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गोशाला पर नगर निगम नहीं दे रहा ध्यान, आवारा पशु बने सिरदर्द - कोटद्वार

आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए कोटद्वार नगर निगम द्वारा 17 लाख की लागत से कोटद्वार खोह नदी के किनारे काशीरामपुर तल्ला में गोशाला का निर्माण कराया गया था. जिसे बने हुए 3 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन नगर निगम की लापरवाही से भवन जस का तस पड़ा हुआ है.

गौशाला बनने के बाद भी आवारा पशु बने लोगों के लिए सिरदर्द
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Published : Jul 22, 2019, 4:35 PM IST

कोटद्वार: नगर निगम द्वारा काशीरामपुर तल्ला में 17 लाख रुपये की लागत से आवारा पशुओं के लिए गोशाला बनाई गई थी, लेकिन अब ये गोशाला देखरेख के अभाव में शोपीस बनकर रह गई है. जिस वजह से आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. जिससे राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही आवारा पशु स्थानीय लोगों के साथ ही वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.

गौर हो कि जहां एक ओर आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं, तो वहीं नगर निगम के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. जिससे स्थानीय लोगों में खासा आक्रोष है.

गौशाला बनने के बाद भी आवारा पशु बने लोगों के लिए सिरदर्द

बता दें कि 17 लाख की लागत से कोटद्वार खोह नदी के किनारे काशीरामपुर तल्ला में गोशाला का निर्माण कराया गया था. जिसे बने हुए 3 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है. लेकिन नगर निगम की लापरवाही से भवन जस का तस पड़ा हुआ है. वहीं लोगों का कहना है कि आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं और अधिकारियों को परेशानी से अवगत कराने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. वहीं नगर आयुक्त मनीष कुमार का कहना है कि गोशाला के लिए समाचार पत्रों में निविदा निकाली गई है. जो भी संस्था गोशाला के संचालन के लिए टेंडर डालेगी. उसको गोशाला संचालन का जिम्मा दिया जाएगा. उसके बाद शहर में घूम रहे आवारा पशुओं को गोशाला में रखा जाएगा.

कोटद्वार: नगर निगम द्वारा काशीरामपुर तल्ला में 17 लाख रुपये की लागत से आवारा पशुओं के लिए गोशाला बनाई गई थी, लेकिन अब ये गोशाला देखरेख के अभाव में शोपीस बनकर रह गई है. जिस वजह से आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. जिससे राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही आवारा पशु स्थानीय लोगों के साथ ही वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.

गौर हो कि जहां एक ओर आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं, तो वहीं नगर निगम के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. जिससे स्थानीय लोगों में खासा आक्रोष है.

गौशाला बनने के बाद भी आवारा पशु बने लोगों के लिए सिरदर्द

बता दें कि 17 लाख की लागत से कोटद्वार खोह नदी के किनारे काशीरामपुर तल्ला में गोशाला का निर्माण कराया गया था. जिसे बने हुए 3 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है. लेकिन नगर निगम की लापरवाही से भवन जस का तस पड़ा हुआ है. वहीं लोगों का कहना है कि आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं और अधिकारियों को परेशानी से अवगत कराने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. वहीं नगर आयुक्त मनीष कुमार का कहना है कि गोशाला के लिए समाचार पत्रों में निविदा निकाली गई है. जो भी संस्था गोशाला के संचालन के लिए टेंडर डालेगी. उसको गोशाला संचालन का जिम्मा दिया जाएगा. उसके बाद शहर में घूम रहे आवारा पशुओं को गोशाला में रखा जाएगा.

Intro:summary कोटद्वार नगर निगम के द्वारा काशीरामपुर तल्ला में 17 लाख रुपए की लागत से बनाई गई गौशाला बनी शोपीस, आवारा पशु घूम रहे सड़कों पर, हरदम बना रहता है दुर्घटना का भय, नगर निगम के अधिकारी सो रहे चैन की नींद।

intro कोटद्वार नगर में आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए नगर निगम के द्वारा काशीरामपुर तल्ला में खोह नदी के किनारे पर लाखों रुपए की लागत से गौशाला का निर्माण कार्य किया गया था, गौशाला का निर्माण कार्य किए गए 3 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं। नगर आयुक्त का कहना है कि गौशाला के संचालन के लिए इच्छुक संस्थाओं के लिए निविदा समाचार पत्रों में निकाल दी गई है, जैसी कोई संस्था देखरेख के लिए तैयार होती है तो आवारा पशुओं को गौशाला में रखा जाएगा।


Body:वीओ1- बतादे की कोटद्वार नगर निगम में घूम रहे आवारा पशुओं से नगर वासियों को निजात दिलाने के लिए कोटद्वार नगर निगम के द्वारा 17 लाख रुपये की लागत से कोटद्वार खोह नदी के किनारे काशीरामपुर तल्ला में गौशाला का निर्माण किया गया, ताकि नगर में घूम रहे आवारा पशुओं को इस गौशाला में रखा जाए, लेकिन नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण आज भी आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं, और गौशाला शोपीस बनकर नदी किनारे खड़ी है, ऐसे में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने भी लाजमी है।

वीओ- वही नगर आयुक्त मनीष कुमार का कहना है कि गौशाला के लिए समाचार पत्रों में निविदा निकाली गई है जो भी संस्था गौशाला के संचालन के लिए नगर निगम में टेंडर डालेगी उसको गौशाला का संचालन दिया जाएगा, उसके बाद शहर में घूम रहे आवारा पशुओं को गौशाला में रखा जाएगा।

बाइट मनीष कुमार नगर आयुक्त।


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