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आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन, कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी

आशा कार्यकत्रियों ने विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की. उन्होंने कहा कि उचित मानदेय और बर्खास्त आशा कार्यकत्रियों को बहाल नहीं किया गया तो वे कार्य बहिष्कार के लिए मजबूर होंगी.

pithoragarh
आशा कार्यकत्रियों का प्रदर्शन
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Published : Jul 3, 2020, 7:42 PM IST

पिथौरागढ़: आशा कार्यकत्रियों ने मानदेय सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की. आशा कार्यकत्रियों कहना है, कि उन्होंने कोरोनाकाल में अपनी जान पर खेलकर दिन-रात लोगों की सेवा की है. लेकिन इसके लिए उन्हें उत्तराखंड सरकार से कोई भी सम्मान या प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है.

आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन.

आशा कार्यकत्रियों ने कहा कि उन्हें जनवरी महीने से मानदेय नहीं मिला है. जिससे गुस्साए आशा कार्यकत्रियों ने विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं, आशा कार्यकत्रियों का कहना है, कि कोरोनाकाल में उनसे जो काम लिया जा रहा है. उसके लिए प्रदेश सरकार की तरफ से कोई भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. ऐसे में उन्होंने मांग की है, कि उन्हें उनके द्वारा किए गए कार्यों का भत्ता देने के साथ ही उनका न्यूनतम मानदेय 18,000 रुपए किया जाए. साथ ही उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए.

ये भी पढ़ें: मंडुवा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, विभाग ने रखा लक्ष्य

वहीं, आशा कार्यकत्रियों का कहना है, कि वर्तमान में उनसे जो काम लिया जा रहा है, उसका उचित मानदेय नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्हें अपना परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आशा कार्यकत्रियों ने उत्तराखंड सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि उचित मानदेय और बर्खास्त आशा कार्यकत्रियों को बहाल नहीं किया गया तो वे कार्य बहिष्कार के लिए मजबूर होंगी.

पिथौरागढ़: आशा कार्यकत्रियों ने मानदेय सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की. आशा कार्यकत्रियों कहना है, कि उन्होंने कोरोनाकाल में अपनी जान पर खेलकर दिन-रात लोगों की सेवा की है. लेकिन इसके लिए उन्हें उत्तराखंड सरकार से कोई भी सम्मान या प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है.

आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन.

आशा कार्यकत्रियों ने कहा कि उन्हें जनवरी महीने से मानदेय नहीं मिला है. जिससे गुस्साए आशा कार्यकत्रियों ने विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं, आशा कार्यकत्रियों का कहना है, कि कोरोनाकाल में उनसे जो काम लिया जा रहा है. उसके लिए प्रदेश सरकार की तरफ से कोई भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. ऐसे में उन्होंने मांग की है, कि उन्हें उनके द्वारा किए गए कार्यों का भत्ता देने के साथ ही उनका न्यूनतम मानदेय 18,000 रुपए किया जाए. साथ ही उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए.

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वहीं, आशा कार्यकत्रियों का कहना है, कि वर्तमान में उनसे जो काम लिया जा रहा है, उसका उचित मानदेय नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्हें अपना परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आशा कार्यकत्रियों ने उत्तराखंड सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि उचित मानदेय और बर्खास्त आशा कार्यकत्रियों को बहाल नहीं किया गया तो वे कार्य बहिष्कार के लिए मजबूर होंगी.

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