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10 गांवों का रास्ता बंद, भड़के ग्रामीण, दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी - blocked way to temple

way blocked to temple पिथौरागढ़ के भडकटिया समेत 10 गांवों का उनके पौराणिक मंदिर के लिए जाने वाला रास्ता बंद कर दिया है. ग्रामीणों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द समस्या का हल निकालने की मांग की है.

pithoragarh
पिथौरागढ़
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 6, 2024, 5:00 PM IST

पिथौरागढ़ः सेरा देवल मंदिर और भडकटीया सहित 10 ग्राम पंचायतों का आम रास्ता बंद कर दिया गया है. रास्ता बंद किए जाने से कॉलेज भडकटीया के छात्र-छात्राओं के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. ग्राणीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर जल्द से जल्द समस्या को हल करने के लिए कहा है. ग्रामीणों ने समस्या हल नहीं करने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि आज से लगभग 55 वर्ष साल पहले सेना और सुरक्षा विभाग ने हमारे दोनों क्षेत्र की पूर्ण भूमि अधिग्रहण कर ली थी. भूमि पर अभी भी क्षेत्र के पौराणिक मंदिर, पनघट (कुआं) हैं. पूर्व में सेना और जनता के बीच समझौता हुआ था कि मंदिर और पनघट के तरफ जाने वाले रास्त को ग्रामीणों के लिए नहीं रोका जाएग. इस बात का लिखित में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी का पत्र भी है. लेकिन अब क्षेत्र की जनता को स्कूल और पौराणिक मंदिर के लिए नहीं जाने दिया जा रहा है. इससे सांस्कृतिक कार्य, पूजा-पाठ के शुभ कार्य और स्कूली बच्चों के आगे बाधाएं आ रही हैं.
ये भी पढ़ेंः राजनाथ ने किया पतंजलि योगपीठ गुरुकुलम और आचार्यकुलम का शिलान्यास, रामदेव ने बताया शिक्षा क्रांति

ग्रामीणों का कहना है कि सेरा देवल 22 गांव का मुख्या पौराणिक मंदिर है. लेकिन मंदिर जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया गया है. ग्रामीणों ने अधिकारियों पर ग्रामीणों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप भी लगाया है. वहीं, दो दिन पूर्व विधायक मयूख महर ने भी डीएम से मुलाकात कर शिवरात्रि से पहले बंद किए गए मार्ग को खोलने की मांग की है. साथ ही चेतावनी दी कि अगर मार्ग नहीं खोला गया तो ग्रामीण किसी भी हद जाने को तैयार रहेंगे.

पिथौरागढ़ः सेरा देवल मंदिर और भडकटीया सहित 10 ग्राम पंचायतों का आम रास्ता बंद कर दिया गया है. रास्ता बंद किए जाने से कॉलेज भडकटीया के छात्र-छात्राओं के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. ग्राणीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर जल्द से जल्द समस्या को हल करने के लिए कहा है. ग्रामीणों ने समस्या हल नहीं करने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि आज से लगभग 55 वर्ष साल पहले सेना और सुरक्षा विभाग ने हमारे दोनों क्षेत्र की पूर्ण भूमि अधिग्रहण कर ली थी. भूमि पर अभी भी क्षेत्र के पौराणिक मंदिर, पनघट (कुआं) हैं. पूर्व में सेना और जनता के बीच समझौता हुआ था कि मंदिर और पनघट के तरफ जाने वाले रास्त को ग्रामीणों के लिए नहीं रोका जाएग. इस बात का लिखित में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी का पत्र भी है. लेकिन अब क्षेत्र की जनता को स्कूल और पौराणिक मंदिर के लिए नहीं जाने दिया जा रहा है. इससे सांस्कृतिक कार्य, पूजा-पाठ के शुभ कार्य और स्कूली बच्चों के आगे बाधाएं आ रही हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि सेरा देवल 22 गांव का मुख्या पौराणिक मंदिर है. लेकिन मंदिर जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया गया है. ग्रामीणों ने अधिकारियों पर ग्रामीणों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप भी लगाया है. वहीं, दो दिन पूर्व विधायक मयूख महर ने भी डीएम से मुलाकात कर शिवरात्रि से पहले बंद किए गए मार्ग को खोलने की मांग की है. साथ ही चेतावनी दी कि अगर मार्ग नहीं खोला गया तो ग्रामीण किसी भी हद जाने को तैयार रहेंगे.

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