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उत्तराखंडः इस इकलौते राहु मंदिर में पहुंचते हैं विदेशों से लोग, भगवाव शिव के जालाभिषेक से मिटता है दोष

सावन के आखरी सोमवार को पौड़ी के राहु मंदिर में भक्तों की लंबी कतार सुबह से ही लगी रही. भक्तों की मानें तो इस मंदिर में अगर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाय तो राहु के दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है.

सावन के आखरी सोमवार को राहु मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतार
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Published : Aug 12, 2019, 8:33 PM IST

पौड़ी: सावन के आखरी सोमवार को पठानी स्थित राहु मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. मान्यता है कि सावन माह में अगर राहु दोषों से मुक्त होना है तो इसके लिए भगवान शिव को जलाभिषेक करना चाहिए. इस मंदिर में राहु के साथ भगवान शिव की भी पूजा-अर्चना की जाती है. ये भारत का एकमात्र राहु मंदिर है, जहां पर लोग विदेशों से राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं.

सावन के आखरी सोमवार को राहु मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतार

बता दें कि पौड़ी के पैठाणी स्थित राहु मंदिर जो कि भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. वहीं जानकरों की मानें तो सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही जिस पर राहु का दोष होता है वो व्यक्ति सावन के महीने में इस मंदिर में पूजा कर राहु के दोषों से मुक्त हो सकता है.

जानकारों का ये भी कहना है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब राहु धोखे से पीने ही वाले थे तो उन्हें अमर होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया और उनका कटा हुआ सिर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आकर गिरा था, जहां उनका सिर गिरा उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना कर भगवान शिव और राहु को स्थापित कर दिया गया. जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया, उस पर राहु का कटा सिर और विष्णु के चक्र की नक्काशी की गई है. वहीं मंदिर के बाहर और भीतर देवी देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं हैं.

पौड़ी: सावन के आखरी सोमवार को पठानी स्थित राहु मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. मान्यता है कि सावन माह में अगर राहु दोषों से मुक्त होना है तो इसके लिए भगवान शिव को जलाभिषेक करना चाहिए. इस मंदिर में राहु के साथ भगवान शिव की भी पूजा-अर्चना की जाती है. ये भारत का एकमात्र राहु मंदिर है, जहां पर लोग विदेशों से राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं.

सावन के आखरी सोमवार को राहु मंदिर में लगी भक्तों की लंबी कतार

बता दें कि पौड़ी के पैठाणी स्थित राहु मंदिर जो कि भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. वहीं जानकरों की मानें तो सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही जिस पर राहु का दोष होता है वो व्यक्ति सावन के महीने में इस मंदिर में पूजा कर राहु के दोषों से मुक्त हो सकता है.

जानकारों का ये भी कहना है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब राहु धोखे से पीने ही वाले थे तो उन्हें अमर होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया और उनका कटा हुआ सिर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आकर गिरा था, जहां उनका सिर गिरा उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना कर भगवान शिव और राहु को स्थापित कर दिया गया. जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया, उस पर राहु का कटा सिर और विष्णु के चक्र की नक्काशी की गई है. वहीं मंदिर के बाहर और भीतर देवी देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं हैं.

Intro:सावन के अंतिम सोमवार के दिन आज पौड़ी के पठानी में स्थित राहु मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार दिखी। मान्यता है कि सावन माह में राहु दोषों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव पर जलाभिषेक कर राहु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में राहू के साथ भगवान शिव की भी पूजा अर्चना की जाती है। यह भारतवर्ष का एकमात्र राहू  मंदिर है जहां की लोग देश विदेशों से राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं।


Body:पौड़ी के पैठाणी में स्थित राहु मंदिर जो कि भारत का एकमात्र राहू का मंदिर है यहाँ दूर-दूर से लोग  दर्शन करने पहुंचते हैं। जानकरों के मुताबिक  सावन माह में भगवान शिव पर  जलाभिषेक करके लोगों के कष्ट दूर होते हैं साथ ही जिस पर राहू का दोष  होता है वह व्यक्ति  सावन माह में यहां पूजा करवा कर  राहू के दोषों से मुक्ति पता है।



Conclusion:मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब राहु धोखे से पीने ही वाले थे तो उन्हें अमर होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया और उनका कटा हुआ सर उत्तराखंड के इसी स्थान पर आ गिरा जहां उनका सिर गिरा वहीं मंदिर बनाकर भगवान शिव और राहू को स्थापित किया गया। जब  शंकराचार्य हिमालय  आए थे तो उन्हें इस क्षेत्र में राहु के प्रभाव का आभास हुआ इसके बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण शुरू किया।  जिन पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया गया है उन पर राहु के कटे हुए सिर विष्णु के चक्र की नकाशी की गई है। मंदिर के बाहर और भीतर देवी देवताओं के प्राचीन प्रतिमाएं भी स्थापित हैं इसके अलावा यहां पर भगवान गणेश, भगवान विष्णु का चक्र, राहु का कटा हुआ सिर प्रतिमाएं भी मौजूद है।

बाईट-देवेंद्र सिंह कंडारी (स्थानिय)

वन टू वन -सिद्धांत उनियाल

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