पिथौरागढ़: झूलाघाट-पिथौरागढ़ रोड पर स्थित वड्डा बाजार में जलेबी की एक मशहूर दुकान है. इस दुकान का नाम है ‘ममता जलेबी’ (Mamta Jalebi shop of Pithoragarh). पिछले 47 साल से ये दुकान जलेबी का स्वाद परोस रही है. यहां की जलेबी के स्वाद का हर कोई कायल है. दूर-दराज से लोग यहां जलेबी का जायका लेने आते हैं.
ममता जलेबी पर बन चुका है गीत (A song has been made on Mamta Jalebi): दुकान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पर एक पहाड़ी लोकगीत भी प्रसिद्ध हुआ था. ये गीत उत्तराखण्ड की चर्चित लोकगायिका कल्पना चौहान और सुरेंद्र प्रसाद सुरीला ने गाया है.
1974 में शुरू हुई ममता जलेबी की दुकान: पिथौरागढ़ के वड्डा बाजार में स्थित ममता जलेबी की दुकान की शुरुआत 1974 में सुवाकोट निवासी गोपाल सिंह ने की थी. धीरे-धीरे ममता जलेबी (Mamta Jalebi shop of Pithoragarh is very famous) की मिठास पूरे क्षेत्र के लोगों की जुबान पर चढ़ गई. वड्डा क्षेत्र में लगने वाले मेलों के दौरान यहां जलेबी लेने के लिए लोगों की लंबी कतार देखी जा सकती है.
कल्पना चौहान ने गाया ममता जलेबी गाना: लोकगायिका कल्पना चौहान और सुरेंद्र प्रसाद सुरीला ने जब ममता जलेबी को अपने सुरों में पिरोया तो ये गीत काफी लोकप्रिय हुआ और लोग दूर-दराज से ममता जलेबी का स्वाद लेने के लिए वड्डा आने लगे.
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गोपाल सिंह के दामाद संभाल रहे हैं दुकान: गोपाल सिंह के निधन के बाद उनके दामाद गिरीश सिंह सौन ने 2013 में ममता जलेबी को चलाने का जिम्मा सम्भाला. लगातार 47 सालों से ये दुकान लोगों की जिंदगी में जलेबी की मिठास घोलने का काम कर रही है.