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पौड़ी: यहां माता सीता ने ली थी भू-समाधि, मनसार मेले में पहुंचे सैंकड़ों श्रद्धालु - kot block in pauri

जिले के कोट ब्लॉक के सितोंस्यू क्षेत्र में शुक्रवार को मनसार मेले का आयोजन हुआ. इस दौरान बाहर से आए हुए लोग भी मंदिर की मान्यताओं के अनुसार हर साल की तरह इस साल भी मेले में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे.

मां सीता की पावन धरती पर मनसार मेले का आयोजन.
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Published : Nov 8, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 12:12 AM IST

पौड़ी: जिले के कोट ब्लॉक के सितोंस्यू क्षेत्र में शुक्रवार को मनसार मेले का आयोजन हुआ. जिसमें पूरे क्षेत्र के लोगों ने इस मेले में शिरकत किया. इसके साथ ही बाहर बसे हुए प्रवासी भी मंदिर की मान्यताओं के अनुसार हर साल की तरह इस भी मेले में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे.

वहीं, देवल गांव के ग्रामीण लक्ष्मण के मंदिर से निशानों के साथ फलस्वाड़ी गांव पहुंचे. जहां कोटसाड़ा के ग्रामीणों ने मां सीता के प्रतीक के रूप में लोड़ी निकली. बता दें कि खुदाई के दौरान धरती से निकलने वाले बबले को मां सीता के जटा के रूप में देखा जाता है, और इसे सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंडः जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का परचम, नौ सीटों पर जमाया कब्जा

ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार को मेले की विधिवत शुरुआत की गई थी. मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने मां सीता का त्याग कर दिया था, तो लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर मां सीता को छोड़ा था. इसी पवित्र भूमि पर मां सीता ने भू-समाधि ली थी. जिसके बाद हर साल यहां पर मनसार मेले का आयोजन किया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है. जिसके तहत पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में जोड़ा जाएगा और यहां आने वाले पर्यटकों की मदद से क्षेत्र में विकास हो सकेगा.

पौड़ी: जिले के कोट ब्लॉक के सितोंस्यू क्षेत्र में शुक्रवार को मनसार मेले का आयोजन हुआ. जिसमें पूरे क्षेत्र के लोगों ने इस मेले में शिरकत किया. इसके साथ ही बाहर बसे हुए प्रवासी भी मंदिर की मान्यताओं के अनुसार हर साल की तरह इस भी मेले में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे.

वहीं, देवल गांव के ग्रामीण लक्ष्मण के मंदिर से निशानों के साथ फलस्वाड़ी गांव पहुंचे. जहां कोटसाड़ा के ग्रामीणों ने मां सीता के प्रतीक के रूप में लोड़ी निकली. बता दें कि खुदाई के दौरान धरती से निकलने वाले बबले को मां सीता के जटा के रूप में देखा जाता है, और इसे सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार को मेले की विधिवत शुरुआत की गई थी. मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने मां सीता का त्याग कर दिया था, तो लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर मां सीता को छोड़ा था. इसी पवित्र भूमि पर मां सीता ने भू-समाधि ली थी. जिसके बाद हर साल यहां पर मनसार मेले का आयोजन किया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है. जिसके तहत पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में जोड़ा जाएगा और यहां आने वाले पर्यटकों की मदद से क्षेत्र में विकास हो सकेगा.

Intro:पौड़ी के कोट ब्लॉक के सितोंस्यू क्षेत्र में आज मनसार मेले का आयोजन किया जाएगा। जिसमे की पूरे क्षेत्र के लोग इस मेले में शिरकत करते हैं इसके साथ ही बाहर बसे हुए प्रवासी भी मंदिर की मान्यताओं के अनुसार हर साल इस मेले में सम्मिलित होने के लिए पहुंचते हैं वहीं आ आज देवल गांव के ग्रामीण मेंलक्ष्मण जी के मंदिर से निशानों के साथ फलस्वाड़ी गांव पहुंचे जहां कोटसाड़ा के ग्रामीण धरती से माँ सीता के प्रतीक के रूप में लोड़ी निकलती है जिसका पूजन किया जाता है। खुदाई के दौरान धरती से निकलने वाले बबले को मां सीता के जटा के रूप में देखा जाता है और इसे सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में किया जाता है।





Body:ग्रामीणों ने बताया कि 7 तारीख से मेले की विधिवत शुरुआत हो गई थी और आज पूरे विधि-विधान के साथ लक्ष्मण जी के मंदिर से क्षेत्र के सभी लोग पवित्र निशानों को लेकर मां सीता के मंदिर के समीप पहुंचे हैं जहां पर खेत में खुदाई करके लोहड़ी को निकाला जा रहा है खुदाई के दौरान निकलने वाले बबले को प्रसाद के रूप में सभी श्रद्धालुओं को दिया जाता है बताया की इस मेले की शुरुआत लक्ष्मण जी के मंदिर से की गयी लक्ष्मण जी के मंदिर से लेकर फलस्वाड़ी तक ढोल दमाऊ और निशानों के साथ पूरे हजारो की संख्या में भक्त फलस्वाड़ी गांव पहुंचे।
मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने मां सीता का त्याग कर दिया था तो लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर मां सीता को छोड़ा था और इसी पवित्र भूमि पर मां सीता ने भू समाधि ली थी जिसके बाद हर साल यहां पर मनसार मेले का आयोजन किया जाता है इस धरती से निकलने वाले बबले को सभी श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
बाईट-मयूर
बाईट-प्रदीप कुमार भट्ट(सचिव देवल मंदिर समिति)


Conclusion:धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है जिसके तहत पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में जोड़ा जाएगा और यहां आने वाले पर्यटकों की मदद से क्षेत्र में विकास हो पाएगा
Last Updated : Nov 9, 2019, 12:12 AM IST
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