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प्राथमिक विद्यालयों में शुरू हुआ गढ़वाली पाठ्यक्रम, शिक्षक और बच्चे ले रहे हैं रुचि

जिले के प्राथमिक विद्यालयों में मंलगवार को गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई. गढ़वाली पाठ्यक्रम के शुरू होने से बच्चों और शिक्षकों दोनों में ही उत्साह देखने को मिल रहा है.

पौड़ी के प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत.
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Published : Jul 23, 2019, 10:16 PM IST

पौड़ी: जिलाधिकारी के प्रयासों से पौड़ी ब्लॉक में सोमवार से गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसके बाद मंलगवार से प्राथमिक विद्यालयों में नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम के शुरू होने काफी खुश नजर आए. नौनिहालों के साथ उनके शिक्षक भी गढ़वाली पाठ्यक्रम को पढ़ाने में काफी रुचि ले रहे हैं. वहीं बनाया गया पाठ्यक्रम प्राथमिक विद्यालय के लिए काफी रोचक और मनोरंजन से भरा है. इससे सभी नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम को रोचक तरीके से सीखेंगे.

प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समय पर गढ़वाली सीखना है. गढ़वाली बोली का बोलबाला कम हो जाने से लोग अन्य भाषाओं की ओर आकर्षित होते जा रहे हैं. गढ़वाली बोली और उसके महत्व को बरकरार रखने के लिए जिलाधिकारी पौड़ी की ओर से प्रथम कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है.

पौड़ी के प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत.
पौड़ी नगर के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने बताया कि गढ़वाली में पढ़ाई करने से उन्हें अच्छा लग रहा है. जिस तरह से उनके शिक्षक उनसे गढ़वाली में वार्तालाप करने के साथ-साथ कविताओं और अन्य पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं. बच्चे उसे पढ़ने में उन्हें काफी रुचि ले रहे हैं.

वहीं विद्यालय के शिक्षक कमलेश बलूनी ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद इस बोली का संरक्षण किया जाएगा.

पौड़ी: जिलाधिकारी के प्रयासों से पौड़ी ब्लॉक में सोमवार से गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसके बाद मंलगवार से प्राथमिक विद्यालयों में नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम के शुरू होने काफी खुश नजर आए. नौनिहालों के साथ उनके शिक्षक भी गढ़वाली पाठ्यक्रम को पढ़ाने में काफी रुचि ले रहे हैं. वहीं बनाया गया पाठ्यक्रम प्राथमिक विद्यालय के लिए काफी रोचक और मनोरंजन से भरा है. इससे सभी नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम को रोचक तरीके से सीखेंगे.

प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समय पर गढ़वाली सीखना है. गढ़वाली बोली का बोलबाला कम हो जाने से लोग अन्य भाषाओं की ओर आकर्षित होते जा रहे हैं. गढ़वाली बोली और उसके महत्व को बरकरार रखने के लिए जिलाधिकारी पौड़ी की ओर से प्रथम कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है.

पौड़ी के प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत.
पौड़ी नगर के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने बताया कि गढ़वाली में पढ़ाई करने से उन्हें अच्छा लग रहा है. जिस तरह से उनके शिक्षक उनसे गढ़वाली में वार्तालाप करने के साथ-साथ कविताओं और अन्य पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं. बच्चे उसे पढ़ने में उन्हें काफी रुचि ले रहे हैं.

वहीं विद्यालय के शिक्षक कमलेश बलूनी ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद इस बोली का संरक्षण किया जाएगा.

Intro:जिलाधिकारी पौड़ी के प्रयासों से पौड़ी ब्लॉक में बीते सोमवार से गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत हो गई है जिसके बाद आज जब प्राथमिक विद्यालयों में जा कर दिखा गया तो सभी नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम के शुरू होने से काफी खुश के नौनिहालों के साथ-साथ उनके शिक्षक भी गढ़वाली पाठ्यक्रम को पढ़ाने में काफी रुचि ले रहे हैं और जो पाठ्यक्रम प्राथमिक विद्यालय के लिए बनाया गया है वह काफी रोचक और मनोरंजन से भरा है जिससे की सभी नौनिहाल गढ़वाली पाठ्यक्रम को रोचक तरीके से सीख और समझ रहे हैं।


Body:प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम का जो मुख्य उद्देश्य है वही है कि जिस तरह से समय पर समय गढ़वाली बोली का बोलबाला कम होता जा रहा है और लोग अन्य भाषाओं की ओर आकर्षित होते जा रहे हैं गढ़वाली बोली और उसके महत्व को बरकरार रखने के लिए जिलाधिकारी पौड़ी की ओर से प्रथम कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक के लिए गढ़वाली पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है फिलहाल पॉलीब्लॉक मैच की शुरुआत की जा चुकी है

बाईट- गुनगुन(छात्रा)
बाईट- रियांसि(छात्रा)


Conclusion:पौड़ी नगर के प्राथमिक विद्यालय के नौनिहालों ने बताया कि गढ़वाली में पठन-पाठन करने में उन्हें काफी मजा आ रहा है और जिस तरह से उनके शिक्षक उनसे गढ़वाली में वार्तालाप करने के साथ-साथ कविताओं और अन्य पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं उसे पढ़ने में उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। वही विद्यालय के शिक्षक कमलेश बलूनी ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद जिस तरह गढ़वाली बोली जो लुप्त होती जा रही थी उसका संरक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही अंग्रेजी विद्यालयों में जो अंग्रेजी और हिंदी का बोलबाला चलाया जा रहा है उसके साथ साथ गढ़वाली बोली को भी एक स्थान मिल रहा है इससे बड़ी 2 के सभी विद्यालयों के मासूम नौनिहाल गढ़वाली बोली को अच्छे से समझ और पढ़ पाएंगे
बाईट-कमलेश बलूनी(शिक्षक)
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