ETV Bharat / state

चीन की तर्ज पर भारत की नदियों का हो संरक्षण, ITBP के डीआईजी ने बताई 'ड्रैगन' की प्लानिंग - मानसरोवर झील स्नान

मानसरोवर झील के संरक्षण और निगरानी के लिए चीन सरकार ने सेटेलाइट कैमरे लगाए हैं. वहीं, झील में नहाने वालों पर 5 हजार यूआन यानी 50 हजार रुपये का जुर्माने का भी नियम बनाया है. वहीं, तीर्थ यात्री बाल्टी के जरिए झील से पानी निकालकर बाहर नहा सकते हैं.

mansarovar lake
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 9:51 PM IST

पिथौरागढ़: पर्यावरण संरक्षण को लेकर चीन भारत के मुकाबले काफी संजीदा है. यही वजह है कि आस्था के केंद्र मानसरोवर के संरक्षण के लिए चीन ने झील में डूबकी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. झील संरक्षण को लेकर चीन के इस कदम से भारतीय तीर्थ यात्री भी खासे प्रभावित हैं. वहीं, अब तीर्थयात्रियों ने भारत में भी नदियों के संरक्षण के लिए चीन की तर्ज पर ही सख्ती करने की मांग की है.

मानसरोवर झील में स्नान पर चीन ने लगाई रोक.

बता दें कि, चीन सरकार ने मानसरोवर को बचाने के लिए झील में स्नान पर पूरी तरह से रोक लगाई है. तीर्थ यात्रियों के लिए विकल्प के तौर पर बाल्टी से पानी निकालकर झील के किनारे स्नान की व्यवस्था की गई है. जिसे भारतीय तीर्थ यात्री भी काफी सराह रहे हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटे आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निम्बाडिया ने भी चीन की तर्ज पर भारत में भी नदियों को बचाने के लिए सख्ती करने की पैरवी की है.

ये भी पढे़ंः आखिर क्यों भगवान गणेश को नहीं सुहाती तुलसी ?

गौर हो कि, 4590 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद मानसरोवर झील क्षेत्र से बह्मपुत्र, सतलज, करनाली और सिंधु जैसी नदियां निकलती हैं. 320 वर्ग किलोमीटर में फैले मानसरोवर झील के संरक्षण को आधी दुनिया के पर्यावरण के लिए जरूरी माना जाता है. यही वजह है कि चीन सरकार ने मानसरोवर झील की निगरानी के लिए सेटेलाइट कैमरे लगाए हैं. वहीं, झील में नहाने वालों पर 5 हजार यूआन यानी 50 हजार रुपये का जुर्माने का भी नियम बनाया है.

उधर, पर्यावरण बचाने की चीन की ये पहल भले ही धार्मिक आस्था की राह में रोड़ा हो, बावजूद इसके सभी धर्मों को मानने वाले इसकी जमकर तारीफ कर रहे हैं. साथ ही ये उम्मीद भी जता रहे हैं कि अपनी नदियों को बचाने के लिए चीन की इस पहल से कुछ न कुछ सीख लेंगे. ऐसे में नदियां स्वच्छ और पवित्र रह सकेंगी.

पिथौरागढ़: पर्यावरण संरक्षण को लेकर चीन भारत के मुकाबले काफी संजीदा है. यही वजह है कि आस्था के केंद्र मानसरोवर के संरक्षण के लिए चीन ने झील में डूबकी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. झील संरक्षण को लेकर चीन के इस कदम से भारतीय तीर्थ यात्री भी खासे प्रभावित हैं. वहीं, अब तीर्थयात्रियों ने भारत में भी नदियों के संरक्षण के लिए चीन की तर्ज पर ही सख्ती करने की मांग की है.

मानसरोवर झील में स्नान पर चीन ने लगाई रोक.

बता दें कि, चीन सरकार ने मानसरोवर को बचाने के लिए झील में स्नान पर पूरी तरह से रोक लगाई है. तीर्थ यात्रियों के लिए विकल्प के तौर पर बाल्टी से पानी निकालकर झील के किनारे स्नान की व्यवस्था की गई है. जिसे भारतीय तीर्थ यात्री भी काफी सराह रहे हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटे आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निम्बाडिया ने भी चीन की तर्ज पर भारत में भी नदियों को बचाने के लिए सख्ती करने की पैरवी की है.

ये भी पढे़ंः आखिर क्यों भगवान गणेश को नहीं सुहाती तुलसी ?

गौर हो कि, 4590 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद मानसरोवर झील क्षेत्र से बह्मपुत्र, सतलज, करनाली और सिंधु जैसी नदियां निकलती हैं. 320 वर्ग किलोमीटर में फैले मानसरोवर झील के संरक्षण को आधी दुनिया के पर्यावरण के लिए जरूरी माना जाता है. यही वजह है कि चीन सरकार ने मानसरोवर झील की निगरानी के लिए सेटेलाइट कैमरे लगाए हैं. वहीं, झील में नहाने वालों पर 5 हजार यूआन यानी 50 हजार रुपये का जुर्माने का भी नियम बनाया है.

उधर, पर्यावरण बचाने की चीन की ये पहल भले ही धार्मिक आस्था की राह में रोड़ा हो, बावजूद इसके सभी धर्मों को मानने वाले इसकी जमकर तारीफ कर रहे हैं. साथ ही ये उम्मीद भी जता रहे हैं कि अपनी नदियों को बचाने के लिए चीन की इस पहल से कुछ न कुछ सीख लेंगे. ऐसे में नदियां स्वच्छ और पवित्र रह सकेंगी.

Intro:पिथौरागढ़: पर्यावरण को लेकर चीन भारत के मुकाबले कई अधिक संजीदा है। कई धर्मों के लिए आस्था के केन्द्र मानसरोवर के संरक्षण के लिए चाइना ने झील में डूबकी पर पूरी तरह रोक लगाई है। झील संरक्षण को लेकर चीन के इस कदम से भारतीय तीर्थ यात्री भी खासे प्रभावित है। आलम ये है कि तीर्थयात्रियों भारत में भी नदियों के संरक्षण के लिए चीन की तर्ज पर ही सख्ती का मांग कर रहे हैं।

चीन सरकार ने मानसरोवर को बचाने के लिए झील में स्नान पर पूरी तरह रोक लगाई है। विकल्प के तौर पर तीर्थ यात्रियों को बाल्टी से पानी निकालकर झील के किनारे स्नान की व्यवस्था की गई है। जिसे भारतीय तीर्थ यात्री भी खासे सराह रहे हैं। कैलाश-मानसरोवर यात्रा से लौटे आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निम्बाडिया ने भी चीन की तर्ज पर ही भारत में भी नदियों को बचाने के लिए सख्ती की पैरवी कर रहे हैं।

Body:4590 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद मानसरोवर झील क्षेत्र से बह्मपुत्र,सतलज,करनाली और सिंधु जैसी नदियां भी निकलती हैं। 320 वर्ग किलोमीटर में फैले मानसरोवर झील के संरक्षण को आधी दुनिया के पर्यावरण के लिए जरूरी माना जाता है। शायद यही वजह है कि चीन सरकार ने मानसरोवर झील की निगरानी के लिए जहां सेटेलाइट कैमरों लगाये हैं। वहीं झील में नहाने वालों पर 5 हजार यूआन यानी 50 हजार रूपये का जुर्माने का भी नियम बनाया है।

पर्यावरण बचाने की चीन की ये पहल भले ही धार्मिक आस्था की राह में रोड़ा हो, बावजूद इसके सभी धर्मों को मानने वाले इसकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। साथ ही ये उम्मीद भी जता रहे हैं कि अपनी नदियों को बचाने के लिए हम चीन की इस पहल से कुछ न कुछ सीख जरूर लेंगे।

Byte: एपीएस निम्बाडिया (कैलाश यात्री), डीआईजी, आईटीबीपीConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.