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इगास के मौके पर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के गांव पहुंचे पौड़ी विधायक, AAP और यूकेडी ने दिया संदेश - Pauri MLA Mukesh Koli reached Nakot village

पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने अनिल बलूनी के गांव नकोट पहुंचकर इगास मनाई.

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धूमधाम से मनाया जा रहा इगास.
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Published : Nov 25, 2020, 9:12 PM IST

पौड़ी: प्रदेशभर के पहाड़ी अंचलों में आज इगास-बग्वाल बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. दिवाली के 11 वें दिन मनाया जाने वाला ये पर्व प्रदेश का पारंपरिक पर्व है. इस दिन घरों में दाल, पुड़ी, पकौड़े बनाये जाते हैं. घी के दीपक जलाकर घरों को रोशन किया जाता है. इगास-बग्वाल के दिन आतिशबाजी के बजाय भैलो खेलने की परंपरा है. खासकर बड़ी बग्वाल के दिन यह मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. आज पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने अनिल बलूनी के गांव नकोट पहुंचकर इगास मनाई.

धूमधाम से मनाया जा रहा इगास.

बीते साल उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने एक मुहिम की शुरूआत की थी. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के सभी लोगों से आग्रह किया था कि वह लोग अपने गांव में जाकर इगास (पहाड़ की छोटी दीपावली) पर्व मनाएं. हालांकि तब बलूनी स्वास्थ्य कारणों के चलते अपने गांव नहीं पहुंच पाये थे. उनके प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी के तेज-तर्रार प्रवक्ता संबित पात्रा उनके गांव नकोट पहुंचे थे. इतना ही नहीं इस बार पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने भी उनके गांव पहुंचकर ग्रामीणों के साथ मिलकर इगास मनाई. इस दौरान उन्होंने लोगों से मिलजुल कर अपनी परपंरा को बचाने की अपील की.

पढ़ें- हाई कोर्ट ने UTC को दिया आदेश, कर्मचारी यूनियन को जल्द एक करोड़ रुपए का भुगतान करें

बलूनी की अपील का दिखा असर

उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार इगास के प्रति प्रदेशवासियों में रुचि जगाने और उन्हें प्रेरित करने के बाद इसका असर भी दिखाई देने लगा है. तब से प्रदेश में इस त्योहार के लोग बड़े ही उत्साह से तैयारी करते हैं. राजनीति और अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग भी अब धीरे-धीरे अपने गांवों में ईगास मनाने को लेकर प्रेरित हो रहे हैं.

पढ़ें- पार्षद हत्याकांड में शामिल दो आरोपी दिल्ली में गिरफ्तार, वायरल हुई FIR !

यह है मान्यता

पहाड़ में एकादशी को इगास कहते हैं. इसलिए इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है, जो विशेषतौर पर गढ़वाल के जौनपुर, थौलधार, प्रतापनगर, रंवाई, चमियाला आदि क्षेत्रों में मनाई जाती है. एक मान्यता के अनुसार गढ़वाल में भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिली थी, इसलिए यहां पर 11 दिन बाद यह पर्व मनाया जाता है.

पढ़ें-फर्जी टीचर गिरफ्तार, 23 सालों से शिक्षा विभाग को बना रहा था बेवकूफ

दूसरी मान्यता के अनुसार दीपावली के समय गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दीपावली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी. युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई थी.

इगास के मौके पर यूकेडी ने शहीदों को किया नमन

देहरादून में भी पर्वतीय आंचल का लोक पर्व इगास-बग्वाल मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में यूकेडी ने शहीदों को नमन करते हुए कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर दीए जलाये. इस दौरान यूकेडी कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये पर्व हमारी लोक परंपरा और आस्था का प्रतीक है, जिसे पर्वतीय अंचलों में दीपावली के रूप में मनाया जाता है. वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी से लेकर श्री रामचंद्र जी के वनवास से अयोध्या वापसी की आस्था का पर्व है. यह पर्व भेलो के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

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आप ने खाली हुए गांवों और घरों में जलाये दिये

आप ने खाली हुए गांवों और घरों में जलाये दिये

वहीं आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर खाली पड़े गांवों और घरों में दीपक जलाकर इस त्योहार को धूमधाम से मना रही है. राजधानी देहरादून में भी आप कार्यकर्ताओं ने धर्मपुर में एक जगह पर एकत्रित होकर एक साथ कई दीए जलाकर इस पर्व को मनाया. इस दौरान आप कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि अगले साल 2021 तक उनका प्रयास रहेगा कि पहाड़ों में खाली पड़े सभी गांवों में दिए जले ताकि हमारे विलुप्त हो रहे पहाड़ों के त्योहार मेलों को बचाया जा सकें.

पौड़ी: प्रदेशभर के पहाड़ी अंचलों में आज इगास-बग्वाल बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. दिवाली के 11 वें दिन मनाया जाने वाला ये पर्व प्रदेश का पारंपरिक पर्व है. इस दिन घरों में दाल, पुड़ी, पकौड़े बनाये जाते हैं. घी के दीपक जलाकर घरों को रोशन किया जाता है. इगास-बग्वाल के दिन आतिशबाजी के बजाय भैलो खेलने की परंपरा है. खासकर बड़ी बग्वाल के दिन यह मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. आज पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने अनिल बलूनी के गांव नकोट पहुंचकर इगास मनाई.

धूमधाम से मनाया जा रहा इगास.

बीते साल उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने एक मुहिम की शुरूआत की थी. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के सभी लोगों से आग्रह किया था कि वह लोग अपने गांव में जाकर इगास (पहाड़ की छोटी दीपावली) पर्व मनाएं. हालांकि तब बलूनी स्वास्थ्य कारणों के चलते अपने गांव नहीं पहुंच पाये थे. उनके प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी के तेज-तर्रार प्रवक्ता संबित पात्रा उनके गांव नकोट पहुंचे थे. इतना ही नहीं इस बार पौड़ी विधायक मुकेश कोली ने भी उनके गांव पहुंचकर ग्रामीणों के साथ मिलकर इगास मनाई. इस दौरान उन्होंने लोगों से मिलजुल कर अपनी परपंरा को बचाने की अपील की.

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बलूनी की अपील का दिखा असर

उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार इगास के प्रति प्रदेशवासियों में रुचि जगाने और उन्हें प्रेरित करने के बाद इसका असर भी दिखाई देने लगा है. तब से प्रदेश में इस त्योहार के लोग बड़े ही उत्साह से तैयारी करते हैं. राजनीति और अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग भी अब धीरे-धीरे अपने गांवों में ईगास मनाने को लेकर प्रेरित हो रहे हैं.

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यह है मान्यता

पहाड़ में एकादशी को इगास कहते हैं. इसलिए इसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है, जो विशेषतौर पर गढ़वाल के जौनपुर, थौलधार, प्रतापनगर, रंवाई, चमियाला आदि क्षेत्रों में मनाई जाती है. एक मान्यता के अनुसार गढ़वाल में भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना 11 दिन बाद मिली थी, इसलिए यहां पर 11 दिन बाद यह पर्व मनाया जाता है.

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दूसरी मान्यता के अनुसार दीपावली के समय गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दीपावली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी. युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई थी.

इगास के मौके पर यूकेडी ने शहीदों को किया नमन

देहरादून में भी पर्वतीय आंचल का लोक पर्व इगास-बग्वाल मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में यूकेडी ने शहीदों को नमन करते हुए कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर दीए जलाये. इस दौरान यूकेडी कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये पर्व हमारी लोक परंपरा और आस्था का प्रतीक है, जिसे पर्वतीय अंचलों में दीपावली के रूप में मनाया जाता है. वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी से लेकर श्री रामचंद्र जी के वनवास से अयोध्या वापसी की आस्था का पर्व है. यह पर्व भेलो के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

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आप ने खाली हुए गांवों और घरों में जलाये दिये

आप ने खाली हुए गांवों और घरों में जलाये दिये

वहीं आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर खाली पड़े गांवों और घरों में दीपक जलाकर इस त्योहार को धूमधाम से मना रही है. राजधानी देहरादून में भी आप कार्यकर्ताओं ने धर्मपुर में एक जगह पर एकत्रित होकर एक साथ कई दीए जलाकर इस पर्व को मनाया. इस दौरान आप कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया कि अगले साल 2021 तक उनका प्रयास रहेगा कि पहाड़ों में खाली पड़े सभी गांवों में दिए जले ताकि हमारे विलुप्त हो रहे पहाड़ों के त्योहार मेलों को बचाया जा सकें.

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