ETV Bharat / state

पहाड़ों पर फूलों की खेती मुनाफे का सौदा, एक हेक्टेयर से कमाएं 2 लाख रुपये

विषम परिस्थितियों के कारण पहाड़ के किसानों का खेती और बागवानी से मोहभंग हो चुका है, लेकिन पहाड़ पर फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं.

पहाड़ों पर फूलों की खेती की अपार संभावनाएं
author img

By

Published : May 8, 2019, 3:08 PM IST

पिथौरागढ़: सूबे के पर्वतीय इलाकों में पारम्परिक खेती कभी भी लाभदायक नहीं रही, मगर खास आबोहवा और भोगौलिक परिस्थितियों के चलते पहाड़ी इलाकों में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं. अगर सरकार इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश करे तो इससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिल सकता है. साथ ही पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन पर भी लगाम लग सकती है.

पढ़ें- सब्जियों के कैरेट के नीचे दबा कर रखा था नकली शराब का जखीरा, आबकारी टीम ने दबोचा

बिखरी जोत और जंगली जानवरों के आतंक से पहाड़ के काश्तकारों का दम निकला हुआ है. जंगली सुअर, भालू और बंदरों ने खेती और बागवानी को बुरी तरह चौपट कर दिया है. आलम ये है कि पहाड़ के काश्तकारों का खेती और बागवानी दोनों से मोहभंग हो गया है. अगर सरकार पर्वतीय इलाकों में फूलों की खेती पर जोर देती है तो पहाड़ के काश्तकारों को पारम्परिक खेती की अपेक्षा फूलों की खेती से ज्यादा मुनाफा तो होगा. साथ ही जंगली जानवरों की समस्या से भी निजात मिलेगी.

पहाड़ों पर फूलों की खेती की अपार संभावनाएं

पहाड़ की जलवायु ब्रह्म कमल, गेंदा, गुलाब और बुरांश जैसे फूलों के लिए माकूल मानी जाती है. इन फूलों का इस्तेमाल इत्र, औषधि और सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने में होता है. किसान अगर एक हेक्टेयर में गेंदे के फूल की खेती करता है तो उसकी सालाना आमदनी ₹1 से ₹2 लाख तक की हो सकती है. वहीं, अगर इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती की जाए, तो दोगुना लाभ होगा.

सूबे के पर्वतीय इलाकों में औद्योगिक इकाई खोलना भले ही सम्भव न हो मगर यहां रोजगार के दूसरे दरवाजे जरूर खोले जा सकते हैं. अगर सरकार कोई ठोस कदम उठाए तो फूलों की खेती के जरिये लोगों को घरों में ही रोजगार दिया जा सकता है.

पिथौरागढ़: सूबे के पर्वतीय इलाकों में पारम्परिक खेती कभी भी लाभदायक नहीं रही, मगर खास आबोहवा और भोगौलिक परिस्थितियों के चलते पहाड़ी इलाकों में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं. अगर सरकार इन सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश करे तो इससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिल सकता है. साथ ही पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन पर भी लगाम लग सकती है.

पढ़ें- सब्जियों के कैरेट के नीचे दबा कर रखा था नकली शराब का जखीरा, आबकारी टीम ने दबोचा

बिखरी जोत और जंगली जानवरों के आतंक से पहाड़ के काश्तकारों का दम निकला हुआ है. जंगली सुअर, भालू और बंदरों ने खेती और बागवानी को बुरी तरह चौपट कर दिया है. आलम ये है कि पहाड़ के काश्तकारों का खेती और बागवानी दोनों से मोहभंग हो गया है. अगर सरकार पर्वतीय इलाकों में फूलों की खेती पर जोर देती है तो पहाड़ के काश्तकारों को पारम्परिक खेती की अपेक्षा फूलों की खेती से ज्यादा मुनाफा तो होगा. साथ ही जंगली जानवरों की समस्या से भी निजात मिलेगी.

पहाड़ों पर फूलों की खेती की अपार संभावनाएं

पहाड़ की जलवायु ब्रह्म कमल, गेंदा, गुलाब और बुरांश जैसे फूलों के लिए माकूल मानी जाती है. इन फूलों का इस्तेमाल इत्र, औषधि और सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने में होता है. किसान अगर एक हेक्टेयर में गेंदे के फूल की खेती करता है तो उसकी सालाना आमदनी ₹1 से ₹2 लाख तक की हो सकती है. वहीं, अगर इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती की जाए, तो दोगुना लाभ होगा.

सूबे के पर्वतीय इलाकों में औद्योगिक इकाई खोलना भले ही सम्भव न हो मगर यहां रोजगार के दूसरे दरवाजे जरूर खोले जा सकते हैं. अगर सरकार कोई ठोस कदम उठाए तो फूलों की खेती के जरिये लोगों को घरों में ही रोजगार दिया जा सकता है.

Intro:पिथौरागढ़: सूबे के पर्वतीय इलाकों में पारम्परिक खेती कभी भी लाभदायक नही रही। मगर खास आबोहवा और भोगौलिक परिस्थितियों के चलते उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं है। अगर इन सम्भावनाओ को पंख लगाने की सरकार कोशिश करे तो इससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिलेगा ही साथ ही पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन पर भी लगाम लग पाएगी। पेश है एक खास रिपोर्ट। बिखरी जोत ओर जंगली जानवरों के आतंक से पहाड़ के काश्तकारों का दम निकला हुआ है। जंगली सुअर, भालू और बंदरो ने खेती और बागवानी को बुरी तरह चौपट कर दिया है। आलम ये है कि पहाड़ के काश्तकार का खेती और बागवानी दोनों से मोहभंग हो गया है। अगर सरकार पर्वतीय इलाकों में फूलों की सामूहिक खेती पर जोर देती है तो इससे पहाड़ के काश्तकारों को पारम्परिक खेती की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा तो होगा ही साथ ही जंगली जानवरों की समस्या से निजात मिलेगी। पहाड़ की जलवायु ब्रह्म कमल, गेंदा, गुलाब और बुरांश जैसे फूलों के लिए माकूल मानी जाती हैं। इन फूलों का इस्तेमाल इत्र, ओषधि ओर सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने में होता है। किसान अगर एक हेक्टेयर पर गेंदे के फूल लगता है तो सालाना आमदनी एक से 2 लाख तक बड़ा सकता है। इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती से दोगुना लाभ होगा। सूबे के पर्वतीय इलाकों में ओद्योगिक इकाई खोलना भले ही सम्भव ना हो मगर यहां रोजगार के दूसरे दरवाज़े जरूर खोले जा सकते है। अगर सरकार कोई ठोस कदम उठाए तो फूलों की खेती के जरिये लोगों को घरों में ही रोजगार दिया जा सकता है। Byte: नरेश कसनियाल, काश्तकार Byte: मीनाक्षी जोशी, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़ PTC


Body:पिथौरागढ़: सूबे के पर्वतीय इलाकों में पारम्परिक खेती कभी भी लाभदायक नही रही। मगर खास आबोहवा और भोगौलिक परिस्थितियों के चलते उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं है। अगर इन सम्भावनाओ को पंख लगाने की सरकार कोशिश करे तो इससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिलेगा ही साथ ही पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन पर भी लगाम लग पाएगी। पेश है एक खास रिपोर्ट। बिखरी जोत ओर जंगली जानवरों के आतंक से पहाड़ के काश्तकारों का दम निकला हुआ है। जंगली सुअर, भालू और बंदरो ने खेती और बागवानी को बुरी तरह चौपट कर दिया है। आलम ये है कि पहाड़ के काश्तकार का खेती और बागवानी दोनों से मोहभंग हो गया है। अगर सरकार पर्वतीय इलाकों में फूलों की सामूहिक खेती पर जोर देती है तो इससे पहाड़ के काश्तकारों को पारम्परिक खेती की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा तो होगा ही साथ ही जंगली जानवरों की समस्या से निजात मिलेगी। पहाड़ की जलवायु ब्रह्म कमल, गेंदा, गुलाब और बुरांश जैसे फूलों के लिए माकूल मानी जाती हैं। इन फूलों का इस्तेमाल इत्र, ओषधि ओर सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने में होता है। किसान अगर एक हेक्टेयर पर गेंदे के फूल लगता है तो सालाना आमदनी एक से 2 लाख तक बड़ा सकता है। इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती से दोगुना लाभ होगा। सूबे के पर्वतीय इलाकों में ओद्योगिक इकाई खोलना भले ही सम्भव ना हो मगर यहां रोजगार के दूसरे दरवाज़े जरूर खोले जा सकते है। अगर सरकार कोई ठोस कदम उठाए तो फूलों की खेती के जरिये लोगों को घरों में ही रोजगार दिया जा सकता है। Byte: नरेश कसनियाल, काश्तकार Byte: मीनाक्षी जोशी, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़ PTC


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.