारण गट्टाबागर, चमी, लुमती, मोरी, मनकोट, टोली, चोरीबागर, उमरगरा, फगवा, देवियागर, भदेली और मुवानी रवानी सहित बंगापानी उपमंडल के लगभग एक दर्जन गांव खतरे की जद (A dozen villages are in danger) में है. ऐसे में शासन-प्रशासन से स्थानीय लोगों ने जान माल का नुकसान रोकने की गुहार लगाई है.

चौना गांव के पूर्व ग्राम प्रधान हीरा चिराल का कहना है कि साल 2013 की आपदा (2013 disaster) में गोरी नदी के पास भदेली गांव की 15 एकड़ से अधिक खेती भूमि नदी में बह गई थी. बारिश के मौसम में नदी हमेशा उफान पर रहती है. इसकी तेज धाराएं किनार से 300 मीटर दूर आवासीय घरों तक पहुंच सकती है.

गोरी घाटी के उमरगारा निवासी मदन राम सान्याल ने कहा कि 2013 की बाढ़ में गोरी नदी के पास उनकी उपजाऊ भूमि का कटाव होने के कारण यहां के स्थानीय गोविंद राम, हयात राम, हरिमल राम और भरन राम के परिवार भूमिहीन हो गए थे. वहीं, चोरीबागर गांव के किसान दिलीप सिंह का कहना है कि नदी के किनारे कोई सुरक्षा दीवार नहीं बनी है. जिसके चलते साल 2017 में उनकी और गांव के ही दो अन्य लोगों की करीब 10 एकड़ से अधिक की कृषि भूमि नदी की बाढ़ में बह गई थी.

ये भी पढ़ें: मसूरी में यात्रियों से भरी बस पलटी, 8 की हालत गंभीर

वहीं, घारुड़ी मनकोट की ग्राम प्रधान मुन्नी देवी का कहना है कि साल 2013 की आपदा के बाद से गोरी नदी के किनारे बसे गांवों में भू कटाव जारी है. अगर समय रहते सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो इस हर साल बढ़ते प्रवाह के कारण कई गांव तबाह हो जाएंगे. जबकि, मवानी रवानी के पूर्व ग्राम प्रधान भगत सिंह मेहरा ने कहा कि गांवों को नदी के बहाव से बचाने के लिए जो सुरक्षा दीवार के प्रस्ताव शासन में भेजे गए थे, उन्हें स्वीकृति नहीं मिली है.

इस मामले में पिथौरागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट आशीष चौहान का कहना है कि हमने नदी के प्रवाह से ग्रामीणों की कृषि भूमि को बचाने के लिए गोरी नदी किनारे सुरक्षा दीवार निर्माण (security wall construction on the banks of the gori river) का प्रस्ताव शासन में भेजे हैं. ऐसे में शासन से अनुमति और बजट पास होते ही गोरी नदी किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण करवाया जाएगा.

जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि जिले की अन्य नदियों के तुलना में गोरी नदी आसपास की बस्तियों के करीब से होकर बहती है. इसलिए हर साल इसका प्रवाह बढ़ने के कारण यहां भूमि का कटाव होता है. जिले में बहने वाली अन्य प्रमुख नदियां से लोगों के खेत और घर बहुत दूर हैं.

पिथौरागढ़ के भूविज्ञानी प्रदीप कुमार का कहना है कि गोरी नदी के किनारे के गांव हजारों वर्षों से नदी से प्रवाह से कारण यहां आई मिट्टी के टीलों पर स्थित है. वहीं, अब धीरे-धीरे नदी के बीच में गाद जमा होने के कारण नदी का प्रवाह गांवों की ओर होने लगा है.

अगर, इन गांवों को बचाना है तो यह नदी किनारे सुरक्षा दीवारों को गहरा खोदना होगा. क्योंकि नदी के तल पर कोई कठोर चट्टानें नहीं है. साथ ही नदी के बीच में इकट्ठा हुई गाद को हटाकर भी नदी को गांवों की ओर बहने से रोका जा सकता है. हालांकि, इसमें काफी समय और पैसा लगेगा.

पिथौरागढ़: पिछले कुछ वर्षों में गोरी नदी में भारी मात्रा में गाद जमा (Huge amount of silt deposited in Gori river) होने के कारण इसका मार्ग बदल गया है. ऐसे में गोरी नदी के बदले प्रवाह से अब आसपास के गांवों पर खतरा मंडरा रहा है. जिसके कारण स्थानीय लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं.

गोरी नदी के बदले प्रवाह के कारण गट्टाबागर, चमी, लुमती, मोरी, मनकोट, टोली, चोरीबागर, उमरगरा, फगवा, देवियागर, भदेली और मुवानी रवानी सहित बंगापानी उपमंडल के लगभग एक दर्जन गांव खतरे की जद (A dozen villages are in danger) में है. ऐसे में शासन-प्रशासन से स्थानीय लोगों ने जान माल का नुकसान रोकने की गुहार लगाई है.

चौना गांव के पूर्व ग्राम प्रधान हीरा चिराल का कहना है कि साल 2013 की आपदा (2013 disaster) में गोरी नदी के पास भदेली गांव की 15 एकड़ से अधिक खेती भूमि नदी में बह गई थी. बारिश के मौसम में नदी हमेशा उफान पर रहती है. इसकी तेज धाराएं किनार से 300 मीटर दूर आवासीय घरों तक पहुंच सकती है.

गोरी घाटी के उमरगारा निवासी मदन राम सान्याल ने कहा कि 2013 की बाढ़ में गोरी नदी के पास उनकी उपजाऊ भूमि का कटाव होने के कारण यहां के स्थानीय गोविंद राम, हयात राम, हरिमल राम और भरन राम के परिवार भूमिहीन हो गए थे. वहीं, चोरीबागर गांव के किसान दिलीप सिंह का कहना है कि नदी के किनारे कोई सुरक्षा दीवार नहीं बनी है. जिसके चलते साल 2017 में उनकी और गांव के ही दो अन्य लोगों की करीब 10 एकड़ से अधिक की कृषि भूमि नदी की बाढ़ में बह गई थी.

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वहीं, घारुड़ी मनकोट की ग्राम प्रधान मुन्नी देवी का कहना है कि साल 2013 की आपदा के बाद से गोरी नदी के किनारे बसे गांवों में भू कटाव जारी है. अगर समय रहते सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो इस हर साल बढ़ते प्रवाह के कारण कई गांव तबाह हो जाएंगे. जबकि, मवानी रवानी के पूर्व ग्राम प्रधान भगत सिंह मेहरा ने कहा कि गांवों को नदी के बहाव से बचाने के लिए जो सुरक्षा दीवार के प्रस्ताव शासन में भेजे गए थे, उन्हें स्वीकृति नहीं मिली है.

इस मामले में पिथौरागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट आशीष चौहान का कहना है कि हमने नदी के प्रवाह से ग्रामीणों की कृषि भूमि को बचाने के लिए गोरी नदी किनारे सुरक्षा दीवार निर्माण (security wall construction on the banks of the gori river) का प्रस्ताव शासन में भेजे हैं. ऐसे में शासन से अनुमति और बजट पास होते ही गोरी नदी किनारे सुरक्षा दीवार का निर्माण करवाया जाएगा.

जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि जिले की अन्य नदियों के तुलना में गोरी नदी आसपास की बस्तियों के करीब से होकर बहती है. इसलिए हर साल इसका प्रवाह बढ़ने के कारण यहां भूमि का कटाव होता है. जिले में बहने वाली अन्य प्रमुख नदियां से लोगों के खेत और घर बहुत दूर हैं.

पिथौरागढ़ के भूविज्ञानी प्रदीप कुमार का कहना है कि गोरी नदी के किनारे के गांव हजारों वर्षों से नदी से प्रवाह से कारण यहां आई मिट्टी के टीलों पर स्थित है. वहीं, अब धीरे-धीरे नदी के बीच में गाद जमा होने के कारण नदी का प्रवाह गांवों की ओर होने लगा है.

अगर, इन गांवों को बचाना है तो यह नदी किनारे सुरक्षा दीवारों को गहरा खोदना होगा. क्योंकि नदी के तल पर कोई कठोर चट्टानें नहीं है. साथ ही नदी के बीच में इकट्ठा हुई गाद को हटाकर भी नदी को गांवों की ओर बहने से रोका जा सकता है. हालांकि, इसमें काफी समय और पैसा लगेगा.

Last Updated : Aug 7, 2022, 6:52 PM IST
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