श्रीनगर: कोरोना वायरस को मात देने के लिए स्वास्थ्य कर्मी दिन रात लगे हुए हैं. यही कारण है कि सरकार के नुमाइंदों से लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेता भी स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वॉरियर्स के रूप में सम्मानित कर रहे हैं. लेकिन खाली सम्मान से ही पेट नहीं भरता है बल्कि उसके लिए पैसा यानी सैलरी भी चाहिए. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि देवप्रयाग व हिंडोलाखाल में उपनल (संविदा कर्मियों) के माध्यम से रखे गए स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला है.
इन दिनों सभी स्वास्थ्य कर्मी किसी न किसी रूप में दिन-रात कोरोना से लड़ रहे हैं. इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कोरोना वॉरियर्स के रूप में इन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है. लेकिन उनका मनोबल तब टूट जाता है, जब उन्हें इस दौर में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है.
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जानकारी के मुताबिक देवप्रयाग व हिंडोलाखाल सीएचसी में उपनल के माध्यम से छ्ह स्वास्थ्य कर्मी नियुक्ति किये गए थे. इनमें दो कक्ष सेवक, दो सेविका, एक एंबुलेंस चालक व एक सफाईकर्मी थे. सरकार ने पीपी मोड के तहत सीएचसी देवप्रयाग को हिमालयन हॉस्पिटल को सौंप दिया था. इसके बाद इनमें से उपनल के चार स्वास्थ्य कर्मियों को समायोजन के तहत सीएचसी हिंडोलाखाल भेज दिया गया था. विभाग ने सभी उपनल कर्मियों को नवीनीकरण कर जून 2019 में मानदेय यथावत देने का आश्वासन दिया था. एक साल गुजर जाने के बाद भी अभीतक इन स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन के रूप में एक भी रुपया नहीं मिला है.
जब इस बारे में सीएमओ टिहरी डॉ मीनू रावत से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि ड्यूटी दे रहे इन उपनल कर्मियों के नवीनीकरण सहित उनके शेष भुगतान हेतु स्वास्थ्य निदेशक उत्तराखंड को लिखा गया है.
वहीं इस बारे में पौड़ी गढ़वाल सीट से बीजेपी सांसद तीरथ सिंह रावत का कहना है कि पहले तो सालों से कार्यरत इन कर्मचारियों को परमानेंट करना चाहिए. एक साल से इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है ये चिंता की बात है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस संबंध वे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी बात करेंगे.