पिथौरागढ़: भारत से चीन सीमा को जोड़ने वाली तवाघाट-तेदांग रोड को बंद हुए 105 दिन हो गए हैं. सामरिक नजरिए से महत्वपूर्ण इस सड़क के बंद होने से दारमा और चौदास घाटी के 50 गांवों का संपर्क शेष दुनिया से कटा हुआ है. इस कारण 30 हजार लोगों की जिंदगी पटरी से उतर गई है. वहीं, लंबे समय से रोड बंद होने से इन इलाकों में रोजमर्रा की चीजों का संकट भी पैदा हो गया है.
आपको बता दें कि ये सड़क सामरिक नजरिए से भी अहम है. आर्मी, ITBP और SSB के जवान इसी सड़क से होकर बॉर्डर पर पहुंचते हैं. 16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क को तबाह कर डाला है. 70 किलोमीटर लंबी ये अहम रोड कई जगह भारी लैंडस्लाइड के चलते बंद है. हालात ये है कि 3 महीने गुजरने के बावजूद अभी तक कार्यदायी संस्थाएं मात्र 8 किलोमीटर सड़क ही खोल पाई हैं.
इस सड़क को खोलने के लिए बीआरओ (Border Roads Organisation) और सीपीडब्ल्यूडी (Central Public Works Department) ने 150 से अधिक मजदूरों के साथ ही दर्जनों मशीन भी लगाई हैं. मगर हाल फिलहाल रोड खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
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वहीं, अब हालात ये हैं कि दोनों घाटियों में प्रभावित गांवों में रोजमर्रा की जरूरी चीजें खत्म हो गई हैं. जिन दुकानों में सामान बचा है उसकी कीमत भी आसमान छू रही है. हालांकि, सरकार ने इन इलाकों में राहत पहुंचाने के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया है. मगर हजारों की आबादी के लिए ये मदद नाकाफी साबित हो रही है.
वहीं, धारचूला विधायक हरीश धामी का कहना है कि 3 महीने से सड़क बंद होने से जहां हजारों की आबादी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, बीआरओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. डीएम आशीष चौहान का कहना है कि बॉर्डर की इस अहम रोड को खोलने के लिए डेली मॉनिटरिंग की जा रही है. जल्द ही सड़क को खोलने का काम पूरा कर लिया जाएगा.