श्रीनगर/हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर से संबद्ध बेस अस्पताल के गुस्साए प्रशिक्षु डॉक्टरों ने राज्य सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग की है. इससे पूर्व भी मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्रशिक्षु डॉक्टर मानदेय बढ़ाने की मांग कर चुके हैं.
प्रशिक्षु डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले 11 सालों से 7 हजार रुपये के मानदेय में बेस अस्पताल श्रीकोट में कार्य कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से अपने मानदेय में 20 हजार रुपये के मानदेय वृद्धि की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को ज्ञापन भी प्रेषित किया. डॉक्टरों ने यहां तक कहा कि अगर उनके मानदेय में वृद्धि नहीं की जाती है, तो वे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बेस अस्पताल में कार्य बहिष्कार शुरू कर देंगे.
बता दें कि मेडिकल कॉलेज श्रीकोट से संबद्ध बेस अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई कर चुके छात्र एक साल के प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु डॉक्टर के रूप में कार्य करते हैं, जो बेस अस्पताल के विभिन्न संकायों में बतौर सहायक के रूप में मरीजों का इलाज के दौरान मदद करते हैं. साथ ही परीक्षण अवधि समाप्त होने के बाद ये प्रशिक्षु डॉक्टर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बतौर डॉक्टर अपनी सेवा देते हैं.
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हल्द्वानी के पीजी छात्रों ने किया अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के पीजी इंटर्न के छात्र अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर चले गए हैं. मेडिकल छात्रों के हड़ताल से सुशीला तिवारी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी असर देखा जा रहा है. हड़ताल पर चले जाने से ओपीडी के अलावा ऑपरेशन सहित कई विभागों पर इसका असर पड़ा है.
वहीं, हड़ताल पर गए डॉक्टरों का कहना है कि एमबीबीएस के बाद एक साल के लिए मेडिकल कॉलेज में कार्यरत इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टर केवल साढ़े सात हजार रुपये मासिक मानदेय पर काम कर रहे हैं, जबकि कई राज्यों में उनकों 35,000 से अधिक का मानदेय दिया जाता है. डाक्टरों का कहना है कि उन्हें कोविड ड्यूटी के समय उनसे 12 से लेकर 24 घंटे काम लिया गया.
वहीं प्रशासन द्वारा उनको 60 हजार रुपये मासिक मानदेय दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन 7,500 मानदेय ही दिया जा रहा है. इंटर्न डाक्टरों का कहना है कि उन्हें अन्य राज्यों की तरह 23,500 रुपये मानदेय दिया जाए. डॉक्टरों ने कहा कि जबतक उनकी मांगे नहीं मानी जाती, तबतक वह लोग अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर रहेंगे.