पिथौरागढ़: चीन बॉर्डर से लगी दारमा घाटी 115 दिन बाद शेष दुनिया से जुड़ पाई है. इस साल की बरसात में दारमा घाटी को जोड़ने वाली रोड जगह-जगह धंस गई थी. बॉर्डर की लाइफ लाइन खुलने से जहां हजारों लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटी है, वहीं सुरक्षा बलों को भी खासी राहत मिली है.
16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौंदास घाटी को जोड़ने वाली रोड को पूरी तरह तबाह कर डाला था. तवाघाट से आगे 70 किलोमीटर रोड का नामोनिशान तक नहीं था, जिसके चलते दोनों घाटियों के 50 गांव पूरी तरह कैद होकर रह गए थे, लेकिन अब पूरे 115 दिन बाद बॉर्डर की घाटी में आवाजाही बहाल हो गई है.
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बॉर्डर की लाइफ लाइन खुलने से अब लोगों को रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति बहाल हो गई है. यही नहीं नेपाल-तिब्बत सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों की भी आवाजाही आसान हुई है. ये पहला मौका है, जब सामरिक नजरिए से अहम रोड 3 महीने से भी अधिक वक्त तक बंद रही. उच्च हिमालयी इलाकों में अब माइग्रेशन पीरियड शुरू होने वाला है. ऐसे में हजारों की आबादी के लिए रोड का खुलना किसी वरदान से कम नहीं है.