श्रीनगर: मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में 3 करोड़ रुपए की लागत से जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की स्थापना की जा चुकी है. इसके लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में अत्याधुनिक उपकरण लगा दिए गए हैं. इन उपकरणों की मदद से घातक से घातक बीमारियों को डिटेक्ट किया जा सकेगा. साथ ही इन रोगों के अध्ययन और शोध में भी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा. इन दिनों जीनोम सीक्वेंसिंग लैब में कर्मियों को इन उपकरणों के संचालन की जानकारी भी कार्यशाला के रूप में दी जा रही है.
मेडिकल कॉलेज श्रीनगर की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. विनीता रावत ने बताया कि नए आधुनिक उपकरण लगने के बाद मेडिकल कॉलेज की जीनोम सीक्वेंसिंग लैब की सुविधा इंडियन सार्स कोविड -2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) से युक्त हो गई है. यह एक मल्टी लैब नेटवर्क है. जिसमें कोविड वायरस में हो रहे बदलाव और उसके प्रकार का विश्लेषण किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि इस लैब के जरिए घातक से घातक बीमारियों के सीक्वेंसिंग और डाइग्नोसिस दोनों में लैब का उपयोग कर इस पर बीमारियों के शोध और उसमें उपयोग होने वाली दवाओं के उपयोग की जानकारी मिल सकेगी. साथ ही इसके द्वारा डीएनएस जांच ,अनुवांशिक बीमारी के कारणों और उस पर शोध हो सकेगा. अभी लैब को प्रथम चरण के लिए तैयार किया जा रहा है.धीरे-धीरे इसे और स्थापित किया जाएगा.
![Genome sequencing lab Established at Medical College Srinagar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-pau-02-news-medicl-pkg-uk10034_27052023150518_2705f_1685180118_843.jpg)
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कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रावत ने कहा कि क्लीनिकल स्तर पर भी डॉक्टरों को सुविधा मिल सकेगी. साथ ही श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के अंदर होने वाली कोविड सीक्वेंसिंग की जांच का डेटा अब इंडियन सार्स कोविड -2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा मान्यता प्राप्त करने के बाद INSACOG की वेबसाइट पर भी मिल पाएगा. उन्होंने बताया कि इसका लाभ 20 लाख से अधिक लोगों को मिल सकेगा. अभी तक इस प्रकार की जांच प्रदेश में देहरादून तक ही सीमित थी, अब रोगों को डिटेक्ट,उनमें शोध और दवाओं के उपयोग पर भी इसका उपयोग किया जा सकेगा.
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