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थल-केदार वन क्षेत्र को जैव धरोहर बनाने की कवायद तेज, बायो डायवर्सिटी बोर्ड को भेजा प्रस्ताव

2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल-केदार के 600 हेक्टेयर रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर के रूप में विकसित किया जाना है. वन विभाग की ओर से 5 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर जैव विविधता बोर्ड को भेजा है.

थल-केदार वन क्षेत्र
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Published : May 14, 2019, 6:15 PM IST

Updated : May 14, 2019, 7:13 PM IST

पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित थल-केदार वन क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर स्थल घोषित करने की कवायद तेज हो गई है. वन विभाग ने इस संबंध में बायो डायवर्सिटी बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है. जैव विविधता बोर्ड से क्षेत्र की धरोहरों, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास, पेयजल स्त्रोत इत्यादि के संरक्षण में मदद मिलेगी.

थल-केदार वन क्षेत्र को जैव धरोहर बनाने की प्रक्रिया तेज हुई.

2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल-केदार के 600 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर के रूप में विकसित किया जाना है. वन विभाग की ओर से 5 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर जैव विविधता बोर्ड को भेजा गया है. इसके सापेक्ष पहले चरण में 2.50 लाख रुपया विभाग को मिला है.

यह भी पढ़ेंः बरसात से पहले सहमे नदी किनारे बसे लोग, अभी तक नहीं हुआ आपदा से निपटने का इंतजाम

प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि इस धनराशि से भिलौंत, तोली, बड़ाबे, ज्ञालपानी, पत्थरखानी गांव की धरोहर, बांज का जंगल, मंदिर, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास विकसित किये जा रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों की 12 सदस्यीय टीम का गठन कर वनों का अध्ययन किया जा रहा है.

क्षेत्र में पहले कौन सी प्रजाति के जीव जंतु आदि थे, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है. प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि इस अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट बोर्ड को भेजी जाएगी जिसके बाद दूसरे चरण में हैरिटेज साइट विकसित की जाएगी.

पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित थल-केदार वन क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर स्थल घोषित करने की कवायद तेज हो गई है. वन विभाग ने इस संबंध में बायो डायवर्सिटी बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है. जैव विविधता बोर्ड से क्षेत्र की धरोहरों, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास, पेयजल स्त्रोत इत्यादि के संरक्षण में मदद मिलेगी.

थल-केदार वन क्षेत्र को जैव धरोहर बनाने की प्रक्रिया तेज हुई.

2,480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल-केदार के 600 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर के रूप में विकसित किया जाना है. वन विभाग की ओर से 5 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाकर जैव विविधता बोर्ड को भेजा गया है. इसके सापेक्ष पहले चरण में 2.50 लाख रुपया विभाग को मिला है.

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प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि इस धनराशि से भिलौंत, तोली, बड़ाबे, ज्ञालपानी, पत्थरखानी गांव की धरोहर, बांज का जंगल, मंदिर, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास विकसित किये जा रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों की 12 सदस्यीय टीम का गठन कर वनों का अध्ययन किया जा रहा है.

क्षेत्र में पहले कौन सी प्रजाति के जीव जंतु आदि थे, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है. प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि इस अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट बोर्ड को भेजी जाएगी जिसके बाद दूसरे चरण में हैरिटेज साइट विकसित की जाएगी.

Intro:नोट- सर इसके विसुअल्स मेल पर है।

पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित थल-केदार वन क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर स्थल घोषित करने की कवायद तेज हो चुकी है। वन विभाग ने इस संबंध में बायो डाइवर्सिटी बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है। जैव विविधता बोर्ड से क्षेत्र की धरोहरों, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास, पेयजल स्रोत्र इत्यादि के संरक्षण में मदद मिलेगी।

2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल-केदार के 600 हेक्टेयर रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर के रूप में विकसित किया जाना है। वन विभाग की ओर से 5 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर जैव विविधता बोर्ड को भेजा है। इसके सापेक्ष पहले चरण में 2.50 लाख रुपया विभाग को मिला है। प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि इस धनराशि से भिलौंत, तोली, बड़ाबे, ज्ञालपानी, पत्थरखानी गाँव की धरोहर, बांज का जंगल, मंदिर, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास विकसित किये जा रहे है। साथ ही ग्रामीणों की 12 सदस्यीय टीम का गठन कर वनों का अध्ययन किया जा रहा है। क्षेत्र में पहले कौन सी प्रजाति के जीव जंतु आदि थे उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि इस अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट बोर्ड को भेजी जाएगी जिसके बाद दूसरे चरण में हैरीटेज साइट विकसित की जाएगी।


Body:पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित थल-केदार वन क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर स्थल घोषित करने की कवायद तेज हो चुकी है। वन विभाग ने इस संबंध में बायो डाइवर्सिटी बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है। जैव विविधता बोर्ड से क्षेत्र की धरोहरों, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास, पेयजल स्रोत्र इत्यादि के संरक्षण में मदद मिलेगी।

2480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थल-केदार के 600 हेक्टेयर रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र को जैव विविधता धरोहर के रूप में विकसित किया जाना है। वन विभाग की ओर से 5 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर जैव विविधता बोर्ड को भेजा है। इसके सापेक्ष पहले चरण में 2.50 लाख रुपया विभाग को मिला है। प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने बताया कि इस धनराशि से भिलौंत, तोली, बड़ाबे, ज्ञालपानी, पत्थरखानी गाँव की धरोहर, बांज का जंगल, मंदिर, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास विकसित किये जा रहे है। साथ ही ग्रामीणों की 12 सदस्यीय टीम का गठन कर वनों का अध्ययन किया जा रहा है। क्षेत्र में पहले कौन सी प्रजाति के जीव जंतु आदि थे उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि इस अध्ययन की विस्तृत रिपोर्ट बोर्ड को भेजी जाएगी जिसके बाद दूसरे चरण में हैरीटेज साइट विकसित की जाएगी।


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Last Updated : May 14, 2019, 7:13 PM IST
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