पौड़ी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 के लिए 14 फरवरी को प्रदेशभर में मतदान होना है. ऐसे में उत्तराखंड की राजनीति में एक अध्याय ऐसा भी जुड़ा हुआ है जब राजनीतिक उठापटक पर लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों ने विराम लगा दिया था. नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने गीतों से दो-दो दिग्गज मुख्यमंत्रियों की नींद उड़ा दी थी.
उनके गीतों ने उत्तराखंड की राजनीति के धुरंधरों को सत्ता छोड़ने पर विवश कर दिया था. जिसके बाद नरेंद्र सिंह नेगी के गानों के प्रभाव से तत्कालीन कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने मुख्यमंत्रियों को बदलना ही मुनासिब समझा. दो मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली पर आधारित गानों का जनता पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि ये दोनों दिग्गज फिर सीएम भी नहीं बन पाए. जानिए वो दोनों मुख्यमंत्री कौन थे?
बता दें कि लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने एनडी तिवारी से लेकर रमेश पोखरियाल निशंक के मुख्यमंत्री रहते उनके ऊपर अपने गानों से ऐसे तंज कसे जिसका दोनों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. राज्य के पहले निर्वाचित तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यों को आज भी याद करते हैं. उनके शासन काल में हुए कार्य आज भी मील का पत्थर कहे जाते हैं.
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साल 2002 से 2007 में कांग्रेस की तिवारी सरकार में जिस प्रकार से लालबत्तियों की बंदर बांट हुई, वह भी अपने आप में मिसाल है. लालबत्तियां बांटने को लेकर तब लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने व्यंग्य गढ़वाली गीत की रचना की. जो अपने समय का बहुत चर्चित गढ़वाली गीत बन गया. लालबत्ती बांटने को लेकर बने इस गीत ने कांग्रेस सरकार की चारों तरफ खूब खिल्ली उड़ाई.
एनडी तिवारी की सरकार में नरेंद्र सिंह नेगी का गाया हुआ गाना 'नौछमी नारैणा' ने उत्तराखंड में धूम मचा दी थी. ये गीत इतना हिट हुआ कि विपक्ष ने सरकार के ऊपर गाने को लेकर ही हल्ला बोल दिया था. नरेंद्र सिंह नेगी ने लालबत्तियों को लेकर नारायण दत्त तिवारी पर जो गाना बनाया था उसको लेकर खुद नारायण दत्त तिवारी को बयान जारी करने पड़े थे. तिवारी इतने नाराज हुए थे कि गाने का वीडियो प्रतिबंधित करा दिया था.
"नौ छमी नारैणा'' से बदली तिवारी सरकार: "नौ छमी नारैणा" नामक इस गीत ने तब पूरे उत्तराखंड में खूब सुर्खियां बटोरी. दरअसल, वर्ष 2007 में एनडी तिवारी के कार्यकाल में लालबत्तियों की बंदर बांट, सरकार का स्थानीय लोगों की उम्मीदों पर खरा न उतरना, राज्य सम्पत्ति का दुरुपयोग आदि मुद्दों पर सरकार की आलोचना हुई. इसी समय उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने 'नौछमी नारैणा' गीत की रचना की. तब हर किसी की जुबान पर ये ही गीत था.
हालांकि तब तिवारी सरकार का कार्यकाल भी लगभग समाप्त होने वाला था. साथ ही राज्य में 2007 का दूसरा विधानसभा चुनाव भी सामने खड़ा था. यह गीत बहुत कम समय मे चारों तरफ प्रसारित हो गया. सरकार विरोधी इस गीत को लेकर सीएम तिवारी पर निशाना साधने लगे. गीत के सारी कैसेट, डीवीडी आदि बाजार से जब्त कर ली गईं. यहां तक कि लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी के कार्यक्रमों पर भी अघोषित रोक लगाई गई.
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वहीं, नरेंद्र सिंह नेगी के एक और गीत "अब कथगा खैल्यो" ने रमेश पोखरियाल निशंक की सरकार के भी पसीने छुड़ा दिए थे. वर्ष 2010 का कुंभ निशंक सरकार की हमेशा याद दिलाता है. जब भाजपा के दिग्गज नेता डॉ रमेश पोखरियाल निशंक तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी को हटाकर वर्ष 2009 में उत्तराखंड के सीएम बने थे. इसके बाद 2010 में महाकुंभ था. इस महाकुंभ में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने निशंक सरकार पर "अब कथगा खैल्यो" गढ़वाली गीत को बनाया.
इस गीत ने निशंक सरकार के कामों की कलई खोल कर रख दी. इस कुंभ में निशंक सरकार पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इसके बाद पार्टी हाईकमान ने निशंक सरकार को बदलकर फिर से बीसी खंडूड़ी को सीएम बनाया था. ये दोनों गढ़वाली गीत आज भी नरेंद्र सिंह नेगी की रचना शैली की याद दिलाते हैं तो गीतों की उस ताकत का भी अहसास कराते हैं जो सत्ता पलटने का माद्दा रखते हैं.