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धधक रही जंगलों में आग, साफ नजर आ रही संसाधनों की कमी - वनकर्मी झाड़ियों से आग बूझा रहे

कोटद्वार-पौड़ी मार्ग से सटे जंगल में आग लगने पर वनकर्मी झाड़ियों से आग बुझाते दिखाई दिए. जबकि, वन महकमा संसाधनों का रोना रो रहा है.

forest fire fighting
झाड़ियों के सहारे आग पर काबू
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Published : Apr 5, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 2:37 PM IST

श्रीनगरः प्रदेश में धू-धू कर जंगल जल रहे हैं. लेकिन वन महकमा आग बुझाने में लाचार दिखाई दे रहा है. स्थिति का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि विभाग झाड़ियों के सहारे आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. जिसकी बानगी कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर देखने को मिली, जहां वनकर्मी और मजदूर झाड़ियों से आग बुझाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

बेबस वन महकमा.

दरअसल, मामला कोटद्वार-पौड़ी मार्ग का है. जहां जंगल आग से जल रहे हैं, जिसे बुझाने के लिए एक वनकर्मी के साथ एक अन्य नेपाली मजदूर झाड़ी से आग बुझाने की कोशिश करते हैं. ये हालात तब हैं, जब बीते सात दिनों से कीर्तिनगर, चौरास और श्रीनगर के जंगल आग से धधक रहे हैं. बीते देर रात तक श्रीनगर के ऐठाना, चौरास के गोरसाली में जंगल सुलग रहे थे. तब सूबे के वन मंत्री हरक सिंह रावत श्रीनगर में ही मौजूद थे. फिर भी ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि वनाग्नि पर केंद्र सरकार, मदद के लिए हाथ न बढ़ाती तो शायद ही प्रदेश के जंगल आग से बच पाते.

ये भी पढ़ेंः टिहरी पहुंचा वायुसेना का हेलीकॉप्टर, वनों की आग बुझाएगा

वहीं, दूसरी ओर गढ़वाल विवि के भौतिक वैज्ञानिक डॉ. आलोक सागर गौतम ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि जंगलों में लगी आग से उड़ने वाली राख और धुएं से बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उन्होंने कहा कि यह धुंध बारिश पर भी प्रभाव डालेगी. हालत ऐसे ही बने रहे तो बीते सालों की अपेक्षा इस साल कम बारिश होने की संभावना है. जिससे इस साल गर्मी भी ज्यादा पड़ेगी.

श्रीनगरः प्रदेश में धू-धू कर जंगल जल रहे हैं. लेकिन वन महकमा आग बुझाने में लाचार दिखाई दे रहा है. स्थिति का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि विभाग झाड़ियों के सहारे आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. जिसकी बानगी कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर देखने को मिली, जहां वनकर्मी और मजदूर झाड़ियों से आग बुझाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

बेबस वन महकमा.

दरअसल, मामला कोटद्वार-पौड़ी मार्ग का है. जहां जंगल आग से जल रहे हैं, जिसे बुझाने के लिए एक वनकर्मी के साथ एक अन्य नेपाली मजदूर झाड़ी से आग बुझाने की कोशिश करते हैं. ये हालात तब हैं, जब बीते सात दिनों से कीर्तिनगर, चौरास और श्रीनगर के जंगल आग से धधक रहे हैं. बीते देर रात तक श्रीनगर के ऐठाना, चौरास के गोरसाली में जंगल सुलग रहे थे. तब सूबे के वन मंत्री हरक सिंह रावत श्रीनगर में ही मौजूद थे. फिर भी ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि वनाग्नि पर केंद्र सरकार, मदद के लिए हाथ न बढ़ाती तो शायद ही प्रदेश के जंगल आग से बच पाते.

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वहीं, दूसरी ओर गढ़वाल विवि के भौतिक वैज्ञानिक डॉ. आलोक सागर गौतम ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि जंगलों में लगी आग से उड़ने वाली राख और धुएं से बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उन्होंने कहा कि यह धुंध बारिश पर भी प्रभाव डालेगी. हालत ऐसे ही बने रहे तो बीते सालों की अपेक्षा इस साल कम बारिश होने की संभावना है. जिससे इस साल गर्मी भी ज्यादा पड़ेगी.

Last Updated : Apr 5, 2021, 2:37 PM IST
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