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मॉनसून सीजन में सूखे के हालात, खरीफ की फसलों और बागवानी को नुकसान - मॉनसून सीजन में सूखे के हालात से फसलों को नुकसान

पिथौरागढ़ में मौसम में आ रहे बदलाव से खरीफ की फसलों के साथ ही बागवानी को भी भारी नुकसान हो रहा है. इससे किसान परेशान हैं.

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Published : Jul 8, 2021, 1:03 PM IST

पिथौरागढ़: पहाड़ों में इस साल मौसम के मिजाज में बदलाव देखने को मिला है. इस बार सर्दियां बिना बर्फबारी के ही गुजर गईं. वहीं अब बरसात के मौसम में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. मौसम चक्र में आ रहे इस बदलाव से खरीफ की फसलों के साथ ही बागवानी को भी भारी नुकसान हो रहा है.

पहाड़ में मुख्यतया बोई जाने वाली खरीफ की फसलों में धान, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, मटर इत्यादि पर सूखे का संकट मंडराने लगा है.

बिन बारिश सब सून.

पहाड़ों में इस बार बरसात के मौसम में सूखे की मार खेती और बागवानी पर पड़ रही है. आलम ये है कि जुलाई का पहला हफ्ता गुजरने को है, लेकिन बरसात का कहीं नामो-निशां तक नजर नहीं आ रहा है. इस सीजन में पहाड़ हर वक्त जलमग्न रहते थे, लेकिन इस साल मौसम चक्र में लगातार बदलाव दिखा है. बीते सालों तक पहाड़ों में लोकल मॉनसून में भी जमकर बारिश हुई थी, लेकिन इस बार समुद्री मॉनसून का भी कोई पता नहीं है. जब फसलों को बारिश की दरकार है ऐसे समय में सूखा पड़ा हुआ है.

पढ़ें: पिथौरागढ़ के आपदा प्रभावित 200 परिवारों को मिलेगा विस्थापन भत्ता

कृषि के जानकारों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई और सूखे के हालात ऐसे ही बने रहे तो खरीफ की फसलों के साथ ही बागवानी को भी नुकसान होगा.

पिथौरागढ़: पहाड़ों में इस साल मौसम के मिजाज में बदलाव देखने को मिला है. इस बार सर्दियां बिना बर्फबारी के ही गुजर गईं. वहीं अब बरसात के मौसम में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. मौसम चक्र में आ रहे इस बदलाव से खरीफ की फसलों के साथ ही बागवानी को भी भारी नुकसान हो रहा है.

पहाड़ में मुख्यतया बोई जाने वाली खरीफ की फसलों में धान, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, मटर इत्यादि पर सूखे का संकट मंडराने लगा है.

बिन बारिश सब सून.

पहाड़ों में इस बार बरसात के मौसम में सूखे की मार खेती और बागवानी पर पड़ रही है. आलम ये है कि जुलाई का पहला हफ्ता गुजरने को है, लेकिन बरसात का कहीं नामो-निशां तक नजर नहीं आ रहा है. इस सीजन में पहाड़ हर वक्त जलमग्न रहते थे, लेकिन इस साल मौसम चक्र में लगातार बदलाव दिखा है. बीते सालों तक पहाड़ों में लोकल मॉनसून में भी जमकर बारिश हुई थी, लेकिन इस बार समुद्री मॉनसून का भी कोई पता नहीं है. जब फसलों को बारिश की दरकार है ऐसे समय में सूखा पड़ा हुआ है.

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कृषि के जानकारों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई और सूखे के हालात ऐसे ही बने रहे तो खरीफ की फसलों के साथ ही बागवानी को भी नुकसान होगा.

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