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श्रीनगर में नहीं दिखाई देगा रेशम फार्म, जानिए वजह

श्रीनगर में रेशम विभाग के 8 एकड़ भूमि पर एनआईटी उतराखंड का अस्थायी परिसर का निर्माण किया जाएगा. ऐसे में विभाग की जमीन को एनआईटी को ट्रांसफर किया गया है.

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श्रीनगर में नहीं दिखाई देगा रेशम फॉर्म
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Published : Aug 22, 2020, 10:01 PM IST

श्रीनगर: शहर में अपनी अलग पहचान स्थापित करने वाला रेशम फार्म अब नहीं दिखाई पड़ेगा. रेशम फार्म में लगे हजारों शहतूत के पेड़ भी अब लोगों की नजर से दूर हो जाएंगे. ऐसा इसीलिए, क्योंकि रेशम विभाग की 8 एकड़ जमीन पर एनआईटी के अस्थायी परिसर का निर्माण किया जाएगा. 24 अगस्त को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ऑनलाइन श्रीनगर एनआईटी का भूमिपूजन करेंगे.

श्रीनगर में नहीं दिखाई देगा रेशम फार्म.

श्रीनगर में रेशम फार्म संयुक्त उत्तर प्रदेश के दौर से ही मौजूद है. इसका निर्माण 1969 में किया गया था. पूरे गढ़वाल मंडल से कृषक रेशम बनाने की विधि सीखने श्रीनगर आते थे. फार्म के जरिए आठ क्विंटल रेशम उत्पादित किया जाता है. किसान किट को घर मे रख कर 20 दिन तक शहतूत खिलाकर किट को कोकीन में बदला जाता है. जिसके बाद रेशम का उत्पादन होता था.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड: पहाड़ी दाल और सब्जियां बढ़ाएंगी इम्यूनिटी, मार्केट में बढ़ी डिमांड

रेशम विभाग के इंस्पेक्टर राजीव कुमार बताते है कि रेशम विभाग की 8 एकड़ भूमि एनआईटी उतराखंड को ट्रांसफर कर दी गयी है. लेकिन रेशम विभाग को इसके बदले कोई नहीं दी गई है. विभाग के पास सिर्फ ऑफिस का ही भवन बचा हुआ है. भूमि नहीं होने से किट के लिए शहतूत भी नहीं मिल सकेगा. जिसकी वजह से रेशम का उत्पादन ठप हो जाएगा.

श्रीनगर: शहर में अपनी अलग पहचान स्थापित करने वाला रेशम फार्म अब नहीं दिखाई पड़ेगा. रेशम फार्म में लगे हजारों शहतूत के पेड़ भी अब लोगों की नजर से दूर हो जाएंगे. ऐसा इसीलिए, क्योंकि रेशम विभाग की 8 एकड़ जमीन पर एनआईटी के अस्थायी परिसर का निर्माण किया जाएगा. 24 अगस्त को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ऑनलाइन श्रीनगर एनआईटी का भूमिपूजन करेंगे.

श्रीनगर में नहीं दिखाई देगा रेशम फार्म.

श्रीनगर में रेशम फार्म संयुक्त उत्तर प्रदेश के दौर से ही मौजूद है. इसका निर्माण 1969 में किया गया था. पूरे गढ़वाल मंडल से कृषक रेशम बनाने की विधि सीखने श्रीनगर आते थे. फार्म के जरिए आठ क्विंटल रेशम उत्पादित किया जाता है. किसान किट को घर मे रख कर 20 दिन तक शहतूत खिलाकर किट को कोकीन में बदला जाता है. जिसके बाद रेशम का उत्पादन होता था.

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रेशम विभाग के इंस्पेक्टर राजीव कुमार बताते है कि रेशम विभाग की 8 एकड़ भूमि एनआईटी उतराखंड को ट्रांसफर कर दी गयी है. लेकिन रेशम विभाग को इसके बदले कोई नहीं दी गई है. विभाग के पास सिर्फ ऑफिस का ही भवन बचा हुआ है. भूमि नहीं होने से किट के लिए शहतूत भी नहीं मिल सकेगा. जिसकी वजह से रेशम का उत्पादन ठप हो जाएगा.

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