पिथौरागढ़: जिले के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा कर लौटे पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार को कई हिदायतें दी हैं. हरीश रावत ने कहा कि धारचूला, मुनस्यारी और बंगापानी तहसीलों में दर्जनों गांव पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं. जिसके कारण यहां रहना संभव नहीं है. ऐसे में सरकार इन्हें विस्थापित करने का प्लान तैयार करे. साथ ही पूर्व सीएम ने आपदा राहत के मानकों में बदलाव करने की मांग की है. यही नहीं हरीश रावत ने अपर हिमालयी क्षेत्र का एक्सपर्ट कमेटी द्वारा स्टडी कराने की भी बात कही.
पिथौरागढ़ जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर लौटे पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रभावित क्षेत्रों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जताई है. उनका कहना है कि साल 2013 की हिमालयन त्रासदी के बाद यह दूसरी बड़ी प्राकृतिक आपदा है. पूर्व सीएम ने कहा कि इस बार प्रकृति ने मुनस्यारी, बंगापानी और धारचूला क्षेत्र में जो कहर बरपाया है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
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हरीश रावत ने चिंता जताते हुए कहा कि यदि भविष्य में भी पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र में इस तरह की आपदा आती है तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने सरकार को आपदाग्रस्त क्षेत्र के अध्ययन करने के लिए एक उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया है, जो दीर्घकालिक उपायों पर भी काम कर सके. साथ ही हरीश रावत ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 343 गांवो के विस्थापन की लिस्ट भारत सरकार को भेजी थी, जिस पर राज्य और केंद्र सरकार को काम करते हुए असुरक्षित गांवों को तुरंत विस्थापित करना चाहिए था. उन्होंने मौजूदा हालातों को देखते सरकार से आपदा राहत के मानकों को भी बदलने की मांग की है.
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बता दें कि बादल फटने और भारी बारिश के चलते जिले के सीमांत क्षेत्रों में हर तरफ तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. इस साल मॉनसून सीजन में अब तक कुल 22 जिंदगियां आपदा की भेंट चढ़ चुकी है. साथ ही दर्जनों गांव खतरे की जद में आ गए हैं.