पौड़ी: उत्तराखंड बनने के बाद से ही लगातार पहाड़ी क्षेत्रों पलायन हो रहा है. जिसे रोकने और पलायन के कारणों को जानने के लिए उत्तराखंड सरकार ने पलायन आयोग का गठन किया था. पौड़ी के रहने वाले शरद सिंह नेगी को इसका उपाध्यक्ष चुना गया. आयोग को बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि पहाड़ से हो रहे पलायन में कमी आएगी, इसके कारणों का निवारण किया जाएगा. मगर प्रदेश में ठीक इसके उलट हो रहा है. पलायन आयोग के उपाध्यक्ष खुद ही मैदानों की ओर देख रहे हैं. उन्होंने अपना पौड़ी स्थित पैतृक घर बेच दिया है.
वहीं, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष शरद नेगी के पैतृक घर बेचेने को बेचने का मामला सियासी गलियों में भी तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, सहित तमाम छोटे-बड़े दल और क्षेत्र प्रतिनिधि इस मामले में सरकार को घेरने में लग गये हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब उनके उपाध्यक्ष ही पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं तो सरकार बेवजह पलायन आयोग का ढोंग क्यों कर रही है?
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कांग्रेस से पूर्व राज्य मंत्री रही सरिता नेगी ने कहा कि पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए पलायन आयोग बनाया गया था. लोगों को उम्मीद थी कि इससे पहाड़ों पर एक बार फिर से जीवन आबाद होगा. मगर सरकार ने पलायन आयोग बनाकर सिर्फ अपने लोगों को ही फायदा पहुंचाया है, वो भी अब शायद यहां से ऊब चुके हैं.
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उन्होंने कहा आज जिस तरह से आयोग के उपाध्यक्ष ने अपना पैतृक घर बेचा है उससे साफ जाहिर होता है कि मात्र खानापूर्ति के लिए पलायन आयोग बनाया गया है. सरिता नेगी ने कहा अगर सरकार की मंशा साफ होती तो उनके ही उपाध्यक्ष यूं ही अपना पैतृक घर नहीं बेचते.