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पिथौरागढ़ में नेपाल की तरफ से पथराव का मामला, बुधवार को दोनों देशों के बीच होगी बैठक

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में नेपाल सीमा पर तनाव का माहौल बना हुआ है. यहां बीते कुछ दिनों से नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया जा रहा है. मजदूर झूलाघाट के पास काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई. यहां काली नदी पर तटबंध निर्माण चल रहा था. जिसको लेकर ये विवाद बताया जा रहा है. इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे थे.

Pithoragarh
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Published : Dec 5, 2022, 3:21 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक बार फिर नेपाल सीमा पर तनाव का माहौल बना हुआ है. पिथौरागढ़ जिले की सीमांत तहसील धारचूला में नेपाल सीमा पर नेपालियों की तरफ भारतीय मजदूरों पर पथराव किया जा रहा है. यहां पर भारतीय मजदूर झूलाघाट के काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं.

नेपाल की सीमा से भारतीय मजदूरों पर हो रहे पथराव के कारण सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. रविवार को भी धारचूला में झूलाघाट पर काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे भारतीय मजदूरों के ऊपर फिर से नेपाली नागरिकों द्वारा पथराव किया गया, जिसमें एक भारतीय मजदूर घायल भी हो गया.
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रविवार की हुई घटना के बाद से भारत नेपाल सीमा पर विवाद उत्पन्न हो गया है. व्यापारियों ने झूला पुल को बंद कर नेपाली नागरिकों को भारत में आने से रोक दिया. काफी हंगामे के बाद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के आपसी समझौते के बाद झूलापुल को दोनों देशों के नागरिकों के लिए खोल दिया गया है.

जानकारी के मुताबिक काली नदी में बाढ़ सुरक्षा चैनेलाइज काम को रोकने के लिए नेपाली द्वारा सात बार पथराव की घटना को अंजाम दिया गया है, ऐसे में भारतीय नागरिकों में रोष है. घटना की बार-बार पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारी अब बैठक करने जा रहे हैं.
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धारचूला उप जिलाधिकारी देवेश शाशनी ने बताया कि फिलहाल सीमा पर स्थिति सामान्य बनी हुई है. व्यापारियों के विरोध के बाद झूलापुल की आवाजाही कुछ घंटे के लिए बंद हुई थी. सीमा पर इस तरह की स्थिति पैदा ना हो सहित अन्य मुद्दों को लेकर पिथौरागढ़ जिलाधिकारी के नेतृत्व में नेपाली प्रशासन के साथ बुधवार को एक बैठक होने जा रही है, जिससे कि भविष्य में इस तरह की स्थितियां उत्पन्न ना हो.

दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है. लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आरपार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है.

बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने काला पानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही थी.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक बार फिर नेपाल सीमा पर तनाव का माहौल बना हुआ है. पिथौरागढ़ जिले की सीमांत तहसील धारचूला में नेपाल सीमा पर नेपालियों की तरफ भारतीय मजदूरों पर पथराव किया जा रहा है. यहां पर भारतीय मजदूर झूलाघाट के काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे हैं.

नेपाल की सीमा से भारतीय मजदूरों पर हो रहे पथराव के कारण सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. रविवार को भी धारचूला में झूलाघाट पर काली नदी में चैनलाइज का काम कर रहे भारतीय मजदूरों के ऊपर फिर से नेपाली नागरिकों द्वारा पथराव किया गया, जिसमें एक भारतीय मजदूर घायल भी हो गया.
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रविवार की हुई घटना के बाद से भारत नेपाल सीमा पर विवाद उत्पन्न हो गया है. व्यापारियों ने झूला पुल को बंद कर नेपाली नागरिकों को भारत में आने से रोक दिया. काफी हंगामे के बाद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के आपसी समझौते के बाद झूलापुल को दोनों देशों के नागरिकों के लिए खोल दिया गया है.

जानकारी के मुताबिक काली नदी में बाढ़ सुरक्षा चैनेलाइज काम को रोकने के लिए नेपाली द्वारा सात बार पथराव की घटना को अंजाम दिया गया है, ऐसे में भारतीय नागरिकों में रोष है. घटना की बार-बार पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारी अब बैठक करने जा रहे हैं.
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धारचूला उप जिलाधिकारी देवेश शाशनी ने बताया कि फिलहाल सीमा पर स्थिति सामान्य बनी हुई है. व्यापारियों के विरोध के बाद झूलापुल की आवाजाही कुछ घंटे के लिए बंद हुई थी. सीमा पर इस तरह की स्थिति पैदा ना हो सहित अन्य मुद्दों को लेकर पिथौरागढ़ जिलाधिकारी के नेतृत्व में नेपाली प्रशासन के साथ बुधवार को एक बैठक होने जा रही है, जिससे कि भविष्य में इस तरह की स्थितियां उत्पन्न ना हो.

दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है. धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है, जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है. लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है. धारचूला में काली नदी के आरपार भारत और नेपाल की सीमा है. काली नदी के एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल. काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं. भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है.

बता दें कि 2020 में भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी जब नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में नेपाल ने काला पानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया था, जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके बाद 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक एक सड़क संपर्क मार्ग का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इसका विरोध करते हुए लिपुलेख पर फिर से अपना दावा किया था. इसको लेकर दोनों देशों में कई दिनों तक तनातनी बनी रही थी.

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