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सीमांत की देवकी के हौसले के आगे हारी तंगहाली, लोगों के लिए बनी मिसाल

विषम आर्थिक परिस्थितियों में भी खुद को आत्मविश्वास से भरकर अपने मेहनत और लगन से लघु उद्यमिता के एक पहचान बना चुकी देवकी जोशी लोगों के मिसाल बनी है. उन्होंने पहाड़ के पारंपरिक अनाजों से नमकीन बनाई थी. इसके तहत मडुआ, गहत, भट्ट, झिंगोरा और सोयाबीन से नमकीन बनाना शुरू किया. इन अनाजों को देवकी ने अपनी नमकीन के जरिये देश भर की जुबान का जायका बना दिया है. इसी के बदौलत उन्हें राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार मिला है.

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Published : Mar 1, 2019, 3:42 PM IST

Updated : Mar 1, 2019, 3:57 PM IST

देवकी जोशी

पिथौरागढ़ः एक महिला को कामयाबी की दहलीज तक पहुंचने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है सीमांत जिले की देवकी जोशी से ज्यादा कौन जा सकता है. जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर किया बल्कि अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा बनी हुई है. देवकी जोशी संघर्ष की कहानी उन लोगों को हौसला देगी जो हालातों के आगे घुटने टेक देते हैं. देवकी जोशी ने लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो मिशाल कायम की है उसका हर कोई मुरीद है.

देवकी जोशी


विषम आर्थिक परिस्थितियों में भी खुद को आत्मविश्वास से भरकर अपने मेहनत और लगन से लघु उद्यमिता के एक पहचान बना चुकी देवकी जोशी पिथौरागढ़ की रहने वाली है. एक दौर था जब देवकी जोशी का परिवार 2 जून की रोटी का मोहताज था. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी देवकी ने हिम्मत नहीं हारी. इस संकट से परिवार को उबारने के लिए देवकी ने नमकीन बनाने का काम शुरू किया. उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2004 में देवकी को वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा नेशनल माइक्रो इंटर प्रिन्यूर अवार्ड से नवाजा गया. इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा साल 2008 में नेशनल प्रोडक्टिविटी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. यही नहीं देवकी को लघु उद्यमिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार और पंतनगर यूनिवर्सिटी से विशेष पुरुस्कार से भी नवाजा है.


ईटीवी भारत को अपने अनुभवों को साझा करते हुए देवकी ने बताया कि 25 साल पहले छोटी सी पूंजी से नमकीन बनाने का काम शुरू किया था. उन्होंने पहाड़ के पारंपरिक अनाजों से नमकीन बनाई थी. इसके तहत मडुआ, गहत, भट्ट, झिंगोरा और सोयाबीन से नमकीन बनाना शुरू किया. उन्होंने बताया कि पारम्परिक अनाजों से बनी ये कुमाऊं नमकीन स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी फायदेमंद होता है.

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गुणवत्ता और स्वाद का अनूठा मेलजोल सिर्फ कुमाऊं नमकीन में ही देखने को मिलता है. अब तक पहचान से महरूम पहाड़ के इन अनाजों को देवकी ने अपनी नमकीन के जरिये देश भर की जुबान का जायका बना दिया है. इसी के बदौलत उन्हें राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार मिला है.


देवकी ने अपने हुनर के जरिये लघु उद्यमिता के क्षेत्र में एक मिशाल कायम कर आम महिलाओं के लिए को अनूठा संदेश देने का काम किया है. कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नहीं आती है. आज उनकी काबिलियत किसी नजीर से कम नहीं है.

पिथौरागढ़ः एक महिला को कामयाबी की दहलीज तक पहुंचने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है सीमांत जिले की देवकी जोशी से ज्यादा कौन जा सकता है. जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर किया बल्कि अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा बनी हुई है. देवकी जोशी संघर्ष की कहानी उन लोगों को हौसला देगी जो हालातों के आगे घुटने टेक देते हैं. देवकी जोशी ने लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो मिशाल कायम की है उसका हर कोई मुरीद है.

देवकी जोशी


विषम आर्थिक परिस्थितियों में भी खुद को आत्मविश्वास से भरकर अपने मेहनत और लगन से लघु उद्यमिता के एक पहचान बना चुकी देवकी जोशी पिथौरागढ़ की रहने वाली है. एक दौर था जब देवकी जोशी का परिवार 2 जून की रोटी का मोहताज था. ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी देवकी ने हिम्मत नहीं हारी. इस संकट से परिवार को उबारने के लिए देवकी ने नमकीन बनाने का काम शुरू किया. उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2004 में देवकी को वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा नेशनल माइक्रो इंटर प्रिन्यूर अवार्ड से नवाजा गया. इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा साल 2008 में नेशनल प्रोडक्टिविटी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. यही नहीं देवकी को लघु उद्यमिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार और पंतनगर यूनिवर्सिटी से विशेष पुरुस्कार से भी नवाजा है.


ईटीवी भारत को अपने अनुभवों को साझा करते हुए देवकी ने बताया कि 25 साल पहले छोटी सी पूंजी से नमकीन बनाने का काम शुरू किया था. उन्होंने पहाड़ के पारंपरिक अनाजों से नमकीन बनाई थी. इसके तहत मडुआ, गहत, भट्ट, झिंगोरा और सोयाबीन से नमकीन बनाना शुरू किया. उन्होंने बताया कि पारम्परिक अनाजों से बनी ये कुमाऊं नमकीन स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी फायदेमंद होता है.

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गुणवत्ता और स्वाद का अनूठा मेलजोल सिर्फ कुमाऊं नमकीन में ही देखने को मिलता है. अब तक पहचान से महरूम पहाड़ के इन अनाजों को देवकी ने अपनी नमकीन के जरिये देश भर की जुबान का जायका बना दिया है. इसी के बदौलत उन्हें राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार मिला है.


देवकी ने अपने हुनर के जरिये लघु उद्यमिता के क्षेत्र में एक मिशाल कायम कर आम महिलाओं के लिए को अनूठा संदेश देने का काम किया है. कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नहीं आती है. आज उनकी काबिलियत किसी नजीर से कम नहीं है.

Intro:Anchor: दिल मे होंसला और इरादे बुलंद हो तो मंजिल आखिरकार मिल ही जाती है। इस बात को सच कर दिखाया है पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली देवकी जोशी ने। विषम आर्थिक परिस्थितियों को मात देकर देवकी ने लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो मिशाल कायम की है उसका हर कोई मुरीद है। पेश है एक खास रिपोर्ट।
V.O.1: एक दौर था जब देवकी जोशी का परिवार 2 जून की रोटी का मोहताज था। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी देवकी ने हिम्मत नही हारी। इस संकट से परिवार को उबारने के लिए देवकी ने नमकीन बनाने का सफर शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2004 में देवकी को वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा नेशनल माइक्रो इंटर प्रिन्यूर अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा साल 2008 में नेशनल प्रोडक्टिविटी अवार्ड से सम्मानित किया गया। यही नही देवकी को लघु उद्यमिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार और पंतनगर यूनिवर्सिटी द्वारा विशेष पुरुस्कार से भी नवाजा गया।
बाइट: देवकी जोशी, लघु उद्यमी
v. o.2: देवकी ने 25 साल पहले छोटी पूंजी से नमकीन बनाने का काम शुरू किया था। देवकी द्वारा बनाई गई नमकीन की खासियत ये है कि ये पहाड़ के पारंपरिक अनाजों से बनी हुई है। मडुआ, गहत, भट्ट, झिंगोरा और सोयाबीन से नमकीन बनाने देवकी को राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार से नवाजा गया। पारम्परिक अनाजो से बनी ये कुमाऊं नमकीन स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी भी काफी फायदेमंद है। गुणवत्ता और स्वाद का अनूठा मेलजोल सिर्फ कुमाऊं नमकीन में ही देखने को मिलता है। अब तक अनजान पड़े पहाड़ के इन अनाजों को देवकी ने अपनी नमकीन के जरिये देश भर की जुबान का जायका बना दिया।
बाइट: ओमप्रकाश जोशी, देवकी के पति
बाइट: अमित जोशी, देवकी के पुत्र
F.vo.: देवकी ने अपने हुनर के जरिये लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो कमाल कर दिखाया है वो एक आम महिला के लिए अनूठा संदेश है। अगर इरादे बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नही आती। देवकी की इस बेमिशाल मेहनत को ईटीवी भारत का सलाम।

मयंक जोशी, पिथौरागढ़


Body:Anchor: दिल मे होंसला और इरादे बुलंद हो तो मंजिल आखिरकार मिल ही जाती है। इस बात को सच कर दिखाया है पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली देवकी जोशी ने। विषम आर्थिक परिस्थितियों को मात देकर देवकी ने लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो मिशाल कायम की है उसका हर कोई मुरीद है। पेश है एक खास रिपोर्ट।
V.O.1: एक दौर था जब देवकी जोशी का परिवार 2 जून की रोटी का मोहताज था। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी देवकी ने हिम्मत नही हारी। इस संकट से परिवार को उबारने के लिए देवकी ने नमकीन बनाने का सफर शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2004 में देवकी को वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा नेशनल माइक्रो इंटर प्रिन्यूर अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा साल 2008 में नेशनल प्रोडक्टिविटी अवार्ड से सम्मानित किया गया। यही नही देवकी को लघु उद्यमिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार और पंतनगर यूनिवर्सिटी द्वारा विशेष पुरुस्कार से भी नवाजा गया।
बाइट: देवकी जोशी, लघु उद्यमी
v. o.2: देवकी ने 25 साल पहले छोटी पूंजी से नमकीन बनाने का काम शुरू किया था। देवकी द्वारा बनाई गई नमकीन की खासियत ये है कि ये पहाड़ के पारंपरिक अनाजों से बनी हुई है। मडुआ, गहत, भट्ट, झिंगोरा और सोयाबीन से नमकीन बनाने देवकी को राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार से नवाजा गया। पारम्परिक अनाजो से बनी ये कुमाऊं नमकीन स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी भी काफी फायदेमंद है। गुणवत्ता और स्वाद का अनूठा मेलजोल सिर्फ कुमाऊं नमकीन में ही देखने को मिलता है। अब तक अनजान पड़े पहाड़ के इन अनाजों को देवकी ने अपनी नमकीन के जरिये देश भर की जुबान का जायका बना दिया।
बाइट: ओमप्रकाश जोशी, देवकी के पति
बाइट: अमित जोशी, देवकी के पुत्र
F.vo.: देवकी ने अपने हुनर के जरिये लघु उद्यमिता के क्षेत्र में जो कमाल कर दिखाया है वो एक आम महिला के लिए अनूठा संदेश है। अगर इरादे बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नही आती। देवकी की इस बेमिशाल मेहनत को ईटीवी भारत का सलाम।

मयंक जोशी, पिथौरागढ़


Conclusion:
Last Updated : Mar 1, 2019, 3:57 PM IST
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