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आधुनिक जीवनशैली से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर, सेहतमंद रहना है तो खाएं ये फूड

देशभर में प्राचीन समय से ही पौष्टिक भोजन और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने को महत्तता दी गयी है. लेकिन आज के दौर में पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हुए लोगों में खानपान पर ध्यान ना देने के चलते बीमारियां बढ़ती जा रही हैं.

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Published : Aug 19, 2019, 1:58 PM IST

अस्टिेंट प्रो0 डां.बबीता भंडारी ने बताया बढ़ती बीमारियां से निजात पाने के लिए पौष्टिक भोजन का सेवन करना है बेहद जरूरी.

बेरीनाग: आज के आधुनिकता दौर में खानपान पर ध्यान ना देने के चलते लोगों में बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. भारतीय संस्कृति में अतीत से पौष्टिक भोजन और स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाने को महत्तता दी गयी है. लेकिन आज के दौर में लोग खानपान में पाश्चात्य की सभ्यता को अपनाने लगे हैं. जो उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है.

कांगडा विश्वविद्यालय में कार्यरत अस्टिेंट प्रो0 डां.बबीता भंडारी ने बताया कि बढ़ती आय और बेहतर रहन- सहन के साथ लोगों के खानपान का तरीका भी काफी बदल गया है. आज दौर के युवा हो या बुजुर्ग सभी का रूझान फास्ट फूड की ओर जा रहा है. जिसके चलते अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह जैसे गंभीर रोग लोगों को जकड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन भोजन पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर हैं. साथ ही इनका पाचन भी सरल है. लेकिन आधुनिकता की होड़ में वे कहीं गुम होने लगे हैं. उन्होंने बताया कि यदि भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना है, तो ढ़ाबों और रेस्टोरेंट में पौष्टिक भोज्य पदार्थों को प्रचलित करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि मंडुए की रोटी, गहत की दाल, भट्ट की चुटकानी, डुबुके, झंगोर की खीर, दाल बडे, मोटे अनाज और सब्जियां प्रोटीन, विटामीन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होते हैं. साथ ही कई सारी बिमारियों से निजात दिलाने में भी सहायक होते हैं. उन्होंने बताया कि मंडुआ मोटाप, डायबिटीज, रक्तचाप और पेट की कब्ज को दूर करता है. वहीं गहत की दाल खाने से सर्दी-जुकाम, पीलिया, पथरी जैसे रोगों से राहत मिलती है. वहीं काले भट्ट हड्यिों को मजबूत बनाते हैं, और हदय रोग, कैंसर, बीपी, डायबिटीज जैसे रोगों से लड़ने में मदद करते हैं.

ये भी पढ़े: उत्तरकाशी के मोरी में बारिश का कहर, 17 लोगों की मौत की खबर

साथ ही उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में लोग स्वस्थ रहने के लिए जिन अनाजों का खनपान में उपयोग करते थे. भवी पीढ़ी उनका सेवन करने से कतराती है. जिसके चलते किसानों ने भी उन पौषटिक अनाजों को उगाना बंद कर दिया है.

उन्होंने कहा जिस प्रकार देश में पंजाबी और दक्षिणी खान-पान प्रसिद्ध है. उसी तर्ज पर प्रदेश सरकार को भी उत्तराखंड के लोकप्रिय भोजन को बढ़ावा देना चाहिए. यदि सरकार ऐसे कदम उठाए तो यहां के लोगों को रोजगार के साथ उत्तम स्वास्थ मिलेगा. साथ ही किसानों की आय बढ़ेगी और प्रदेश की अलग पहचान बनेगी.

बेरीनाग: आज के आधुनिकता दौर में खानपान पर ध्यान ना देने के चलते लोगों में बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. भारतीय संस्कृति में अतीत से पौष्टिक भोजन और स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाने को महत्तता दी गयी है. लेकिन आज के दौर में लोग खानपान में पाश्चात्य की सभ्यता को अपनाने लगे हैं. जो उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है.

कांगडा विश्वविद्यालय में कार्यरत अस्टिेंट प्रो0 डां.बबीता भंडारी ने बताया कि बढ़ती आय और बेहतर रहन- सहन के साथ लोगों के खानपान का तरीका भी काफी बदल गया है. आज दौर के युवा हो या बुजुर्ग सभी का रूझान फास्ट फूड की ओर जा रहा है. जिसके चलते अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह जैसे गंभीर रोग लोगों को जकड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन भोजन पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर हैं. साथ ही इनका पाचन भी सरल है. लेकिन आधुनिकता की होड़ में वे कहीं गुम होने लगे हैं. उन्होंने बताया कि यदि भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना है, तो ढ़ाबों और रेस्टोरेंट में पौष्टिक भोज्य पदार्थों को प्रचलित करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि मंडुए की रोटी, गहत की दाल, भट्ट की चुटकानी, डुबुके, झंगोर की खीर, दाल बडे, मोटे अनाज और सब्जियां प्रोटीन, विटामीन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होते हैं. साथ ही कई सारी बिमारियों से निजात दिलाने में भी सहायक होते हैं. उन्होंने बताया कि मंडुआ मोटाप, डायबिटीज, रक्तचाप और पेट की कब्ज को दूर करता है. वहीं गहत की दाल खाने से सर्दी-जुकाम, पीलिया, पथरी जैसे रोगों से राहत मिलती है. वहीं काले भट्ट हड्यिों को मजबूत बनाते हैं, और हदय रोग, कैंसर, बीपी, डायबिटीज जैसे रोगों से लड़ने में मदद करते हैं.

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साथ ही उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में लोग स्वस्थ रहने के लिए जिन अनाजों का खनपान में उपयोग करते थे. भवी पीढ़ी उनका सेवन करने से कतराती है. जिसके चलते किसानों ने भी उन पौषटिक अनाजों को उगाना बंद कर दिया है.

उन्होंने कहा जिस प्रकार देश में पंजाबी और दक्षिणी खान-पान प्रसिद्ध है. उसी तर्ज पर प्रदेश सरकार को भी उत्तराखंड के लोकप्रिय भोजन को बढ़ावा देना चाहिए. यदि सरकार ऐसे कदम उठाए तो यहां के लोगों को रोजगार के साथ उत्तम स्वास्थ मिलेगा. साथ ही किसानों की आय बढ़ेगी और प्रदेश की अलग पहचान बनेगी.

Intro:पारम्परिक भोजन का प्रयोग Body:
बेरीनाग।
प्रदेश के पारम्परिक भोज्य पदार्थो को प्रचलित करने की जरूरत-डां बबीता
उŸाराखंडी भोजन को लोकप्रिय भोजन

बेरीनाग। किसी भी अस्पताल में चले जाओ तो लोगां की बड़ती बीमारियां का आभास होना शुरू हो जाता है। भारत में जहां प्राचीन समय से स्वस्थ्य भोजन एवं स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाने को महŸता दी गयी है। वही आज भारत आज भारतीय पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर अपने संस्कृति को तुच्छ समझने लगा है। यह बात भंडारीगांव निवासी कांगडा विश्वविद्यालय में कार्यरत अस्टिेट प्रो0डां.बबीता भंडारी ने कही है। डां बबीता का कहना है बडती आय एवं बेहतर रहन सहन के साथ लोगों के खानपान का तरीका भी काफी बदल गया है। आज छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक फास्ट फूड की और जारहा है। जिस कारण लगातार अनियत्रित रक्तचाप,मधुमेह इत्यादी के गंभीर रोग पैदा हो रहे है। आधुनिकता का अपनाने की होड़ में हमारे भोज्य पदार्थ जो न केवल पोषक तत्वों से भरपूर है बल्कि इनका पाचन भी सरल है। कही गुमना होकर रहे गये है। अगर भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना है तो जरूरत है पौष्टिक भोज्य पदार्थो को ढ़ाबे रेस्त्रा में प्रचलित करने की।
प्रदेश कई व्यजंन जैसे मंडुए की रोटी,गहत की दाल,भट् की चुटकानी,डुबुक,झंगोर की खीर,दाल बडे,आदि कई दाले और मोटे अनाज, सब्जियां का प्रयोग किया जाता है। जो प्रोेटीन विटामीन,निमरल,फाइबबर से भरपूर होते है। इसके साथ ही कई सारी बिमारियों में भी सहायक होते है जैसे मंडुआ मोटाप कम करने में डायबिटीज,रक्तचाप,पेट की कब्ज को दूर करता है। वही गहत की दाल खाने से सर्दी जुकार,पीलिया,पथरी आदि से भी राहत मिलती है। काला भट्ट हड्यिों को मजबूत बनाता है और हदय रोग कैंसर,बीपी,डायबिटीज के रोग भी दूर करता है। बुजुर्ग कई सारे अन्य अनाजों का प्रयोग करते थे जो अब ना किसानां द्वारा पैदा किया जाता है सेवन करना बहुत दूर की बात हो गयी है। देश में जिस प्रकार पंजाबी खाना,दक्षिण भारतीय खाना प्रसिद्ध है प्रदेश सरकार को उŸाराखंडी भोजन को लोकप्रिय भोजन को आगे बड़ना चाहिए। जिससे यहां के लोगांें को रोजगार के साथ यहां के किसानों और प्रदेश की अलग पहचान बनेगी। Conclusion:जागरूकता
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