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कोटद्वार में बारिश का कहर, 78MM बारिश की गई दर्ज - कोटद्वार में मूसलाधार बारिश

पौड़ी के कोटद्वार में बारिश ने अपना कहर बरपाया है. क्षेत्र में सबसे ज्यादा 78 एमएम बारिश दर्ज की गई है. दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से निचले क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है.

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Published : Jun 25, 2023, 12:18 PM IST

Updated : Jun 25, 2023, 1:11 PM IST

कोटद्वार में बारिश का कहर

कोटद्वार: गढ़वाल मंडल में पिछले दो दिनों से भारी बारिश जारी है. मौसम विभाग उत्तराखंड की भविष्यवाणी के अनुसार पौड़ी जनपद के कोटद्वार क्षेत्र में सबसे ज्यादा बारिश के आंकड़े सामने आए हैं. मूसलाधार बारिश से निचले इलाके कौड़ियां, बलभद्रपुर के निचले रिहायशी इलाकों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में बरसात की पहली बारिश ने ही नगर निगम कोटद्वार व राजस्व प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है.

नगर निगम कोटद्वार व कोटद्वार प्रशासन ने बरसात में नगर निगम क्षेत्र में जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए सभी तैयारियों का दावा किया था, लेकिन दो दिनों से मूसलाधार बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई हैं. क्षेत्र में सबसे ज्यादा 78MM बारिश मापी गई है, जो की अब तक की सबसे ज्यादा बारिश है. लगातार भारी बारिश से मालन, सुखरो, खो नदी और पनियाली गदेरा उफान पर हैं. साथ ही भारी बारिश से लैंसडाउन फतेहपुर मार्ग पर एक गदेरें में मलबा आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है. जिससे आवाजाही बंद हो गई है. सूचना मिलने के बाद लोकनिर्माण विभाग ने मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीन को मौके पर भेज दिया है.

rainfall in laksar
निचले क्षेत्रों में बरसे मेघ

ये भी पढ़ें: कोहरे के आगोश में पहाड़ों की रानी मसूरी, मौसम का लुत्फ उठा रहे सैलानी

गढ़वाल क्षेत्र के कोटद्वार में सबसे ज्यादा बारिश मापी गई है. कोटद्वार तहसील में 78 एमएम बारिश, लैंसडाउन तहसील में 24 एमएम बारिश, यमकेश्वर तहसील में 4 एमएम बारिश और सतपुली तहसील क्षेत्र में 10 एमएम बारिश मापी गई है. लैंसडाउन फतेहपुर मार्ग बंद होने से लैंसडाउन आने वाले पर्यटक यात्री गुमखाल जहरीखाल मोटर मार्ग से लैंसडाउन पहुंच रहे हैं. रविवार को लैंसडाउन में पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.

लक्सर के मैदानी क्षेत्रों में बीते दिन और आज सुबह से हो रही बारिश के कारण जनमानस को गर्मी और चिलचिलाती धूप से राहत मिली है. बच्चे भी बारिश में झूमतें नजर आ रहे हैं. बता दें कि बीते कुछ दिनों से गर्मी ने अपना कहर बरपाना शुरू किया था. जिससे मज़दूरों को मज़दूरी करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और किसानों को भी अपनी फसलों को बचाने के लिए आए दिन खेतों में पानी देना पड़ रहा था .

ये भी पढ़ें: केदारनाथ धाम में मौसम का कहर, अलकनंदा और मंदाकिनी नदी ने लिया विकराल रूप

कोटद्वार में बारिश का कहर

कोटद्वार: गढ़वाल मंडल में पिछले दो दिनों से भारी बारिश जारी है. मौसम विभाग उत्तराखंड की भविष्यवाणी के अनुसार पौड़ी जनपद के कोटद्वार क्षेत्र में सबसे ज्यादा बारिश के आंकड़े सामने आए हैं. मूसलाधार बारिश से निचले इलाके कौड़ियां, बलभद्रपुर के निचले रिहायशी इलाकों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में बरसात की पहली बारिश ने ही नगर निगम कोटद्वार व राजस्व प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है.

नगर निगम कोटद्वार व कोटद्वार प्रशासन ने बरसात में नगर निगम क्षेत्र में जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए सभी तैयारियों का दावा किया था, लेकिन दो दिनों से मूसलाधार बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई हैं. क्षेत्र में सबसे ज्यादा 78MM बारिश मापी गई है, जो की अब तक की सबसे ज्यादा बारिश है. लगातार भारी बारिश से मालन, सुखरो, खो नदी और पनियाली गदेरा उफान पर हैं. साथ ही भारी बारिश से लैंसडाउन फतेहपुर मार्ग पर एक गदेरें में मलबा आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है. जिससे आवाजाही बंद हो गई है. सूचना मिलने के बाद लोकनिर्माण विभाग ने मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीन को मौके पर भेज दिया है.

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निचले क्षेत्रों में बरसे मेघ

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गढ़वाल क्षेत्र के कोटद्वार में सबसे ज्यादा बारिश मापी गई है. कोटद्वार तहसील में 78 एमएम बारिश, लैंसडाउन तहसील में 24 एमएम बारिश, यमकेश्वर तहसील में 4 एमएम बारिश और सतपुली तहसील क्षेत्र में 10 एमएम बारिश मापी गई है. लैंसडाउन फतेहपुर मार्ग बंद होने से लैंसडाउन आने वाले पर्यटक यात्री गुमखाल जहरीखाल मोटर मार्ग से लैंसडाउन पहुंच रहे हैं. रविवार को लैंसडाउन में पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.

लक्सर के मैदानी क्षेत्रों में बीते दिन और आज सुबह से हो रही बारिश के कारण जनमानस को गर्मी और चिलचिलाती धूप से राहत मिली है. बच्चे भी बारिश में झूमतें नजर आ रहे हैं. बता दें कि बीते कुछ दिनों से गर्मी ने अपना कहर बरपाना शुरू किया था. जिससे मज़दूरों को मज़दूरी करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और किसानों को भी अपनी फसलों को बचाने के लिए आए दिन खेतों में पानी देना पड़ रहा था .

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Last Updated : Jun 25, 2023, 1:11 PM IST
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