पिथौरागढ़: लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होकर गांव लौटे युवाओं ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. टुंडाचौड़ा गांव के युवाओं ने श्रमदान के जरिये 10 दिन के भीतर डेढ़ किलोमीटर सड़क बना डाली है. प्रवासी युवाओं ने वो काम कर दिखाया है, जो आजादी के सात दशक बाद भी सरकारें नहीं कर पाई. गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को 4 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पड़ता था. जिसमें बीमार और गर्भवती महिलाओं को ले जाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता था. लेकिन प्रवासी युवाओं की इस पहल को देखते हुए अब पूरा गांव इस मुहिम को साकार करने में जुट गया है.
देश में जारी लॉकडाउन के चलते शहरों में काम करने ज्यादातर प्रवासी इस दिनों अपने गांव लौट आये हैं. ये प्रवासी अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए गांव की समस्याओं को दूर करने में जुटे हैं. जिले के टुंडाचौड़ा गांव में प्रवासी युवाओं ने अपने दम पर गांव को सड़क से जोड़ने का बीड़ा उठाया है. दरअसल गंगोलीहाट तहसील का टुंडाचौड़ा गांव सड़क मार्ग से 4 किलोमीटर की दूरी पर है. गांव तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को पैदल ही तय करनी होती है. ग्रामीण स्थानीय प्रशासन से कई बार सड़क बनाने को लेकर गुहार लगा चुके हैं. बावजूद गांव तक सड़क नहीं पहुंची. लेकिन गांव वापस लौटे प्रवासी युवाओं ने श्रमदान के जरिए सड़क बनाना शुरू कर दिया है.
ये भी पढ़ें: जिले में हो सकेगी कोरोना की जांच, जल्द जिला अस्पताल में लगेगी ट्रूनेट मशीन
ग्राम प्रधान मनीषा बिष्ट की पहल पर प्रवासी युवाओं ने अपने दम पर सड़क बनाने का काम शुरू किया. सड़क बनाने के लिए ग्रामीणों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन दान की है. इस सड़क को तैयार करने में ग्रामीण सुबह 5 बजे से ही युवा जुट जाते हैं. ग्रामीणों की एकता और बुलंद इरादों के जरिए जल्द ही सड़क पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी. ऐसे में शहरों से बेरोजगार होकर गांव वापस लौटे युवा आत्मनिर्भरता का बड़ा संदेश दे रहे हैं. साथ ही सरकार की नीतियों को भी आइना दिखा रहे हैं.