पिथौरागढ़: भारत और चीन के बीच इन दिनों तल्खी का माहौल है. भारत-चीन के बीच फिलहाल शब्दों के बाण चल रहे हैं. साथ ही भारत हर मोर्चे पर चीन को माकूल जवाब दे रहा है. वहीं, इस सबके बीच पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी गांव में पहली बार शिव महोत्सव का आयोजन कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है.
गौर हो कि चीन सीमा से सटे गुंजी में शिव महोत्सव का आयोजन कर पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. चीन की नाक के नीचे एक बड़ा आयोजन कर भारत ने साफ संदेश दिया है कि भारत की सीमाओं पर रहने वाले लोग अपनी कला और संस्कृति के साथ-साथ सीमाओं की भी हिफाजत कर रहे हैं. चारों तरफ बर्फ से लकदक पहाड़ और शून्य से नीचे का तापमान, ऐसे इलाकों में रहने वाले लोगों को जहां जीने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है.
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बता दें कि पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी गांव में पहली बार शिव महोत्सव का आयोजन कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है. भारत में आज तक के इतिहास में इतनी ऊंचाई पर इस तरह का कोई आयोजन नहीं हुआ है. जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों के हौसले का ही कमाल है कि इन लोगों ने हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी इतना बड़ा आयोजन कर एक नई मिसाल कायम की है.
गौर हो कि चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों और कोरोना महामारी के चलते इस बार लगातार दूसरे साल विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा और भारत-चीन स्थलीय व्यापार आयोजित नहीं हो पाया. जिसके चलते इन दिनों सीमान्त क्षेत्र में एकदम सन्नाटा पसरा हुआ था. साथ ही लोगों का रोजगार भी ठप हो गया था.
इसे देखते हुए जिला प्रशासन की पहल पर चीन सीमा पर स्थित गुंजी में 'शिवोत्सव' का आयोजन किया. उच्च हिमालयी क्षेत्र में किये गये इस महोत्सव के जरिए यहां की रंग संस्कृति को एक नया मंच मिला, साथ ही साथ तीन दिनों तक भगवान शिव की इस तपस्थली में उत्तराखंड की संस्कृति की भी धूम मची रही. लिहाजा, कलाकारों को भी शिव धाम में पहली बार अपनी प्रस्तुति देकर अलग ही आनंद की अनुभूति हुई.
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स्थानीय विधायक हरीश धामी के साथ ही गुंजी पहुंचे केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी कहा कि यह आयोजन अपने आप में एक अनूठा आयोजन है. साथ ही यह क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में देश और दुनिया में एक नया मील का पत्थर साबित होगा. उच्च हिमालयी क्षेत्र की लोक परंपरा के साथ ही भगवान शिव के इस धाम को देश और दुनिया तक पहुंचाने के लिए किया यह प्रयास सराहनीय है. साथ ही चीन-सीमा पर किये गये इस आयोजन के जरिये एक कड़ा संदेह भी दिया गया है कि भारत की सीमाओं पर रहने वाले लोग अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा के साथ ही देश की सीमाओं की भी बखूबी रक्षा करना जानते हैं.