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पौड़ी: पलायन के चलते दिन-ब-दिन गांव होते जा रहे खंडहर, आखिर कब जागेगी सरकार? - पौड़ी में पलायन

पौड़ी के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नहीं होने के चलते कुछ लोगों ने पौड़ी शहर में अपना आशियाना बना लिया है. साथ ही कुछ लोगों ने बड़े-बड़े शहरों में जाकर रोजगार की तलाश के बाद, वहीं रहना शुरू कर दिया है.

पौड़ी में तेजी से बढ़ रहा पलायन.
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Published : Sep 21, 2019, 11:55 AM IST

पौड़ी: उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन पौड़ी जनपद में हुआ है. यहां मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते लोग तेजी से पलायन कर रहे हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से सर्वाधिक पलायन हो रहा है.

दरअसल, गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के ना होने के चलते कुछ लोगों ने पौड़ी शहर में अपना आशियाना बना लिया है. साथ ही कुछ लोगों ने बड़े-बड़े शहरों में जाकर रोजगार की तलाश के बाद, वहीं रहना शुरू कर दिया है. जिसका परिणाम है कि आज गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं.

पौड़ी में तेजी से बढ़ रहा पलायन.

पढ़ें- रुद्रपुर: विकास भवन में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक, पकड़े गए देने होगा जुर्माना

वहीं, मंडल मुख्यालय पौड़ी से महज 7 किलोमीटर दूर बैंग्वाड़ी गांव है. जहां कभी 80 परिवार निवास करते थे और आज हालात यह है कि यहां मात्र 35 परिवार ही बचे हैं. जिसमें अधिकतर वृद्ध लोग ही रह गए हैं.

बता दें कि प्रदेश को चार मुख्यमंत्री देने के बाद भी आज भी पलायन की सर्वाधिक मार पौड़ी पर ही पड़ी है. जिसे लेकर ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड बनने के बाद गांव की तरफ किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. यहां पर अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते लोग शहरों की तरफ चले गए. जिस कारण गांव के गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

उनका कहना है कि उनके गांव में शिक्षा स्वास्थ्य और पानी का काफी संकट है. छोटी-छोटी बीमारी के उपचार के लिए कई किमी दूर जाना पड़ता है. उनका कहना है कि अगर सरकार गांव-गांव तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाए तो शायद पलायन रुक सकता है.

पौड़ी: उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन पौड़ी जनपद में हुआ है. यहां मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते लोग तेजी से पलायन कर रहे हैं. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से सर्वाधिक पलायन हो रहा है.

दरअसल, गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के ना होने के चलते कुछ लोगों ने पौड़ी शहर में अपना आशियाना बना लिया है. साथ ही कुछ लोगों ने बड़े-बड़े शहरों में जाकर रोजगार की तलाश के बाद, वहीं रहना शुरू कर दिया है. जिसका परिणाम है कि आज गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं.

पौड़ी में तेजी से बढ़ रहा पलायन.

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वहीं, मंडल मुख्यालय पौड़ी से महज 7 किलोमीटर दूर बैंग्वाड़ी गांव है. जहां कभी 80 परिवार निवास करते थे और आज हालात यह है कि यहां मात्र 35 परिवार ही बचे हैं. जिसमें अधिकतर वृद्ध लोग ही रह गए हैं.

बता दें कि प्रदेश को चार मुख्यमंत्री देने के बाद भी आज भी पलायन की सर्वाधिक मार पौड़ी पर ही पड़ी है. जिसे लेकर ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड बनने के बाद गांव की तरफ किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. यहां पर अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते लोग शहरों की तरफ चले गए. जिस कारण गांव के गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

उनका कहना है कि उनके गांव में शिक्षा स्वास्थ्य और पानी का काफी संकट है. छोटी-छोटी बीमारी के उपचार के लिए कई किमी दूर जाना पड़ता है. उनका कहना है कि अगर सरकार गांव-गांव तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाए तो शायद पलायन रुक सकता है.

Intro:उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार गढ़वाल मंडल में सर्वाधिक पलायन करने वाला जनपद पौड़ी जनपद है यहां पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते लोगों ने तेजी से पलायन करना शुरू कर दिया था जिसमे पौड़ी के ग्रामीण क्षेत्रों से सर्वाधिक पलायन हुआ है गांव में शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार का ना होने के चलते कुछ लोगों ने पौड़ी शहर में अपना आशियाना बना लिया और कुछ लोगों ने बड़े-बड़े शहरों में जाकर रोजगार की तलाश के बाद वही रहना शुरू कर दिया जिसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आज गांव की गांव खाली होते जा रहे हैं।


Body:मंडल मुख्यालय पौड़ी से महज 7 किलोमीटर दूर बैंग्वाड़ी गांव जहां कभी 80 परिवार निवास करते थे और आज हालात यह है कि यहां पर मात्र 35 परिवार ही रहने को मजबूर हैं जिसमें कि अधिकतर गांव में वृद्ध लोग ही रह गए हैं। उत्तराखंड बनने के बाद पौड़ी ने उत्तराखंड को चार मुख्यमंत्री देने के बाद भी आज भी पलायन की सर्वाधिक मार पौड़ी में ही है। ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड बनने के बाद गांव की तरफ किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया गया। यहां पर अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के चलते लोग शहरों की तरफ दौड़ते चले गए जिस कारण गांव के गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं उन्होंने कहा कि उनके गांव में शिक्षा स्वास्थ्य और पानी का काफी संकट है उन्हें करीब 1 किलोमीटर दूर जाकर पानी लेने जाना पड़ता है। छोटी-छोटी बीमारी के उपचार के लिए पौड़ी शहर जाना पड़ता है वह भी डॉक्टरों की कमी के चलते उन्हें अन्य शहरों की तरह भागना पड़ता है।


Conclusion:गांव के अन्य ग्रामीण बताते हैं कि पहले गांव में 80 परिवार रहते थे और अच्छी शिक्षा की तलाश में लोग पौड़ी शहर चले गए शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी के तलाश में वह मैदानी क्षेत्रों में चले गए धीमे-धीमे उनका पूरा परिवार वहां बसने लगा जिस कारण आज गांव खाली होते जा रहे हैं उनके गांव में अब केवल बुजुर्ग लोग और वह मजबूर लोग रह गए हैं जो बाहर जाने में असमर्थ हैं। जो लोग अच्छी नौकरी वह अच्छी पढ़ाई करना चाहते हैं वह गांव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं और गांव में कोई आना नहीं चाहता। सरकार यदि गांव-गांव तक अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के साधन उपलब्ध करवाएं तो शायद गांव में रहने वाला व्यक्ति शहरों की तरफ न जाकर अपने ही गांव में रहे।
बाईट-सुलोचना(ग्रामीण)
बाईट-मनोधर खुकशाल(ग्रामीण)
पीटीसी-सिद्धांत उनियाल
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