कोटद्वार: पौड़ी जनपद का सबसे बड़ा अस्पताल बेस चिकित्सालय कोटद्वार रेफरल सेंटर बन कर गया है. 300 बेड का कोटद्वार बेस अस्पताल इन दिनों स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. बेस चिकित्सालय पर क्षेत्र की 3 से 4 लाख की आबादी का भार है. इस अस्पताल में द्वारीखाल, यमकेश्वर, रिखणीखाल, नैनीडांडा, एकेश्वर, बीरोंखाल और बिजनौर जिले के नजीबाबाद क्षेत्र के मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए पहुंचते हैं. लेकिन अस्पताल में 224 स्वीकृत पदों के सापेक्ष सिर्फ 83 पद भरे हुए हैं.
कोटद्वार बेस अस्पताल में एक दिन में लगभग 800 से 900 मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए आते हैं, जबकि आकस्मिक विभाग में एक दिन में 70-80 मरीज भर्ती होते हैं. लेकिन स्टाफ के अभाव में मरीजों को सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है. कोटद्वार बेस अस्पताल में भर्ती पत्नी के साथ आये महेंद्र ध्यानी बताते हैं कि पत्नी को तीन दिन पहले प्रसव हुआ था. लेकिन अभी तक उनकी पत्नी को टांके नहीं लगाये गये हैं. वहीं, जच्चा-बच्चा वार्ड व शौचालयों में गंदगी पसरी हुई है.
इलाज के लिए आए गुणानंद कोटनाला ने बताया वो सुबह 7 बजे पर्ची काउंटर पर आ गए थे. लेकिन अधिक भीड़ होने की वजह से 11 बजे पर्ची काउंटर से उपलब्ध हो पाई. डॉक्टर के पास गए तो उनका 150वां नम्बर होने की वजह से बिना इलाज के ही उनको घर जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बेस अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. सरकार को जल्द से जल्द डाक्टरों की भर्ती करनी चाहिए. अंकित थपलियाल ने बताया कि वो अपनी मां का कोटद्वार बेस अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. लेकिन अस्पताल में डॉक्टर सही समय पर इलाज नहीं कर रहे हैं. दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं.
बता दें, कोटद्वार बेस अस्पताल में प्लंबर (plumber), इलेक्ट्रीशियन (electrician) का पद भी नहीं है. बेस अस्पताल प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ आदित्य तिवारी (hospital Medical Officer Dr Aditya Tiwari) ने बताया कि स्टाफ की कमी के लिए जिलाधिकारी, जिला मुख्य चिकित्साधिकारी, सचिव स्वास्थ्य विभाग, आयुष मंत्रालय, प्रदेश सरकार, कोटद्वार विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण को पत्र द्वारा अवगत करवाया गया है.
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प्रभारी चिकित्साधिकारी ने बताया कि अस्पताल में संसाधन तो भरपूर हैं, लेकिन जुलाई माह में 18 कर्मचारियों को चिकित्सा समिति द्वारा हटाया गया. इस वजह से मौजूदा स्टाफ पर अतिरिक्त काम भार बन गया है. वहीं, अन्य 30 कर्मचारी कोविड -19 महामारी के समय दैनिक वेतन पर रखे गए थे, उनकी भी सेवा समाप्त हो गई है. इस वजह से कोटद्वार में भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देना स्टाफ के लिए चुनौती बना हुआ है.