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देवप्रयाग पुल बंद होने से बढ़ी लोगों की परेशानी, डीएम से कहा रास्ता निकालें - People met DM

देवप्रयाग पुल को जिला प्रशासन ने आवाजाही के लिए बंद (Devprayag bridge closed) कर दिया है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में देवप्रयाग नगरपालिका के अध्यक्ष के नेतृत्व के एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की. साथ ही पुल पर जल्द आवाजाही शुरू करने की मांग की.

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Published : Dec 9, 2022, 10:27 AM IST

पौड़ी: आम लोगों की जान माल की सुरक्षा के लेकर बीते दिनों देवप्रयाग पुल को जिला प्रशासन ने आवाजाही के लिए बंद (Devprayag bridge closed) कर दिया है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के पास एक किनारे से दूसरे किनारे जाने के लिए और कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है. पुल बंद होने से सबसे अधिक प्रभाव स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है. स्थानीय लोगों द्वारा पुल को फिर से खोले जाने की मांग उठाई जा रही है. जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में देवप्रयाग नगरपालिका के अध्यक्ष के नेतृत्व के एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की.

डीएम के निर्देश पर पुल बंद: करीब 200 साल पहले ब्रिटिश गढ़वाल को टिहरी रियासत के देवप्रयाग कस्बे को जोड़ने के लिए अलकनंदा नदी के ऊपर अंग्रेजों ने इस झूला पुल का निर्माण कराया था. जिससे ब्रिटिश शासन में गढ़वाल और टिहरी रियासत के बीच बुनियादी जरूरत को जुटाने तथा आवाजाही सुगमता से की जा सके. तब भी यह पुल बेहद अहम था और समय के साथ उसकी जरूरी आज पहले से कहीं अधिक हो गई है. ऐसे में पुल की जर्जर स्थिति के चलते पौड़ी के जिला प्रशासन ने जान माल की क्षति से बचने के लिए इसे बंद करना ही मुनासिब समझा. पौड़ी डीएम डॉ. आशीष चौहान (Pauri DM Ashish Chauhan) के निर्देशों के बाद बीते 4 दिसंबर को पुल पूर्णरूप से आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया.
पढ़ें-नए साल की खूबसूरत शुरुआत करना चाहते हैं तो आइए चकराता, प्रकृति कर रही है इंतजार

लोगों को तय करनी पड़ रही अतिरिक्त दूरी: लेकिन महज 4 दिन बीतने के बाद ही लोगों को इस पुल का महत्व समझ में आया. स्थानीय लोगों की मानें तो पुल बंद होने से लोगों को दूसरे पुल से अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. इससे सबसे अधिक असर स्कूली बच्चों और रोजमर्रा की चीजों के लिए आसानी से इस पार से उस पार आने जाने वाले लोगों पर पड़ रही है. देवप्रयाग के लोग अब आक्रोश में हैं. लोगों की मानें तो इस पुल को पहले की भांति आवागमन के लिए खोल दिए जाने की मांग उठाई जा रही है. पुल नहीं खोले जाने पर लोगों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

शिष्टमंडल ने डीएम से की मुलाकात: वहीं देवप्रयाग के नगर पालिकाध्यक्ष (Devprayag Municipal President) कृष्णकांत कोटियाल के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की. उन्होंने कहा पुल को शीघ्र ही खोलकर उसे पूर्व की भांति सुचार किया जाए. कहा कि लोगों ने पुल को खोले जाने के लिए बैठक कर आंदोलन की रणनीति तय की है. जिसमें पहले तो चक्काजाम व क्रमिक अनशन तथा उसके बाद चरणबद्ध तरीके के मशाल झुलूस, पुतला दहन व आमरण अनशन तक किये जाने की तैयारी है. कहा कि जिला प्रशासन पुल को खोलते हुए उसके दोनों किनारों पर सुरक्षा कर्मी तैनात कर तय संख्या में लोगों को पुल से आवागमन करने की इजाजद दे. वहीं डीएम डॉ. आशीष चौहान ने शिष्टमंडल की मांग के मद्देनजर लोनिवि से पुन: पुल का निरीक्षण करने की बात कही. डीएम ने कहा कि लोगों की इच्छा के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा.

पौड़ी: आम लोगों की जान माल की सुरक्षा के लेकर बीते दिनों देवप्रयाग पुल को जिला प्रशासन ने आवाजाही के लिए बंद (Devprayag bridge closed) कर दिया है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के पास एक किनारे से दूसरे किनारे जाने के लिए और कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है. पुल बंद होने से सबसे अधिक प्रभाव स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है. स्थानीय लोगों द्वारा पुल को फिर से खोले जाने की मांग उठाई जा रही है. जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में देवप्रयाग नगरपालिका के अध्यक्ष के नेतृत्व के एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की.

डीएम के निर्देश पर पुल बंद: करीब 200 साल पहले ब्रिटिश गढ़वाल को टिहरी रियासत के देवप्रयाग कस्बे को जोड़ने के लिए अलकनंदा नदी के ऊपर अंग्रेजों ने इस झूला पुल का निर्माण कराया था. जिससे ब्रिटिश शासन में गढ़वाल और टिहरी रियासत के बीच बुनियादी जरूरत को जुटाने तथा आवाजाही सुगमता से की जा सके. तब भी यह पुल बेहद अहम था और समय के साथ उसकी जरूरी आज पहले से कहीं अधिक हो गई है. ऐसे में पुल की जर्जर स्थिति के चलते पौड़ी के जिला प्रशासन ने जान माल की क्षति से बचने के लिए इसे बंद करना ही मुनासिब समझा. पौड़ी डीएम डॉ. आशीष चौहान (Pauri DM Ashish Chauhan) के निर्देशों के बाद बीते 4 दिसंबर को पुल पूर्णरूप से आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया.
पढ़ें-नए साल की खूबसूरत शुरुआत करना चाहते हैं तो आइए चकराता, प्रकृति कर रही है इंतजार

लोगों को तय करनी पड़ रही अतिरिक्त दूरी: लेकिन महज 4 दिन बीतने के बाद ही लोगों को इस पुल का महत्व समझ में आया. स्थानीय लोगों की मानें तो पुल बंद होने से लोगों को दूसरे पुल से अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. इससे सबसे अधिक असर स्कूली बच्चों और रोजमर्रा की चीजों के लिए आसानी से इस पार से उस पार आने जाने वाले लोगों पर पड़ रही है. देवप्रयाग के लोग अब आक्रोश में हैं. लोगों की मानें तो इस पुल को पहले की भांति आवागमन के लिए खोल दिए जाने की मांग उठाई जा रही है. पुल नहीं खोले जाने पर लोगों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

शिष्टमंडल ने डीएम से की मुलाकात: वहीं देवप्रयाग के नगर पालिकाध्यक्ष (Devprayag Municipal President) कृष्णकांत कोटियाल के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की. उन्होंने कहा पुल को शीघ्र ही खोलकर उसे पूर्व की भांति सुचार किया जाए. कहा कि लोगों ने पुल को खोले जाने के लिए बैठक कर आंदोलन की रणनीति तय की है. जिसमें पहले तो चक्काजाम व क्रमिक अनशन तथा उसके बाद चरणबद्ध तरीके के मशाल झुलूस, पुतला दहन व आमरण अनशन तक किये जाने की तैयारी है. कहा कि जिला प्रशासन पुल को खोलते हुए उसके दोनों किनारों पर सुरक्षा कर्मी तैनात कर तय संख्या में लोगों को पुल से आवागमन करने की इजाजद दे. वहीं डीएम डॉ. आशीष चौहान ने शिष्टमंडल की मांग के मद्देनजर लोनिवि से पुन: पुल का निरीक्षण करने की बात कही. डीएम ने कहा कि लोगों की इच्छा के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा.

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