श्रीनगर: चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ावों में से श्रीनगर एक है. श्रीनगर ऐतिहासिक के साथ ही सांस्कृतिक नगरी है. श्रीनगर गढ़वाल स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल का अनुष्ठान किया गया. यहां माघ महीने की शुक्ल पक्ष सप्तमी को विशेष पूजा की जाती है. अनुष्ठान के साक्षी बनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब कमलेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा. इस अनुष्ठान में भगवान शिव के स्वयंभू रूप शिवलिंग को चारों ओर से घी से ढका जाता है.
यहां 108 किलो घी और 108 कमल से शिवलिंग को ढका गया. जिसके बाद मालू के पत्ते और सफेद कंबल को इसके चारों ओर लपेटा जाता है. धूप, पुष्प एवं चंदन आदि से सुशोभित रुद्राक्ष की माला भगवान शिव के शिवलिंग को अर्पित की गई. साथ ही भगवान को 56 प्रकार के भोग भी चढ़ाए गए. इस दौरान कड़कडाती ठंड में कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत दिगंबर अवस्था में जमीन पर लेटकर मंदिर परिसर की प्रक्रिमा करते भी नजर आए. अनुष्ठान का साक्षी बनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब कमलेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा. कहा जाता है आज के अनुष्ठान का जो साक्षी बनता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
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परंपरा के पीछे मान्यता है कि ताड़कासुर के भय से जब देवताओं में हाहाकार मचा तो भगवान विष्णु ने देवताओं को बताया कि शिवपुत्र ही ताड़कासुर का वध कर सकता है. इसके बाद भगवान शिव को पार्वती से शादी के लिए मनाया गया. शिव आराधना की गई और विवाह के बाद शिवपुत्र कार्तिकेय हुए. उन्होंने ताड़कासुर का वध किया.