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सच: ODF उत्तराखंड में खुले में शौच जाने को मजबूर छात्राएं, ऐसे छलका दर्द

उत्तराखंड सरकार 4 साल पहले राज्य को ODF यानी खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुकी है. सरकार की घोषणा की धज्जियां कीर्तिनगर ब्लॉक के मलेथा में उड़ रही हैं. मलेथा राजकीय इंटर कॉलेज की छात्राएं आज भी खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं. इससे पता चलता है कि सरकारी घोषणाएं कैसे कागजों में तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन धरातल पर नहीं उतरती हैं. बीजेपी विधायक विनोद कंडारी के विधानसभा क्षेत्र देवप्रयाग की ये हकीकत है.

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ODF उत्तराखंड
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Published : Sep 22, 2021, 10:14 AM IST

श्रीनगर: प्रदेश में कोरोना काल के बाद विद्यालय खुल गए हैं. स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग की पोल खुलने लगी है. मामला कीर्तिनगर विकास खण्ड के मलेथा राजकीय इंटर कॉलेज का है. यहां छात्राएं खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. ऐसा तब है जब विद्यालय नेशनल हाइवे के एकदम नजदीक है. प्रदेश सरकार कहती है कि गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं.

इस विद्यालय की छात्राएं आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. विद्यालय प्रबंधक कई बार शिक्षा विभाग को इस समस्या के बारे में बता चुके हैं. लेकिन विद्यालय प्रबंधक की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है.

खुले में शौच

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी का अमेरिका दौरा, आज होंगे रवाना

गौर करने वाली बात ये है कि मलेथा गांव का ये विद्यालय वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी के नाम से बनाया गया है. लेकिन विद्यालय जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है. विद्यालय का भवन जर्जर स्थिति में है. बरसात के दिनों में स्कूल की छत टपकती रहती है. स्कूल के भवन तालाब में तब्दील हो जाते हैं. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कहने को शौचालय तो है, लेकिन उसमें कोई व्यवस्था ही नहीं है.

इस कारण छात्राओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. विद्यालय जाने से पहले बच्चियां बहुत तनाव में आ जाती हैं. नेचर कॉल को लेकर उन्हें हमेशा डर सताता रहता है. बरसात के दिनों में तो ये दिक्कत कई गुना बढ़ जाती है.

विद्यालय की प्रिंसिपल बीना मेहरा ने बताया कि विद्यालय में अध्यापकों का भी टोटा है. कई बार शासन-प्रशासन को इन समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया है, लेकिन समस्या का कोई निदान नहीं निकला. प्रधानाचार्य ने बताया कि सभी छात्र- छात्राएं परेशान रहते हैं.

ये भी पढ़ें: सदन में खुली सरकार के ओडीएफ दावों की पोल, सूबे के 384 स्कूलों में ही शौचालय गोल

विनोद कंडारी हैं विधायक: देवप्रयाग विधानसभा सीट से बीजेपी के विनोद कंडारी विधायक हैं. ये इलाका उनके क्षेत्र में ही आता है. विधायक जी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पैसा रिलीज किया गया है. जल्द व्यवस्था सुधरेगी.

6 जून 2017 को ओडीएफ घोषित हुआ था उत्तराखंड: उत्तराखंड को पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्य 6 जून 2017 को घोषित किया गया था. तब बताया गया था कि ओडीएफ राज्य के रूप में उत्तराखंड देश का चौथा राज्य है. तत्कालीन संसदीय कार्य, वित्त एवं पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने कहा था कि 31 मई को राज्य के शेष तीन जिले देहरादून, हरिद्वार एवं पौड़ी भी खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त हो गए हैं. तब कहा गया था कि इस लक्ष्य को छूने के साथ ही उत्तराखंड ओडीएफ राज्य की श्रेणी में आ गया है. नई सरकार के बनने के बाद 45,721 शौचालयों का निर्माण किया गया.

श्रीनगर: प्रदेश में कोरोना काल के बाद विद्यालय खुल गए हैं. स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग की पोल खुलने लगी है. मामला कीर्तिनगर विकास खण्ड के मलेथा राजकीय इंटर कॉलेज का है. यहां छात्राएं खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. ऐसा तब है जब विद्यालय नेशनल हाइवे के एकदम नजदीक है. प्रदेश सरकार कहती है कि गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं.

इस विद्यालय की छात्राएं आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. विद्यालय प्रबंधक कई बार शिक्षा विभाग को इस समस्या के बारे में बता चुके हैं. लेकिन विद्यालय प्रबंधक की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है.

खुले में शौच

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गौर करने वाली बात ये है कि मलेथा गांव का ये विद्यालय वीर शिरोमणि माधो सिंह भंडारी के नाम से बनाया गया है. लेकिन विद्यालय जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है. विद्यालय का भवन जर्जर स्थिति में है. बरसात के दिनों में स्कूल की छत टपकती रहती है. स्कूल के भवन तालाब में तब्दील हो जाते हैं. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कहने को शौचालय तो है, लेकिन उसमें कोई व्यवस्था ही नहीं है.

इस कारण छात्राओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. विद्यालय जाने से पहले बच्चियां बहुत तनाव में आ जाती हैं. नेचर कॉल को लेकर उन्हें हमेशा डर सताता रहता है. बरसात के दिनों में तो ये दिक्कत कई गुना बढ़ जाती है.

विद्यालय की प्रिंसिपल बीना मेहरा ने बताया कि विद्यालय में अध्यापकों का भी टोटा है. कई बार शासन-प्रशासन को इन समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया है, लेकिन समस्या का कोई निदान नहीं निकला. प्रधानाचार्य ने बताया कि सभी छात्र- छात्राएं परेशान रहते हैं.

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विनोद कंडारी हैं विधायक: देवप्रयाग विधानसभा सीट से बीजेपी के विनोद कंडारी विधायक हैं. ये इलाका उनके क्षेत्र में ही आता है. विधायक जी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पैसा रिलीज किया गया है. जल्द व्यवस्था सुधरेगी.

6 जून 2017 को ओडीएफ घोषित हुआ था उत्तराखंड: उत्तराखंड को पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्य 6 जून 2017 को घोषित किया गया था. तब बताया गया था कि ओडीएफ राज्य के रूप में उत्तराखंड देश का चौथा राज्य है. तत्कालीन संसदीय कार्य, वित्त एवं पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने कहा था कि 31 मई को राज्य के शेष तीन जिले देहरादून, हरिद्वार एवं पौड़ी भी खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त हो गए हैं. तब कहा गया था कि इस लक्ष्य को छूने के साथ ही उत्तराखंड ओडीएफ राज्य की श्रेणी में आ गया है. नई सरकार के बनने के बाद 45,721 शौचालयों का निर्माण किया गया.

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