पौड़ी: घीड़ी गांव में जन्मे अजीत डोभाल दोबारा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने के बाद निजी दौरे पर अपने पैतृक गांव पहुंचे. गांव में उन्होंने परिवार संग कुलदेवी की पूजा की और गांववासियों से करीब एक घंटे मुलाकात की. इस दौरान NSA को ग्रामीणों ने पानी, मोटर मार्ग, डामरीकरण जैसी समस्याओं से अवगत कराया. डोभाल ने भी गढ़वाली में ग्रामीणों से संवाद करते हुए गांव की समस्या दूर करने के लिए हर संभव कोशिश का आश्वासन दिया.
डोभाल से मुलाकात करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि देश के इतने बड़े पद को संभालने के बाद भी वो जमीन और अपने गांव से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि पौड़ी के बनेलस्यूं पट्टी स्थित घीड़ी गांव में 20 जनवरी 1945 को जन्मे अजीत डोभाल न तो अपनी संस्कृति को भूले हैं और न ही स्थानीय बोली को. इससे पता चलता है कि वो अपनी जड़ों से आज भी जुड़े हैं.
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स्थानीय निवासी पुष्पा देवी ने बताया कि NSA अजीत ने प्राथमिक शिक्षा गांव में ही ग्रहण की. इसके बाद उनकी आगे की पढ़ाई के लिए डोभाल का परिवार बाहर चला गया. गांव में उनका अपना मकान भी है, जो ध्वस्त हो चुका है. हालांकि, उनके कुछ परिजन अभी भी गांव में ही रहते हैं.
अजीत डोभाल के रिश्तेदार बताते हैं कि डोभाल के पिता सेना में मेजर थे. इसलिए बचपन से ही उनमें देश के लिए कुछ करने का जज्बा था. यही देश सेवा की ललक ने उनको देश की इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के काबिल बनाया है. साल 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने के बाद गांव में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे और दूसरी बार फिर पद संभालने के बाद वो अपनी पत्नी और बेटे के साथ गांव पहुंचे हैं.
NSA अजीत डोभाल के भाई अजय डोभाल ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनका भाई आज देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है. उन्होंने बताया कि वो व्यस्त कार्यक्रम के बाद भी अपनी पत्नी और भाई के साथ गांव की पूजा में सम्मिलित हुए, जिससे पूरे गांववासी काफी खुश हैं. उन्होंने बताया कि सपरिवार कुलदेवी बाल कुंवारी देवी की एक घंटे तक आराधना करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंदिर समिति को डेढ़ लाख रुपये बतौर दान दिए.