कोटद्वारः सूबे में अवैध खनन (Illegal Mining in Uttarakhand) के जरिए नदियों का सीना किस तरह से चीरा जा रहा है. इसकी बानगी कोटद्वार में देखने को मिल रही है. जहां नींबूचौड़ के पास बना सुखरौ पुल भी अवैध खनन की भेंट चढ़ गया. जी हां, देर रात अचानक पुल के पांच नंबर पिलर के नीचे कटाव हो गया. जिससे पुल का पिलर धंस गया. आनन-फानन में रात को ही लोक निर्माण विभाग ने जेसीबी मशीनें लगाकर नदी के बहाव को दूसरी ओर मोड़ा, लेकिन सुखरौ नदी में जेसीबी मशीन लगने की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पहुंची और बिना अनुमति के खुदान करने पर जेसीबी को सीज कर दिया.
कोटद्वार सुखरौ पुल के पिलर टूटने से किसी प्रकार की अनहोनी न हो, इसके लिए पुलिस ने पुल से यातायात रोक दिया है. यातायात नींबूचौड़ से डायवर्ट कर बीएल पुल कर दिया गया है. साथ ही सुखरौ पुल (Kotdwar Sukhro Bridge) पर स्थायी बेरिकेड लगाया जा रहा है. यानी यूं कहें कि सुखरौ पुल से आवाजाही करना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन पुल पर खतरा कैसे मंडराया और पुल क्यों खोखला हुआ इसके पीछे की वजह आपको सिलसिले वार बताते हैं.
JCB मशीन नदी में उतारने पर विवादः सबसे पहले आपको बताते हैं कि जेसीबी मशीन नदी में उतारने को लेकर बवाल क्यों हुआ? बीती रात सुखरौ पुल के पिलर के कटाव की जानकारी जैसे ही लोक निर्माण विभाग दुगड्डा को मिली तो अधिशासी अभियंता पांच जेसीबी मशीन लेकर मौके पर पहुंच गए. जहां आनन फानन में पिलर से नदी के बहाव को मोड़ने लगे. उधर, इसकी भनक उप जिलाधिकारी और कोटद्वार वन विभाग के अधिकारियों को लगी.
वहीं, सूचना मिलते ही वन विभाग के रेंज अधिकारी मौके पर पहुंच गए. जहां लोक निर्माण विभाग दुगड्डा के अधिशासी अभियंता और वन रेंज अधिकारी के बीच कहासुनी हो गई. लोनिवि का कहना था कि रात को वन विभाग ने जेसीबी मशीन को कैसे सीज कर दिया. जबकि, वन विभाग का कहना है था कि बिना अनुमति के नदी में किसी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया जा सकता है.
खनन माफियाओं ने पुल को खतरे में डालाः अब आपको बताते हैं कि कैसे खनन माफियाओं ने पुल को खोखला किया? बता दें कि साल 2010 की 24 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश निशंक पोखरियाल ने पुल का लोकार्पण किया था. इस पुल की लंबाई 385 मीटर है. जिसे 12 करोड़ की लागत तैयार किया गया था. यह पुल कोटद्वार-चिलरखाल-लालढांग-हरिद्वार को जोड़ता है, लेकिन अब पुल पर खतरा मंडराने लगा है. इसके पीछे की वजह खनन माफियाओं का हाथ है. जो आए दिन सुखरौ नदी से खनन करते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि कोटद्वार प्रशासन ने इससे पहले चैनेलाइजेशन का काम करवाया था. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था. लेकिन मानकों को ताक पर रखकर सुखरौ पुल के पिलर के नजदीक करीब 15 फिट की गहराई तक खनन करवा दिया गया. जिससे पुल की नींव खतरे में (Sukhro Bridge Damaged) आ गई. स्थानीय लोगों का आरोप है कि देर रात को खनन माफिया, वन विभाग और राजस्व विभाग की मिलीभगत से अवैध खनन किया जाता है. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
खनन माफियाओं ने इन पुलों की हिला डाली नींवः लोक निर्माण विभाग दुगड्डा के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह (Dugadda PWD EE DP Singh) का कहना है कि कोटद्वार के मावन पुल, गुलर पुल, ग्रास्टनगंज पुल, गाडिगाड़ पुल के पिलरों की नींव खनन माफिया ने खोद डाली है. जिससे पुल खतरे में आ गए हैं. कोटद्वार में बने पुलों के पिलरों के निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है.
क्या बोले एसडीएम प्रमोद कुमारः वहीं, मामले में कोटद्वार उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार (Kotdwar SDM Pramod Kumar) ने बताया कि सुखरौ पुल के पिलर के कटाव के कारणों के बारे जानकारी ली जा रही है. कल विशेषज्ञ और जानकार आएंगे, तभी कुछ बताया जा सकता है. वहीं, उन्होंने बताया कि चैनेलाइज करने वाले व्यक्ति पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
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