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लॉकडाउन: उत्तराखंड के इस ग्राम प्रधान का ऐसा कारनामा, प्रवासियों से लेकर सरकारी अमला भी कर रहा तारीफ

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Published : May 18, 2020, 6:06 PM IST

Updated : May 18, 2020, 8:44 PM IST

बेरीनाग के बुसैल गांव के ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा अकेले 4 क्वारंटीन सेंटर संभाल रहे हैं और उन्हें कोई सरकारी मदद की जरूरत भी नहीं है.

मोहन सिंह
मोहन सिंह

बेरीनाग: लाॅकडाउन में घरों को लौट रहे प्रवासियों को होम और संस्थागत क्वारंटाइन करने के आदेश दिए गए हैं. लेकिन ग्राम प्रधान सरकारों से अधिकार और सुविधा मुहैया कराने की कई बार मांग कर चुके है. ग्राम प्रधानों का कहना है कि उन्हें क्वारंटीन सेंटर चलाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि, इसमें बेरीनाग के एक ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा नहीं आते. वे अकेले 4 क्वारंटीन सेंटर संभाल रहे हैं और उन्हें कोई सरकारी मदद की जरूरत नहीं.

उत्तराखंड के इस ग्राम प्रधान से हर कोई खुश

विकास खंड गंगोलीहाट के ग्राम पंचायत बुसैल में ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा ने प्रवासियों के लिए बनाये गये क्वारंटाइन केन्द्रों में ऐसी व्यवस्था की है कि वहां किसी अधिकारी या कर्मचारी को जाने की जरूरत नहीं पड़ रही. ग्राम पंचायत बुसैल में 4 क्वारंटाइन सेंटर हैं. जिसमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुसैल, प्राथमिक विद्यालय तिमाड़ी, पंचायत भवन नैचुना और आंगनबाड़ी केन्द्र नैचुना आते हैं. इन क्वारंटाइन केन्द्रों में 35 प्रवासी लोग पिछले एक सप्ताह से ठहरे हुए हैं.

बुसैल गांव में क्वारंटीन प्रवासी.
बुसैल गांव में क्वारंटीन प्रवासी.

मोहन सिंह मेहरा बताते हैं कि पहले तो स्कूल और पंचायत घर के जर्जर भवनों को देखकर वे असमंजस की स्थिति में थे. लेकिन फिर उन्होंने सभी क्वारंटाइन केन्द्रों के खस्ताहाल कमरों को ठीक करने के साथ उनमें दरवाजे, खिड़की से लेकर बिजली की अस्थाई व्यवस्था की.

यही नहीं मोहन बताते हैं कि एक क्वारंटाइन सेंटर में पानी नहीं आता. इसलिए 200 मीटर दूर पानी ढोकर लाना पड़ता है. यहां पर पहले शौचालय की हालत बेहद खस्ता थी, जिसे अब सुधार दिया गया है. वे क्वारंटीन केन्द्रों में ठहरे प्रवासियों के खाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं.

मोहन सिंह बताते हैं कि उन्होंने अकेले ही सभी क्वारंटाइन सेंटरों की जिम्मेदारी ले ली है, इसलिए सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को यहां आने की जरूरत नहीं पड़ती. इन क्वारंटीन केन्द्रों में रह रहे प्रवासी भी मोहन सिंह मेहरा की तारीफ करते हैं. कहते हैं कि यहां घरवाले तो नहीं है, लेकिन घर जैसे सभी व्यवस्थाएं हैं.

पढ़े: LOCKDOWN 4.0: सभी जिलों को मिल सकती है राहत, RED Zone से बाहर हो सकता है हरिद्वार

हालांकि, मोहन सिंह का कहना है कि पिछले कई वर्षो से विद्यालयों और पंचायत घर में कोई भी धनराशी खर्च नहीं हो पायी है. इस कारण ये भवन खस्ताहाल हो गये हैं. उन्होंने ईटीवी भारत की जरिये सरकार से मांग की है कि भविष्य में इन क्वारंटाइन केन्द्रों का सौन्दर्यकरण होना चाहिए.

संयुक्त मजिस्ट्रेट डा. सौरभ गहरवार ने भी बुसैल गांव के प्रधान मोहन सिंह मेहरा के कार्य की तारीफ़ की है. उन्होंने कहा कि मोहन सिंह के पास 4 क्वारंटाइन केन्द्रों का अकेला जिम्मा है और वे अपना कार्य बखूबी निभा रहे हैं.

बेरीनाग: लाॅकडाउन में घरों को लौट रहे प्रवासियों को होम और संस्थागत क्वारंटाइन करने के आदेश दिए गए हैं. लेकिन ग्राम प्रधान सरकारों से अधिकार और सुविधा मुहैया कराने की कई बार मांग कर चुके है. ग्राम प्रधानों का कहना है कि उन्हें क्वारंटीन सेंटर चलाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि, इसमें बेरीनाग के एक ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा नहीं आते. वे अकेले 4 क्वारंटीन सेंटर संभाल रहे हैं और उन्हें कोई सरकारी मदद की जरूरत नहीं.

उत्तराखंड के इस ग्राम प्रधान से हर कोई खुश

विकास खंड गंगोलीहाट के ग्राम पंचायत बुसैल में ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा ने प्रवासियों के लिए बनाये गये क्वारंटाइन केन्द्रों में ऐसी व्यवस्था की है कि वहां किसी अधिकारी या कर्मचारी को जाने की जरूरत नहीं पड़ रही. ग्राम पंचायत बुसैल में 4 क्वारंटाइन सेंटर हैं. जिसमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुसैल, प्राथमिक विद्यालय तिमाड़ी, पंचायत भवन नैचुना और आंगनबाड़ी केन्द्र नैचुना आते हैं. इन क्वारंटाइन केन्द्रों में 35 प्रवासी लोग पिछले एक सप्ताह से ठहरे हुए हैं.

बुसैल गांव में क्वारंटीन प्रवासी.
बुसैल गांव में क्वारंटीन प्रवासी.

मोहन सिंह मेहरा बताते हैं कि पहले तो स्कूल और पंचायत घर के जर्जर भवनों को देखकर वे असमंजस की स्थिति में थे. लेकिन फिर उन्होंने सभी क्वारंटाइन केन्द्रों के खस्ताहाल कमरों को ठीक करने के साथ उनमें दरवाजे, खिड़की से लेकर बिजली की अस्थाई व्यवस्था की.

यही नहीं मोहन बताते हैं कि एक क्वारंटाइन सेंटर में पानी नहीं आता. इसलिए 200 मीटर दूर पानी ढोकर लाना पड़ता है. यहां पर पहले शौचालय की हालत बेहद खस्ता थी, जिसे अब सुधार दिया गया है. वे क्वारंटीन केन्द्रों में ठहरे प्रवासियों के खाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं.

मोहन सिंह बताते हैं कि उन्होंने अकेले ही सभी क्वारंटाइन सेंटरों की जिम्मेदारी ले ली है, इसलिए सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को यहां आने की जरूरत नहीं पड़ती. इन क्वारंटीन केन्द्रों में रह रहे प्रवासी भी मोहन सिंह मेहरा की तारीफ करते हैं. कहते हैं कि यहां घरवाले तो नहीं है, लेकिन घर जैसे सभी व्यवस्थाएं हैं.

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हालांकि, मोहन सिंह का कहना है कि पिछले कई वर्षो से विद्यालयों और पंचायत घर में कोई भी धनराशी खर्च नहीं हो पायी है. इस कारण ये भवन खस्ताहाल हो गये हैं. उन्होंने ईटीवी भारत की जरिये सरकार से मांग की है कि भविष्य में इन क्वारंटाइन केन्द्रों का सौन्दर्यकरण होना चाहिए.

संयुक्त मजिस्ट्रेट डा. सौरभ गहरवार ने भी बुसैल गांव के प्रधान मोहन सिंह मेहरा के कार्य की तारीफ़ की है. उन्होंने कहा कि मोहन सिंह के पास 4 क्वारंटाइन केन्द्रों का अकेला जिम्मा है और वे अपना कार्य बखूबी निभा रहे हैं.

Last Updated : May 18, 2020, 8:44 PM IST
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