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श्रीनगर में बांध बना रही कंपनी ने 111 लोगों को नौकरी से निकाला, कर्मचारियों ने आश्वासन देकर ठगने का लगाया आरोप

जल विद्युत परियोजना को बनाने के लिए श्रीनगर के ग्रामीणों ने अपनी भूमि जीवीके कंपनी को दी थी, जिसके एवज में कंपनी ने वहां के लोगों को 30 साल तक नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया था. साथ ही उसके लिए बकायदा बॉन्ड भी भरे गए थे. अब बांध निर्माता कंपनी ने 111 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है.

बांध निर्माता कंपनी ने 111 लोगों को दिखाया बाहर का रास्ता.
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Published : Jun 3, 2019, 5:43 PM IST

श्रीनगर: प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बांधों से बिजली का निर्माण होने के कारण इसे ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाता है. श्रीनगर के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने निजी कंपनी को अपनी जमीन देकर विद्युत परियोजना को पूरा करने में मदद की. वहीं, कर्मचारियों का आरोप है कि बांध निर्माता कंपनी ने 111 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है. अब ये लोग इंसाफ के लिए प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं.

श्रीनगर जल विद्युत परियोजना अलकनंदा नदी के किनारे इस डैम की शुरुआत जीवीके कंपनी के जरिए 2006 में की गई. उसी वर्ष कंपनी ने निर्माण कार्य भी शुरू किया और महज 9 वर्षों के अंदर कंपनी ने बिजली का उत्पादन करना शुरू कर दिया. इस जल विद्युत परियोजना से 330 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है, जिसकी 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखंड को मिलती है, शेष 88 प्रतिशत बिजली उत्तर प्रदेश को दी जाती है.

जल विद्युत परियोजना को बनाने के लिए श्रीनगर के ग्रामीणों ने अपनी भूमि जीवीके कंपनी को दे दी थी, जिसकी एवज में कंपनी ने वहां के लोगों को 30 साल तक नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया था. साथ ही उसके लिए बकायदा बॉड भी भरे गए थे. ये संधि एसडीएम, ग्राम प्रधान और जिलाधिकारी सहित कई उच्च अधिकारियों की देखरेख में हुई थी, लेकिन आज वहां काम कर रहे कई लोगो पर नौकरी का संकट गहरा रहा है.

ये भी पढ़ें: निर्मल पंचायती अखाड़ा में संपत्ति विवाद और गहराया, महंतों पर लगे गंभीर आरोप, परिसर में पीएसी तैनात

कंपनी ने पहले 14 कर्मचारियों को अनुशासनहीनता के बहाने नौकरी से निकाला. इसके बाद कंपनी ने 90 लोगों को फिर नौकरी से निकाल दिया है, जिससे उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. साथ ही दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

बता दें कि श्रीनगर की इस जल विद्युत परियोजना का शुरू में लोगों ने काफी विरोध किया था. तब यहां के ग्रामीणों के समर्थन में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती भी उतरी थीं, लेकिन कंपनी ने किसी तरह से लोगों को मना लिया और परियोजना के लिए जमीन ले ली. हालांकि, ग्रामीण यह भी कह रहे हैं कि अभी तक कई लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा भी कंपनी ने पूरी तरह से नहीं दिया है.

श्रीनगर: प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बांधों से बिजली का निर्माण होने के कारण इसे ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाता है. श्रीनगर के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने निजी कंपनी को अपनी जमीन देकर विद्युत परियोजना को पूरा करने में मदद की. वहीं, कर्मचारियों का आरोप है कि बांध निर्माता कंपनी ने 111 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है. अब ये लोग इंसाफ के लिए प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं.

श्रीनगर जल विद्युत परियोजना अलकनंदा नदी के किनारे इस डैम की शुरुआत जीवीके कंपनी के जरिए 2006 में की गई. उसी वर्ष कंपनी ने निर्माण कार्य भी शुरू किया और महज 9 वर्षों के अंदर कंपनी ने बिजली का उत्पादन करना शुरू कर दिया. इस जल विद्युत परियोजना से 330 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है, जिसकी 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखंड को मिलती है, शेष 88 प्रतिशत बिजली उत्तर प्रदेश को दी जाती है.

जल विद्युत परियोजना को बनाने के लिए श्रीनगर के ग्रामीणों ने अपनी भूमि जीवीके कंपनी को दे दी थी, जिसकी एवज में कंपनी ने वहां के लोगों को 30 साल तक नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया था. साथ ही उसके लिए बकायदा बॉड भी भरे गए थे. ये संधि एसडीएम, ग्राम प्रधान और जिलाधिकारी सहित कई उच्च अधिकारियों की देखरेख में हुई थी, लेकिन आज वहां काम कर रहे कई लोगो पर नौकरी का संकट गहरा रहा है.

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कंपनी ने पहले 14 कर्मचारियों को अनुशासनहीनता के बहाने नौकरी से निकाला. इसके बाद कंपनी ने 90 लोगों को फिर नौकरी से निकाल दिया है, जिससे उन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. साथ ही दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

बता दें कि श्रीनगर की इस जल विद्युत परियोजना का शुरू में लोगों ने काफी विरोध किया था. तब यहां के ग्रामीणों के समर्थन में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती भी उतरी थीं, लेकिन कंपनी ने किसी तरह से लोगों को मना लिया और परियोजना के लिए जमीन ले ली. हालांकि, ग्रामीण यह भी कह रहे हैं कि अभी तक कई लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा भी कंपनी ने पूरी तरह से नहीं दिया है.

Intro:Body:Slug- dar dar bhatk rahe karmchari

Date-3-6-2019 /mohan/ Srinagar

एंकर-उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाता है। इसकी वजह है प्रदेस के विभिन्न क्षेत्रो मे बांधों से बिजली का निर्माण। इसी लिए ही श्रीनगर के आधा दर्जन गावो के लोगों ने निजी कंपनी को खुशी खुशी अपनी जमीन दी और एक परियोजना को साकार होने का सपना देखा। परियोजना पूरी भी हो गई , बिजली का उत्पादन भी होने लगा फिर बाध निर्मात्री कम्पनी लोगो को छला और एकाएक 111 लोगो को नौकरी से ही निकाल दिया अब ये लोग इसाफ के लिए सरकार से लेके प्रसासन के चक्कर काट रहे है देखिए ये रिर्पोटक्-

वीओ 1- ये है श्रीनगर जल विधुत परियोजना श्रीनगर अलकनंदा नदी के किनारे इस डेम की शुरुआत जीवीके कंपनी के जरिए 2006 में की गई। उसी वर्ष कंपनी ने निर्माण कार्य भी शुरू किया। और महज 9 वर्षों के अंदर कंपनी ने बिजली का उत्पादन करना शुरु कर दिया। इस जल विधुत परियोजना से 330 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है। जिसका 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखण्ड को मिलती है और बाकी उत्तरप्रदेश को 88 प्रतिशत बिजली दी जाती है यूपी मे जलने वाला हर फखा बल्ब इसी उत्तराखण्ड की बिजली से जलता है।ये तो इस बान्ध बनाने का था एक पहलु इस बान्ध का दूसरा पहलु ये है की जल विधुत परियोजन को बनाने के लिए श्रीनगर के ग्रामीणों ने अपनी भूमि जीवीके कंपनी को दे दी थी। जिसकी एवज में कंपनी ने वहां के लोगो को 30 साल तक नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया था । साथ ही उसके लिए बाकायदा बांड भी भरे गए थे। इससे लोग खासकर युवा अपने भविष्य के बारे में आश्वस्त हो गए थे। एक तो कंपनी ने जमीन के बदले पैसे दिए थे साथ ही उनके पास अपने ही इलाके में रोजगार का जरिया हो गया था। खास बात यह है कि जब कंपनी के जरिए लोगों से बांड भरा गया था वहा के एसडीएम ग्राम प्रधान व जिलाधिकारी सहित कई उच्च अधिकारियो की देखरेख में यह बांड भरा गया था लेकिन आज वहां काम कर रहे कई लोगो पर नौकरी का संकट गहरा रहा है। क्योकि कंपनी लोगों को रोजगार में रखने से मुकर रही है। कंपनी ने पहले 14 कर्मचारियों को अनुशासनहीनता के बहाने नौकरी से निकाला । और अब कंपनी ने 90 लोगो को नौकरी से निकाल दिया है जिससे उन लोगो पर रोजी रोटी का संकट आ गया है और वह अब दर दर की ठोकरे खा रहे है । उनके सामने दिक्कत यह है कि नौकरी को लेकर आश्वस्त होने के बाद उन्होंने कहीं और आवेदन नहीं किया । ऐसे में उम्र बढ जाने से अब उनके सामने नई नौकरी हासिल करने का संकट खडा हो गया है। इस तरह कंपनी के छलावे से वह मुश्किल में पड गए हैं। अब उनके पास अपनी जमीन भी नहीं है।

बाइट - प्रदीप पांडेय कर्मचारी
बाइट - अमित प्रसाद कर्मचारी

वीओ 2- श्रीनगर की इस जल विधुत परियोजना का शुरू में लोगों ने काफी विरोध किया था। तब यहाँ के ग्रामीणों के समर्थन में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती भी इसके विरोध में उत्तरी थी। लेकिन उसके बाद जैसे तैसे कंपनी ने तरह तरह के आश्वासन प्रलोभन देकर लोगो को मना लिया था और परियोजना के लिए जमीन ले ली। हालांकि ग्रामीण यह भी कह रहे हैं कि अभी तक कई लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा भी कंपनी पूरी तरह से नहीं दे पाई है। पहले ग्रामीण नौकरी में होने की वजह से अपनी इस बात को नहीं उठा रहे थे, लेकिन अब वे इस पर खुलकर बोल रहे हैं। और शीघ्र आंदोलन की धमकी दे रहे हैं।
बाइट रू- प्रदीप पांडेय कर्मचारी
बाइट रू- विजय चमोली कर्मचारी

वीओ 3 कर्मचारियों के निकाले जाने को लेकर जब हमने कंपनी के डिप्टी जनरल मैनेजर से बात की तो उनका कहना है कि अब इन कर्मचारियों को देने के लिए उनके पास कोई काम नहीं है जिसके चलते इन्हे निकाला जा रहा है। Conclusion:
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