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बेरीनाग में बैठकी होली की धूम, होल्यारों ने जमाया रंग

उत्तराखंड में कुमाऊं की बैठकी होली पूरे उल्लास और परंपरा के अनुरूप मनाई जाती है.तीन माह तक चलने वालीे होली की ये विधा पौष माह के प्रथम रविवार से गणपति वंदना के साथ शुरू होती है और माघ व फागुन में अपने रंग में रंग जाती है. इस अवधि में होल्यार होली के परंपरागत और शास्त्रीय गीतों को पूरे राग में गाते हैं.

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बेरीनाग में बैठकी होली की धूम
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Published : Mar 14, 2021, 9:09 AM IST

बेरीनाग: पूर्व ब्लाक प्रमुख और जिला सहकारी बैंक के पूर्व चैयरमैन स्वं लाल सिंह बाफिला की स्मृति में बेरीनाग अल्मोड़ा अर्बन बैंक परिसर में बैठकी होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक नारायण राम आर्या ने कहा कि होली हमारी संस्कृति की पहचान है. आधुनिक युग में होली का महत्व कम हो रहा है. इसको बचाने के लिए युवकों को आगे आना होगा.

उन्होंने कहा कि होली रंगों का पर्व है. आपसी मतभेद भुलाकर इस पर्व को हमेशा शंति पूर्वक और आपसी भाईचारे के साथ मनाना चाहिए. उन्होने होली के आयोजन पर संयोजकों की सराहना की. इस मौके पर संयोजक अक्षय बाफिला ने बताया कि उनके पिता स्वं लाल सिंह बाफिला हमेशा पहाड़ की संस्कृति को बचाने की बात करते थे. पहाड़ों में मनाये जाने वाले त्यौहारों को हमेशा बड़ी धूमधाम के साथ मनाते थे. उनकी स्मृति में होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया.

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होली गायन में कुंमाऊ के प्रसिद्ध होल्यार अल्मोडा, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ आदि क्षेत्रो से पहुंचे थे. शनिवार की पूरी रात्रि बैठकी होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया. निनाद संगीत विद्यालय के बच्चों ने शानदार होली की प्रस्तुति दी.

बेरीनाग: पूर्व ब्लाक प्रमुख और जिला सहकारी बैंक के पूर्व चैयरमैन स्वं लाल सिंह बाफिला की स्मृति में बेरीनाग अल्मोड़ा अर्बन बैंक परिसर में बैठकी होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक नारायण राम आर्या ने कहा कि होली हमारी संस्कृति की पहचान है. आधुनिक युग में होली का महत्व कम हो रहा है. इसको बचाने के लिए युवकों को आगे आना होगा.

उन्होंने कहा कि होली रंगों का पर्व है. आपसी मतभेद भुलाकर इस पर्व को हमेशा शंति पूर्वक और आपसी भाईचारे के साथ मनाना चाहिए. उन्होने होली के आयोजन पर संयोजकों की सराहना की. इस मौके पर संयोजक अक्षय बाफिला ने बताया कि उनके पिता स्वं लाल सिंह बाफिला हमेशा पहाड़ की संस्कृति को बचाने की बात करते थे. पहाड़ों में मनाये जाने वाले त्यौहारों को हमेशा बड़ी धूमधाम के साथ मनाते थे. उनकी स्मृति में होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया.

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होली गायन में कुंमाऊ के प्रसिद्ध होल्यार अल्मोडा, नैनीताल, बागेश्वर और पिथौरागढ़ आदि क्षेत्रो से पहुंचे थे. शनिवार की पूरी रात्रि बैठकी होली और संगीत संध्या का आयोजन किया गया. निनाद संगीत विद्यालय के बच्चों ने शानदार होली की प्रस्तुति दी.

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