पिथौरागढ़: सीमांत जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के दावों के उलट जिले में चार सरकारी अस्पताल बंद करने की तैयारी की जा रही है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में वाहनों के जरिये स्वास्थ्य सुविधा दे रहे दो सचल चिकित्सा वाहन भी बंद होंगे.
इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के मानकों के तहत जिले में चार अस्पताल बंद किये जाने हैं. जिला मुख्यालय में स्थित टीबी हॉस्पिटल और पुलिस लाइन स्थित पीएचसी के साथ थल और बेरीनाग के एक-एक अस्पताल बंद किये जाने है. यही नहीं मुख्यालय में चल रहा जिला महिला चिकित्सालय भी जिला अस्पताल में विलय होना है. आईपीएचएस लागू होने के बाद पिथौरागढ़ के अस्पतालों में 20 चिकित्सक और 75 फार्मासिस्टों के पद भी समाप्त हो जाएंगे.
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पांच लाख की आबादी वाला पिथौरागढ़ जिला स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है. सरकारी अस्पताल लंबे समय से चिकित्सकों और अन्य कर्मियों का कमी झेल रहे है. ऐसे में सरकार की मंशा कुछ अस्पतालों को बंद करने की है. राज्य सरकार ने विभाग को जो प्रस्ताव भेजा है उसके अनुसार जिले में अब सिर्फ एक जिला अस्पताल, एक उपजिला अस्पताल, चार सीएचसी और सात पीएचसी बी अस्पताल ही रहेंगे.
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विकेंद्रीकरण होगा और ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेगा. लेकिन नए नियम लागू कर त्रिवेंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्रीयकरण करने पर जोर दे रही है, जिसका खामियाजा सीमांत क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ेगा.