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एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, वन विभाग ने लोगों को किया जागरूक - श्रीनगर हिंदी समाचार

माणिक नाथ रेंज की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका उद्देश्य लोगों को जागरूर कर इंसान और जंगली जानवरों के बीच होने वाले संघर्ष को रोकना है.

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एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : Mar 24, 2021, 7:19 PM IST

श्रीनगर: इंसान और जंगली जानवरों के बीच आपसी संघर्ष के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस संघर्ष को कम करने के लिए माणिक नाथ रेंज की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में प्रदेश के भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धीरेंद्र पांडे समेत वन विभाग के तमाम आलाधिकारी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि इस कार्यसाला का उद्देश्य लोगों को जागरूक कर इंसान और जंगली जानवरों के बीच होने वाले संघर्ष को रोकना है.

अगर आकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 से 2020 तक पौड़ी में 30, अल्मोड़ा में 40, पिथौरागढ़ में 23, रुद्रप्रयाग में 15, टिहरी में 9 और नरेंद्रनगर में 22 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमे गुलदार के इंसान पर हमला करने से मौत हुई है या फिर इंसान गंभीर रूप से घायल हुआ है. इन हालातों को देखते हुए वन विभाग ने लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. जगह-जगह इस प्रकार के आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए विभाग, महाराष्ट्र वन विभाग और सामजिक संगठनों की मदद भी ले रहा है.

ये भी पढ़ें: 24 मार्च : कोरोना महामारी को लेकर हुआ था देश में लॉकडाउन का एलान

वहीं, भागीरथी वृत के वन संरक्षक धीरेंद्र पांडे का कहना है कि वर्तमान में इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. अभी के हालातों की बात करें तो इंसानी हस्तक्षेप के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं. ऐसे में गुलदार समेत अन्य जंगली जानवरों के ठौर-ठिकाने आग की भेंट चढ़ गए हैं, जिसके कारण अब वो रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं और इसी के कारण जंगली जानवरों और इंसान के बीच संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है.

श्रीनगर: इंसान और जंगली जानवरों के बीच आपसी संघर्ष के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस संघर्ष को कम करने के लिए माणिक नाथ रेंज की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में प्रदेश के भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धीरेंद्र पांडे समेत वन विभाग के तमाम आलाधिकारी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि इस कार्यसाला का उद्देश्य लोगों को जागरूक कर इंसान और जंगली जानवरों के बीच होने वाले संघर्ष को रोकना है.

अगर आकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 से 2020 तक पौड़ी में 30, अल्मोड़ा में 40, पिथौरागढ़ में 23, रुद्रप्रयाग में 15, टिहरी में 9 और नरेंद्रनगर में 22 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमे गुलदार के इंसान पर हमला करने से मौत हुई है या फिर इंसान गंभीर रूप से घायल हुआ है. इन हालातों को देखते हुए वन विभाग ने लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. जगह-जगह इस प्रकार के आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके लिए विभाग, महाराष्ट्र वन विभाग और सामजिक संगठनों की मदद भी ले रहा है.

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वहीं, भागीरथी वृत के वन संरक्षक धीरेंद्र पांडे का कहना है कि वर्तमान में इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. अभी के हालातों की बात करें तो इंसानी हस्तक्षेप के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं. ऐसे में गुलदार समेत अन्य जंगली जानवरों के ठौर-ठिकाने आग की भेंट चढ़ गए हैं, जिसके कारण अब वो रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं और इसी के कारण जंगली जानवरों और इंसान के बीच संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है.

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